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पालघर लिंचिंग: महाराष्ट्र सरकार ने SC से कहा- मामले की सीबीआई जांच के लिए तैयार

महाराष्ट्र के पालघर जिले में 16 अप्रैल 2020 को भीड़ ने बच्चा चोरी के शक में 70 साल के साधु कल्पवृक्ष गिरी और 35 साल के साधु सुशील गिरी के साथ उनके ड्राइवर नीलेश तेलगाडे की हत्या कर दी थी. पुलिस ने इस मामले में करीब 250 लोगों को गिरफ्तार किया था.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
संजय शर्मा
  • मुंबई,
  • 11 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 2:54 PM IST

महाराष्ट्र के पालघर में 16 अप्रैल 2020 को भीड़ ने दो साधुओं की हत्या कर दी थी. इस मामले ने उस समय काफी तूल पकड़ा था. अब राज्य में शिंदे गुट-बीजेपी की सरकार मामले की जांच सीबीआई को सौंपने को तैयार हो गई है. महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्हें 2020 के पालघर लिंचिंग मामले की जांच सीबीआई को सौंपने में कोई आपत्ति नहीं है.

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अदालत में दायर हलफनामे में एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि वह पालघर मॉब लिंचिंग मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के लिए तैयार है. 

बता दें कि इससे पहले उद्धव सरकार ने मामले की सीबीआई जांच का विरोध किया था. 

उद्धव ठाकरे सरकार ने सीबीआई जांच का किया था विरोध

इस कदम को महाराष्ट्र सरकार के लिए एक बड़े यूटर्न के तौर पर देखा जा रहा है. जिस समय यह घटना हुई, उस समय राज्य में उद्धव ठाकरे सरकार सत्ता में थी. ठाकरे सरकार ने अदालत को बताया था कि पालघर लिंचिंग मामले में सीबीआई जांच की कोई जरूरत नहीं है. 

उस समय ठाकरे सरकार ने कहा था कि इस घटना की जांच के लिए महाराष्ट्र पुलिस पूरी तरह से  सक्षम है. हालांकि, बाद में राज्य में शिंदे गुट की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि 2020 पालघर लिंचिंग मामले की निष्पक्ष जांच के लिए वे सीबीआई से जांच कराने के लिए तैयार हैं. 

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मालूम हो कि महाराष्ट्र के पालघर जिले में 16 अप्रैल 2020 को भीड़ ने बच्चा चोरी के शक में 70 साल के साधु कल्पवृक्ष गिरी और 35 साल के साधु सुशील गिरी के साथ उनके ड्राइवर नीलेश तेलगाडे की हत्या कर दी थी. पुलिस ने इस मामले में करीब 250 लोगों को गिरफ्तार किया था. दोनों साधु अपनी गाड़ी से मुंबई से सूरत जा रहे थे तभी पालघर के गढ़चिंचले गांव में भीड़ ने उनकी हत्या कर दी थी.

मामले के तूल पकड़ने पर विभागीय जांच के बाद 18 पुलिस अधिकारियों को दंडित किया गया था. एक असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर को बर्खास्त किया गया था जबकि एक अन्य असिस्टेंट पुलिस सब इंस्पेक्टर के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की गई थी.

इस घटना के संबंध में हत्या, दंगा करने और अन्य धाराओं में कुल तीन एफआईआर दर्ज की गई थी. ठाणे की सत्र अदालत ने इस मामले में पिछले साल जनवरी में 89 आरोपियों को जमानत दे दी थी.

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