ऐसा क्यों हुआ कि सेंगोल को इस ऐतिहासिक दिन के बाद अचानक भुला दिया गया? इस उत्सव के बाद सेंगोल पहले प्रयागराज के आनंद भवन में कई बरस रखा गया, और फिर एक रात अचानक प्रयागराज म्यूजियम में पहुंच गया? क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि समारोह जल्दी में आयोजित हुआ था और मेरे माध्यम से सत्ता हस्तांतरण कोई कानूनी या औपचारिक मसला नहीं था, इसलिए इसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया?