भारी संख्या में किसान दिल्ली के सिंघु, गाजीपुर, टिकरी आदि बॉर्डरपर डटे थे. तीन कृषि कानूनों के खिलाफ इस लड़ाई में पुरुषों ने ही नहीं बल्कि महिलाओं ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और सभी बाधाओं को पुरुषों के साथ कन्धा मिला पर पार किया. चाहे सड़क जाम हो, रेल रोको आंदोलन हो, धरना हो या शक्ति प्रदर्शन, महिला किसानों ने सभी में भाग लिया. आज जब किसान अपने अपने घरों को लौटने को तैयार हैं, ऐसे में महिला किसानों को घर लौटने की कोई जल्दी नहीं है. एक महिला ने कहा कि अगर सरकार में लिखित में देती है कि कानून वापसी होगी तो ठीक नहीं तो वो 2024 तक दिल्ली बॉर्डर पर बैठने को तैयार हैं. देखें मनीष चौरसिया की ये रिपोर्ट.