अब वो दिन दूर नहीं जब दुनिया का सबसे अत्याधुनिक एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम एस- 400 भारतीय वायुसेना के बेड़े की ताकत बनेगा. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ब्रिक्स समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वक्त पर एस-400 सिस्टम की डिलीवरी का सॉलिड वादा किया है. बता दें कि रूस, चीन और तुर्की के बाद भारत ऐसा चौथा देश होगा जिसके पास यह मिसाइल सिस्टम होगा. आइए जानते हैं कि एस-400 मिसाइल सिस्टम का भारत को मिलना रणनीतिक, सामरिक और रक्षा के लिहाज से कितना फायदेमंद होगा.
भारत को सीमाओं पर अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और चीन से लगातार चुनौतियां मिलती रही हैं. भारत का इन दोनों देशों से कई बार युद्ध भी हो चुका है. ऐसे में भारत के सामने चुनौती है कि वो कैसे शक्ति संतुलन बनाए रखे ताकि दुश्मन भारत की ओर नजर उठाने पर पहले एक बार जरूर सोचे. भारत को एस-400 सिस्टम मिलने से भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा होगा. बता दें कि भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ ऐसे पांच सिस्टम खरीदने का करार किया था जिसकी लागत 5 अरब डॉलर यानि 33,000 करोड़ रुपये है.
चीन हो या पाकिस्तान एस-400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम के बल पर भारत न्यूक्लियर मिसाइलों को अपनी जमीन तक पहुंचने से पहले ही हवा में ही ध्वस्त कर देगा. एस-400 की मदद से भारत चीन-पाकिस्तान की सीमा के अंदर भी उस पर नजर रख सकेगा. जंग के दौरान भारत एस-400 सिस्टम के जरिए दुश्मन के लड़ाकू विमानों को उड़ने से पहले ही उनको निशाना बना सकेगा.
चाहे चीन के जे-20 फाइटर प्लेन हो या फिर पाकिस्तान के अमेरिकी एफ-16 लड़ाकू विमान. यह मिसाइल सिस्टम इन सभी विमानों को नष्ट करने की ताकत रखता है. ऐसे में भारत को इस एयर डिफेंस सिस्टम की काफी जरूरत थी. रूस ने साल 2020-2024 तक भारत को एक कर ये मिसाइल सिस्टम देने की बात कही है. इसकी पहली खेप 2020 के शुरुआत में मिलने की उम्मीद है.
एस-400 की खासियतों का कोई जवाब नहीं है. एस-400 एक बार में 36 निशाने भेद सकती है और एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है. इसके सबसे खास बात ये है कि इस एयर डिफेंस सिस्टम को कहीं मूव करना बहुत आसान है क्योंकि इसे 8X8 के ट्रक पर माउंट किया जा सकता है. एस-400 को नाटो द्वारा एसए-21 Growler लॉन्ग रेंज डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी कहा जाता है.
-50 डिग्री से लेकर -70 डिग्री तक तापमान में काम करने में सक्षम इस मिसाइल करना को नष्ट कर पाना दुश्मन के लिए बहुत मुश्किल है क्योंकि इसकी कोई फिक्स पॉजीशन नहीं होने के कारण इसे आसानी से डिटेक्ट नहीं किया जा सकता है. एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम में चार तरह की मिसाइल होती हैं जिनकी रेंज 40, 100, 200, और 400 किलोमीटर तक होती है. यह सिस्टम 100 से लेकर 40 हजार फीट तक उड़ने वाले हर टारगेट को डिटेक्ट और नष्ट कर सकता है.
एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का रडार बहुत अत्याधुनिक और ताकतवर है. इसका रडार 600 किलोमीटर तक की रेंज में करीब 300 टारगेट ट्रैक कर सकता है. यह सिस्टम मिसाइल, एयरक्राफ्ट या फिर ड्रोन से हुए किसी भी तरह के हवाई हमले से निपटने में सक्षम है. यह एस-400 सिस्टम दुनिया के सबसे बेहतरीन अमेरिकी प्लेन एफ-35 को 17 किलोमीटर की रफ्तार की पलक झपकते ही नष्ट करने में सक्षम है.
पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने एस-400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर कहा था कि लंबी और मध्यम दूरी की वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली से वायुसेना को बेहद जरूरी ‘प्रोत्साहन’ मिलेगा. यह प्रणाली स्टील्थ विमान और दूसरे हवाई लक्ष्यों सहित हवाई हमले को तबाह करने के लिए तैयार की गई है. बता दें कि अमेरका ने भारत-रूस की इस डील के खिलाफ था लेकिन भारत ने अमेरिका की धमकियों की परवाह किए बिना इस डील पर मुहर लगा दी थी.