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भारत

मोदी-शाह-कोहली, 2020 में क्या हो सकते हैं इनके संकल्प?

aajtak.in
  • 31 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:42 PM IST
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साल 2019 विदा ले चुका है और पूरी दुनिया नए साल का स्वागत कर रही है. 2020 खास साल है क्योंकि इसके साथ ही एक नए दशक की शुरुआत भी हो रही है. हर कोई नए साल से नई उम्मीदें लगाए बैठा है. नए साल के लिए नए संकल्पों का भी चलन है. देश-दुनिया की ऐसी कई हस्तियां हैं जिनका नए साल का संकल्प या रिजोलूशन तय करेगा कि आम आदमी के लिए 2020 कैसा साबित होगा. aajtak.in ने अलग-अलग क्षेत्रों की शीर्ष हस्तियों के लिए नए साल का ऐसा रिजोलूशन चुना है जिसे अपनाया जाए तो आम भारतीयों की लिए 2020 सुख-समृद्धि-सम्मान और सुकून का साल साबित हो सकता है.

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नरेंद्र मोदी
सत्ता के शिखर पर दोबारा प्रचंड जीत के साथ आए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हर किसी की निगाहें टिकी हैं. नागरिकता संशोधन एक्ट पर देश में छिड़ी बहस के साथ 2019 का अंत हो रहा है लेकिन 2020 के लिए नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी चुनौती डूबती हुई अर्थव्यवस्था की नैया पार लगाना है. नरेंद्र मोदी जिस 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के मिशन के साथ आगे बढ़ रहे हैं, उसके लिए अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालात को बदलना जरूरी है. ऐसे में 2020 के लिए सबसे बड़ा संकल्प यही हो सकता है.

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राहुल गांधी
राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस को लगातार दो हार का सामना करना पड़ा है. विरोधी सवाल उठाते हैं कि राहुल गांधी अभी तक इसी बात को लेकर कन्फ्यूज़ हैं कि वह राजनीति करना चाहते हैं या नहीं? राहुल गांधी को लेकर ये कन्फ्यूजन कांग्रेसियों में भी है. राहुल गांधी संकल्प ले सकते हैं कि वे पार्टी को इस कन्फ्यूजन से बाहर निकालेंगे ताकि देश में मजबूत सरकार के साथ-साथ मजबूत विपक्ष भी देखने को मिले. फिर चाहे वह दोबारा अध्यक्ष के तौर पर आकर एक संदेश दे सकते हैं कि वह खुलकर लड़ाई करने को तैयार हैं या सड़क पर उतर जनता के साथ जुड़ सकते हैं.

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प्रियंका गांधी
राहुल गांधी से पार्टी अध्यक्ष का पद वापस सोनिया गांधी के हाथ में पहुंच गया है. कई कांग्रेसी अब प्रियंका गांधी में अपना भविष्य देख रहे हैं. प्रियंका गांधी ने फिलहाल उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी ली है. अगर प्रियंका गांधी को यूपी की राजनीति में अपनी किस्मत को चमकाना है तो सबसे पहला संकल्प लखनऊ में घर खरीद प्रदेश से सीधे जुड़ जाना ही होना चाहिए, ताकि साल के 200 दिन वह प्रदेश में ही बिताएं. क्योंकि ट्विटर के जरिए लगातार राजनीति करना यूपी जैसे प्रदेश में आम वोटरों से मुश्किल ही जोड़ पाएगा.

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अमित शाह
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह गृह मंत्री बनने के बाद से ही देश के सबसे बड़े न्यूजमेकर बने हुए हैं. नए साल में उनका संकल्प हो सकता है कि वो सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर देश के एक बड़े तबके में मन में बैठी आशंका को दूर करें और अपने कदमों को लेकर देश के हर नागरिक का भरोसा जीतने की कोशिश करें. बतौर पार्टी अध्यक्ष उनके सामने ये भी संकल्प है कि वो एक ऐसा उत्तराधिकारी पार्टी को दे जो उनके द्वारा गढ़ी गई चाणक्य की छवि को बरकरार रख सके और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच अध्यक्ष या कार्यकारी अध्यक्ष का कन्फ्यूजन ना बने.

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बिपिन रावत
साल 2019 के आखिरी दिन सेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए बिपिन रावत नए साल में नई जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद देश के इतिहास में पहली बार बना है, ऐसे में उनका संकल्प तीनों सेनाओं के बीच तालमेल स्थापित करना. सेना को आधुनिक बनाना और उनकी जरूरतों को पूरा करना ही होना चाहिए. बतौर सेना प्रमुख बिपिन रावत जो काम नहीं कर पाए, वह बतौर CDS जरूर कर सकते हैं. साथ ही वह राजनीतिक बयानबाजी से बचना भी उनका एक संकल्प हो सकता है.

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सलमान खान
बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान को अगर साल 2020 के लिए रिजोलूशन लेना हो तो वह क्या होना चाहिए? उनके फैंस तो उनकी शादी का ही इंतजार कर रहे हैं. यानी सलमान खान शादी के लिए इस साल हां या ना में सीधा संकल्प ले सकते हैं. इसके अलावा बिग बॉस में कंटेंट का स्तर जिस तरह से लगातार नीचे गिर रहा है, उसको लेकर भी सलमान को एक रास्ता चुनना चाहिए. भले ही बिग बॉस उन्हें ना छोड़ना चाहें, लेकिन सलमान को अपनी छवि को देखते हुए ऐसे शो से ‘नमस्ते’ कर लेनी चाहिए.

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शाहरुख खान
बॉलीवुड का एक ऐसा सुपरस्टार जिसकी चमक पिछले कुछ सालों में हल्की होती दिखी. रोमांस के किंग कहे जाने वाले शाहरुख खान की फिल्में जब लगातार फ्लॉप होने लगीं तो शाहरुख ने थोड़ा ब्रेक लेने का फैसला किया. साल 2019 में शाहरुख खान की एक भी फिल्म रिलीज नहीं हुई है और अगर शाहरुख को साल 2020 का रेजॉल्यूशन लेना हो तो जाहिर है वो दमदार वापसी का ही होगा.

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प्रियंका चोपड़ा
तकरीबन 3 साल तक भारतीय सिनेमा से दूर रहने के बाद जब प्रियंका चोपड़ा ने फिल्म भारत से वापसी की घोषणा की तो उनके फैन्स में खुशी की लहर दौड़ गई. हालांकि कुछ ही वक्त बाद प्रियंका ने खुद ही इस फिल्म से वॉक आउट का भी ऐलान कर दिया. निक जोनस से शादी के बाद उनकी फिल्म द स्काय इज पिंक आई लेकिन इसका कोई बज नहीं था. ऐसे में अब वक्त आ गया है कि प्रियंका एक रास्ता चुनें और तय करें कि वह हॉलीवुड में ही रहना चाहती हैं या बॉलीवुड में, क्योंकि देसी गर्ल की छवि बरकरार रखना बड़ी चुनौती है.

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महेंद्र सिंह धोनी
पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के प्रशंसक उन्हें टीम इंडिया के लिए मैदान पर वापसी करते देखना चाहते हैं. वह टीम इंडिया को इस साल टी-20 वर्ल्ड कप जिताकर विजयी विदाई लें. धोनी के सामने एक चुनौती अपने उत्तराधिकारी तैयार करने की भी है, क्योंकि विराट कोहली की छवि बिल्कुल उनसे अलग है. टीम इंडिया को अभी भी एक ऐसे खिलाड़ी की जरूरत है जो टीम की रीढ़ बने और बुरे वक्त में सबकुछ ठीक कर पाए.

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विराट कोहली
नए साल में कप्तान विराट कोहली दो ऐसे संकल्प पूरे कर सकते हैं, जो अब तक नहीं कर पाए हैं. एक तो वह आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलौर (RCB) को पहली बार खिताबी जीत का तोहफा दें, साथ ही टीम इंडिया को अपनी कप्तानी में टी-20 वर्ल्ड कप जिताएं. मैदान पर गुस्से पर काबू रखना और गालियों से बचना विराट कोहली के संकल्प में शामिल हो सकता है, क्योंकि देश के करोड़ों बच्चे और युवा उन्हें अपना आदर्श मानते हैं.

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सौरव गांगुली
बीसीसीआई के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली यही चाहेंगे कि उनके 9 महीने के कार्यकाल में इजाफा हो. गांगुली आईसीसी के प्लेटफॉर्म पर बीसीसीआई को अधिक से अधिक तवज्जो दिलाएं और क्रिकेट के हित में अपनी योजनाओं को लागू करवाएं. क्रिकेट से अलावा सौरव गांगुली को अपनी बेटी सना को अपने विचार रखने से नहीं रोकना चाहिए, क्योंकि देश के हीरो को ये शोभा नहीं देता है.क्रिकेट भारत में धर्म की तरह पूजा जाता है और क्रिकेटर भगवान बन जाता है. बंगाल में चुनाव आने वाले हैं ऐसे में सौरव गांगुली की दादागिरी अगर किसी एक पार्टी में बंध जाएगी तो शायद करोड़ों फैंस का दिल टूट सकता है.

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निर्मला सीतारमण
दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था ही है. देश की अर्थव्यवस्था को सुधारना, व्यापारी वर्ग में पैदा हुए रोष को दूर करना और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना इस वक्त निर्मला सीतारमण के सबसे बड़े संकल्पों में शामिल हो सकता है. इसके साथ ही वित्त मंत्रालय के जुड़े फैसलों में अभी भी उनकी छाप कम दिखती है जिससे वो जनता से अलग दिखाई पड़ती हैं, निर्मला के सामने अपनी इस छवि को बदलने की चुनौती है. दूसरा राज्यों के साथ जिस तरह GST को लेकर रार बढ़ रही है, उसे दूर कर GST में ‘जेटली मॉडल’ अपना केंद्र के प्रति राज्यों में विश्वास बढ़ाना हो सकता है.

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अरविंद केजरीवाल
देश के दिल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर चुनावी घमासान में कूद रहे हैं. कई मौकों पर उनकी केंद्र सरकार के साथ अनबन हुई है, ऐसे में नए साल के साथ उनका नया संकल्प केंद्र के साथ अपने संबंधों को सुधारना.
साथ ही अगर अरविंद केजरीवाल खुद को नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर खड़ा करना चाहते हैं तो उन्हें राज्य की जिम्मेदारी किसी और को सौंप खुद को बाहर निकालना होगा. तभी वह राज्य के नहीं राष्ट्रीय नेता बन पाएंगे.

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देश की जनता
देश की जनता का संकल्प सिर्फ इतना होना चाहिए कि वह संविधान की प्रस्तावना पढ़े. संविधान में जिन अधिकारों का जिक्र किया गया है, उनके इस्तेमाल के साथ ही कर्तव्यों का पालन और इसमें उल्लिखित मूल्यों का संरक्षण करना देश के हर नागरिक का रिजोलूशन हो सकता है. आज के माहौल में जिस तरह हर किसी का ‘पारा’ जल्द बढ़ जाता है, सोशल मीडिया पर विरोध शुरू होता है, प्रदर्शन में हिंसा होती है वह एक सभ्य देश और समाज को शोभा नहीं देता है. ये संकल्प देश के भविष्य के लिए जरूरी है.

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