कल के बवाल के बाद सवाल ये उठ रहे हैं कि अब आगे क्या ? किसान संगठनों ने 1 फरवरी को दिल्ली में संसद तक मार्च निकालने की भी ठानी है तो क्या ट्रैक्टर परेड से किसान कोई सबक लेंगे? क्या सरकार संसद मार्च की इजाजत देगी ? नाम तो ट्रैक्टर परेड का था, लेकिन परेड के नाम पर इन लोगों ने तो पूरी दिल्ली को रौंद डाला. किसान संगठनों और उसके नेताओं ने वादा किया था कि शांतिपूर्ण परेड निकालेंगे. लेकिन वादा टूटा, तबाही मची तो किसान संगठन अब जिम्मेदारी से भाग खड़े हुए. हिंसा से पीछा छुड़ाने लगे. दिल्ली की सीमाओं पर दो महीने से ज्यादा वक्त से किसान आंदोलन चल रहा है. किसानों और सरकार में कई दौर की बातचीत चली, लेकिन नतीजा नहीं निकला. किसानों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में परेड निकालने का ऐलान किया था, उसके बाद 1 फरवरी को संसद मार्च का भी ऐलान कर दिया था. ट्रैक्टर परेड के नाम पर उपद्रवियों ने जो बवाल काटा, उसने किसान संगठनों पर ही सवाल उठा दिए हैं. तो क्या 1 फरवरी को किसान फिर दिल्ली में संसद मार्च का आयोजन करेंगे या फिर ट्रैक्टर परेड से कुछ सबक लेंगे.
Farmers, who met with a setback after their tractor rally turned violent at Red Fort on Republic Day, have expressed their determination to continue with the protests demanding repeal of the Centre's farm laws. Now, the question arises will the farmers carry out march towards Parliament?