
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कहा कि विरासत और विकास दोनों को साथ-साथ आगे बढ़ाना होगा. जब उनसे पूछा गया कि क्या मंदिर-मस्जिद विवाद जैसे पुराने मुद्दों को उठाना आर्थिक प्रगति से ज्यादा अहम है? तो उन्होंने स्पष्ट किया कि ये दोनों मुद्दे आपस में जुड़े हुए हैं.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, “जो लोग इस भूमि के संतों और विद्वानों का सम्मान नहीं करते, वे विकास के लिए एक बड़ी बाधा हैं." उन्होंने ऐसे लोगों की तुलना "चूहों" से की, जो भारत की संस्कृति और विरासत का अनादर करते हैं. उन्होंने कहा, "एक न्यायाधीश ने तो यहां तक कह दिया कि वे ऐसे चूहे हैं, जो उसी घर को नष्ट कर सकते हैं जहां से वे भोजन प्राप्त करते हैं."
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पहले इन "चूहों" का समाधान करना जरूरी!
मुख्यमंत्री ने ऐसे लोगों को भारतीय अर्थव्यवस्था के "सबसे बड़े बाधक" करार दिया और कहा कि वास्तविक विकास की दिशा में कदम बढ़ाने से पहले इन "चूहों" से निपटना जरूरी है.
सीएम योगी ने कहा, "जितने भी विकास के पहल हम उठाते हैं, ये लोग या तो दंगे भड़काकर या अन्य तरीकों से उन पर हमला करते हैं. इसलिए, बेहतर यह है कि पहले इन चूहों का समाधान किया जाए ताकि जो बुनियादी ढांचा हम बनाते हैं, वह कायम रह सके."
भारत की समृद्ध विरासत से राज्य की अर्थव्यवस्था बढ़ी!
सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की विरासत को संरक्षित किए बिना देश आर्थिक रूप से आगे नहीं बढ़ सकता. उन्होंने इसका उदाहरण महाकुंभ से दिया, जहां भारत की समृद्ध विरासत ने राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया.
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "महाकुंभ में 7,500 करोड़ रुपये का निवेश किया गया, जिससे 3.5 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधि उत्पन्न हुई."