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साल 2021 के पीएम मोदी के वो छह कदम, जो 2022 में बीजेपी का जोश रखेंगे 'हाई'!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2021 में ऐसे सियासी कदम उठाए हैं, जिन्होंने देश की राजनीति की दशा-दिशा बदलने का काम किया है. इन कदमों को बीजेपी लोगों के बीच ले जाने की कोशिश कर रही है. जानिए क्या रहे अहम फैसले.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 29 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST
  • चार राज्यों में सीएम बदलने का एक्सपेरिमेंट
  • पीएम मोदी ने हिंदुत्व के एजेंडे को दी धार
  • कृषि कानून पर पीएम ने अपना कदम खींचा

राजनीतिक घटनाओं के लिहाज से साल 2021 काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे सियासी कदम उठाए हैं, जिन्होंने देश की राजनीति की दशा-दिशा बदलने का काम किया है. देश के सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीन देने का फैसला किया तो काशी कॉरिडोर का शिलांन्यास व केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण कर वो हिंदुत्व का एजेंडा सेट करते नजर आए. 

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पीएम मोदी ने कृषि कानून वापस लेने का कदम उठाया तो साल भर के बाद आंदोलन करने वाले किसानों की वापसी हुई. इतना ही नहीं बंगाल में बीजेपी को 3 से 77 तक के आंकड़े तक पहुंचाने का काम किया और यूपी में सीएम चेहरे को लेकर तस्वीर साफ की तो चार राज्यों में अपने सीएम बदलकर राजनीतिक एक्सपेरिमेंट भी किया. इसी तरह के साल 2021 में पीएम मोदी के छह बड़े दांव आपको बता रहे हैं. साथ ही ये भी क्या ये दांव बीजेपी के लिए 2022 में जोश भरेंगे? 

1. फ्री वैक्सीन का उपहार

कोरोना महामारी की दूसरी और बेहद खतरनाक लहर के बीच जब पूरा विपक्ष और दुनिया भर के एक्सपर्ट भारत में वैक्सीनेशन पर संदेह जता रहे थे, तब पूरे देश को फ्री में वैक्सीन की 150 करोड़ डोज लगा देना एक बड़ा काम रहा. मुफ्त वैक्सीन देने का कदम मोदी ने ऐसे समय उठाया जब देश की तमाम राज्य सरकारें वैक्सीन उपलब्धता को लेकर सवाल खड़े कर रही थीं. इतना ही नहीं, 150 करोड़ वैक्सीन खुराक का आंकड़ा पार करने वाला भारत दुनिया का पहले देश बना.

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देश में 45 साल से अधिक आयु के सभी लोगों का टीकाकरण एक अप्रैल से आरंभ हुआ था और 18 साल से अधिक आयु के सभी लोगों का टीकाकरण एक मई से शुरू हुआ. वहीं, अब पीएम मोदी ने 3 जनवरी 2022 से 15-18 साल के आयु वाले युवाओं को वैक्सीन देने का कदम उठाया है, जो ऐतिहासिक माना जा रहा है.   
 

2. हिंदुत्व का उभार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विकास कार्यों के साथ-साथ हिंदुत्व के एजेंडे को भी केंद्र में रखा. काशी कॉरिडोर का निर्माण, चारधाम प्रोजेक्ट पर अड़े रहना, कोरोना के बावजूद कुंभ का आयोजन, उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड रद्द करना और केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण ऐसे काम रहे हैं, जो बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे को उभारने वाले माने जा रहे हैं. पीएम मोदी ने 13 दिसंबर को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बहुप्रतीक्षित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया. यह कॉरिडोर वाराणसी के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा नदी ललिता घाट से जोड़ता है, जो बीजेपी के एजेंडो को मजबूत करने वाला माना जाता है. 

काशी कॉरिडोर के उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल 5 नवंबर को उत्तराखंड के केदारनाथ धाम पहुंचे और केदार घाटी में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया. आदि शंकराचार्य की यह प्रतिमा 12 फीट ऊंची है. आदि शंकराचार्य ने ही पवित्र मठों के साथ चार धामों की स्थापना की थी. कोरोना संकट के बावजूद हरिद्वार में कुंभ का आयोजन पर बीजेपी अड़ी रही और साथ ही चार धाम यात्रा  जिससे वो सियासी संदेश देने में सफल रही हैं.

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चार धाम प्रोजेक्ट के तहत गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीना​थ को लेकर केंद्र की मोदी सरकार अड़ी रही. सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट के तहत तीन डबल-लेन हाईवे बनाने की इजाजत दे दी है. साधु-संत की नाराजगी को देखते हुए बीजेपी सरकार को देवस्थानम बोर्ड को रद्द करना पड़ा. पीएम मोदी केदारनाथ दौरे पर पहुंचे थे, तभी उन्होंने संत-पुरोहितों को आश्वासन दिया था. देवस्थानम बोर्ड के रद्द किए जाने का बाद अब देश के उन तमाम मंदिरों के सरकारी दखल खत्म करने की मांग उठने लगी है. खासकर दक्षिण भारत में जहां मंदिर और मठों पर सरकार की दखल को लेकर मांग उठेगी. 

3.सीएम बदले चार

बीजेपी ने साल 2021 में चार राज्यों में मुख्यमंत्री बदलकर सत्ता विरोधी लहर से निपटने और नई लीडरशिप को आगे लाने का दांव चला. गुजरात, कर्नाटक, उत्तराखंड राज्यों में मुख्यमंत्रियों को आलाकमान ने बदला. गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सहित पूरी कैबिनेट बदलकर भूपेंद्र भाई पटेल को नया सीएम बनाया गया और नया मंत्रिमंडल गठित किया. रूपाणी से पहले कर्नाटक में जुलाई में बीएस येदियुरप्पा को कुर्सी छोड़नी पड़ी. बीएस येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया. 

वहीं, उत्तराखंड में बीजेपी ने दो सीएम बदले. पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन कुछ ही महीने बाद उनकी जगह पुष्कर सिंह धामी को कमान सौंप दी गई. इसके पहले असम में सर्बानंद सोनेवाल की जगह हिमंत बिस्व सरमा को मुख्यमंत्री बनाया. बीजेपी ने चार राज्यों में अपने सीएम बदले, लेकिन किसी भी राज्य में कोई सियासी बगावत नहीं हो सकी.  

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सीएम योगी के कंधे पर हाथ रखे पीएम मोदी

उत्तर प्रदेश में बीजेपी में 2022 चुनाव में सीएम चेहरे को लेकर सस्पेंस बना हुआ था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के अपने पहले दौरे पर खत्म कर दिया था. उन्होंने चुनावी रैलियों में योगी आदित्यनाथ के कामों की तारीफ करने के साथ ही मुहर लगा दी थी. पीएम मोदी ने लखनऊ दौरे पर उत्तर प्रदेश क मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कंधों पर भी हाथ रखा था और उसके बाद तय हो गया था कि राज्य में सीएम योगी की अगुवाई में बीजेपी चुनावी मैदान में उतरेगी. पीएम मोदी के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी आजतक के एजेंडा कार्यक्रम के दौरान कहा था कि हम 2022 का चुनाव योगी आदित्यनाथ के अगुवाई में उतरेंगे और चुनाव के बाद वही मुख्यमंत्री होंगे. 

पंजाब में कांग्रेस ने सीएम का चेहरा बदला तो उसका एक सियासी फायदा बीजेपी को भी मिला. बीजेपी पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने खेमे में ले आई है, जिसके जरिए पार्टी अकाली दल की भरपाई कर रही है. कैप्टन पंजाब की सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी हैं और कांग्रेस का चेहरा रहे हैं और अब वो अपनी पार्टी बनाकर बीजेपी के साथ मिलकर किस्मत आजमाने जा रहे हैं. 

4. बंगाल में विस्तार

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पश्चिम बंगाल चुनाव को बीजेपी के लिए भले ही विपक्ष बुरा सपना कह रहा हो, लेकिन सच्चाई ये है कि पिछले चुनाव में तीन सीटें जीतने वाली बीजेपी इस चुनाव में 77 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी दल बन गई है. बीजेपी पश्चिम बंगाल में चार नंबर की पार्टी से नंबर दो की पार्टी बन गई है. ऐसे में 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन की तुलना इस विधानसभा चुनाव से करें तो यह उसकी एक बड़ी जीत रही है मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नंदीग्राम सीट पर बीजेपी के हाथों चुनावी मात खानी पड़ी है. बंगाल में दलितों के बीच बीजेपी का सियासी ग्राफ बढ़ा है, जिसका नताजी रहा कि 68 सुरक्षित सीटों में से उसे 39 सीटें मिली है

बीजेपी की इस जीत से कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां साफ हो गईं. आजादी के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों के एक भी विधायक नहीं चुने गए. बंगाल में बीजेपी सरकार नहीं बना पाई लेकिन विपक्ष की पूरी जगह उसने अपने पाले में कर ली है. पार्टियां अक्सर सत्ता में आने से पहले विपक्ष की जगह ही हासिल करती हैं और ये काम बीजेपी ने सीपीएम-कांग्रेस को बेदखल करके कर लिया है. वहीं, बंगाल के साथ हुए चुनाव में असम में बीजेपी दोबारा से सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही तो पुडुचेरी में पहली बार बीजेपी सरकार बनाने में सफल रही है. इसका श्रेय बीजेपी नेता पीएम मोदी को देते हैं. 

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5. चुनाव सुधार

मोदी सरकार ने चुनाव सुधार के लिए बड़ा कदम उठाया है.  वोटर आईडी को आधार कार्ड से लिंक करवाने सहित चुनाव सुधार के कदम उठाने के लिए चुनाव सुधार (संशोधन) विधेयक 2021 को संसद से पास कराया है. इससे मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने में सफलता की बात कही गई है. मतदाता पंजीकरण के लिए अब साल में चार बार मौके मिलेंगे. सैन्य मतदाताओं से संबंधित प्रावधानों में 'पत्नी' शब्द को बदलकर जीवनसाथी किया. हालांकि, विपक्ष ने चुनाव सुधार कानून को लेकर तमाम सवाल खड़े किए हैं. 

6. ...और कृषि कानूनों पर मानी हार

पीएम मोदी के बारे में पिछले सात साल में यही धारणा रही है कि वो अपने फैसले से डिगते नहीं हैं, लेकिन कृषि कानूनों को वापस लेकर उन्होंने साबित कर दिया है कि कभी कभी (चुनाव) जीतने के लिए कुछ हारना भी पड़ता है. केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून को लेकर किसान आंदोलन और नाराजगी के देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. इस तरह दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों का आंदोलन उस वक्त खत्म हो गया, जब 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन तीनों कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया. पीएम मोदी ने 19 नवंबर को सुबह देश के नाम अपने संदेश में कहा कि ये तीनों कानून किसानों के हित में लाए गए थे, लेकिन शायद सरकार किसानों को अपनी बात समझाने में असमर्थ रही.

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एक साल बाद किसानों का आंदोलन समाप्त 11 दिसंबर को किसानों ने एक साल से चल रहा अपना आंदोलन समाप्त कर घर वापसी शुरू किया. केंद्र सरकार ने किसानों को भेजे अपने मसौदे में किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमों की वापसी और एमएसपी पर किसानों के साथ चर्चा की बात कही थी. वहीं अगले साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष के हाथ से केंद्र सरकार पर निशाना साधने वाला बड़ा मुद्दा पीएम मोदी ने अपने दांव से खींच लिया. बीजेपी ने मोदी के इस कदम को लेकर बताने की शुरुआत कर दी कि बीजेपी अपनी घोषणा के प्रति ईमानदार हैं और किसान हितैषी के तौर पर है. ऐसे में देखते हैं कि आने वाला साल उन्हें बाजीगर बनाएगा या नहीं? 

 

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