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'AAP के 15 उम्मीदवारों ने मांगा था शिवसेना का सिंबल, पर मैंने...', महाराष्ट्र के डिप्टी CM एकनाथ शिंदे का दावा

शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने रविवार को दावा किया कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए AAP के 15 उम्मीदवारों ने उनकी पार्टी के सिंबल के लिए उनसे संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने अपने गठबंधन युति धर्म के कारण इससे इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि 'मैंने अपने सांसदों से दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने को कहा था.

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे. (फाइल फोटो) महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 10 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:58 AM IST

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए AAP के 15 उम्मीदवारों ने उनकी पार्टी के सिंबल के लिए उनसे संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने अपने गठबंधन युति धर्म के कारण इससे इनकार कर दिया है.

दरअसल, एकनाथ शिंदे रविवार को अपने जन्मदिन के मौके पर ठाणे में एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचा थे. जहां उन्होंने कहा कि  AAP के कुल 15 उम्मीदवार मेरे पास पहुंचे थे. उन्होंने शिवसेना के सिंबल पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई. पर मैंने सोचा था कि अगर धनुष और तीर का चुनाव चिन्ह उनके पास गया तो भाजपा और शिवसेना के बीज वोट बंट जाएंगे, जिससे दूसरों को फायदा होगा. इसलिए मैंने उनसे मना कर दिया.

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'बीजेपी का करें प्रचार'

कार्यक्रम में बोलते हुए डिप्टी सीएम ने ये भी कहा, 'मैंने अपने सांसदों से दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने को कहा था.' सेना प्रमुख ने कहा कि उन्हें "युति धर्म" (गठबंधन की प्रतिबद्धता) का सम्मान करना होगा.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत कई लोगों ने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा, 'उन्होंने मेरा स्वागत एकनाथ शिंदे के रूप में किया, न कि महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के रूप में.'

दिल्ली में BJP की प्रचंड जीत

बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत के साथ 27 सालों बाद सत्ता में वापसी की है. बीजेपी ने 70 सीटों में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की है. तो वहीं 2015, 2020 में दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई आम आदमी पार्टी महज 22 सीटों पर सिमट गई, जबकि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे शीर्ष नेता चुनाव हार गए. इसके अलावा कांग्रेस इस बार भी अपना खाता खोलने में विफल रही.

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