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अबकी बार - किसकी सरकार? 2022 में इन राज्यों में होगा चुनावी संग्राम

साल 2022 की शुरुआत में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ-साथ गोवा, मणिपुर और पंजाब विधानसभा के भी चुनाव होंगे तो गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव साल के अंत में होने हैं. ऐसे में देखना है कि 2022 में बीजेपी अपना सियासी वर्चस्व बचाए रखती है या विपक्ष सेंध लगाएगा? 

नरेंद्र मोदी, अखिलेश यादव, राहुल गांधी नरेंद्र मोदी, अखिलेश यादव, राहुल गांधी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 31 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:10 PM IST
  • 2022 में देश के 7 राज्यों में विधानसभा चुनाव
  • यूपी में खिलेगा कमल या होगा सत्ता परिवर्तन
  • पंजाब में क्या कांग्रेस का जादू रह पाएगा बरकार

साल 2022 सियासी तौर पर काफी सरगर्मियों और चुनावी हलचलों से भरा रहने वाला है, जिसमे सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा से बीजेपी को गुजरना है. साल 2022 में जिन सात राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें से 6 राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं जबकि एक राज्य में कांग्रेस सत्ता पर काबिज है. ऐसे में बीजेपी को साल 2022 में अपने राज्यों की सत्ता को बचाए रखने की चुनौती होगी तो कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के लिए सत्ता में वापसी के लिए जद्दोजहद करना होगा. 

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साल 2021 की शुरुआत पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों की आहट से शुरू हुई थी और अब साल 2022 में सात राज्यों में चुनाव होने हैं. 2022 की शुरुआत में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ-साथ गोवा, मणिपुर और पंजाब विधानसभा के भी चुनाव होंगे तो गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव साल के अंत में होने हैं. ऐसे में देखना है कि 2022 में बीजेपी अपने सियासी वर्चस्व को बचाए रखती है या विपक्ष सेंध लगाएगा? 

यूपी में खिलेगा कमल या होगा सत्ता परिवर्तन
उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल 14 मई 2022 को पूरा हो रहा है. ऐसे में 14 मई से पहले हर हाल में विधानसभा और नई सरकार के गठन की प्रकिया पूरी होनी है, लेकिन फरवरी-मार्च में चुनाव होने की संभावना है. उत्तर प्रदेश में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं. पिछला चुनाव फरवरी-मार्च 2017 में हुआ था और बीजेपी की अगुवाई में एनडीए 325 सीटें जीतकर सत्ता में लौटी थी और योगी आदित्यनाथ 19 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. सीएम योगी बीजेपी के पहले नेता है, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में पांच साल का कार्यकाल पूरा किया और पार्टी ने उन्हीं के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ रही है. ऐसे मे यह उनके लिए अग्नि परीक्षा है. 
 

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यूपी में सियासी घमासान

बीजेपी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन कर 2022 के यूपी चुनाव मैदान में उतरी है. सूबे में बीजेपी की सत्ता को बचाए रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित बीजेपी नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी है. वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव सूबे में जातीय आधार वाले छोटे दलों के साथ मिलकर बीजेपी से दो-दो हाथ करने के लिए उतरे हैं. सपा ने यूपी में आरएलडी, सुभासपा, प्रसपा, जनवादी पार्टी, महान दल सहित करीब एक दर्जन छोटे दल से गठबंधन किया. 

कांग्रेस प्रियंका गांधी की अगुवाई में यूपी चुनाव में उतरी है. प्रियंका महिला कार्ड खेल रही हैं और 40 फीसदी टिकट देने से लेकर उनके लिए तमाम घोषणाएं कर रखी है. वहीं, 2022 का चुनाव बसपा के साथ-साथ दलित राजनीति के लिए भी अहम माना जा रहा है. बसपा प्रमुख मायावती ने किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं किया है और 2007 की तरह ब्राह्मण-दलित समीकरण बनाने में जुटी हैं. इसके अलावा यूपी में असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम मतों के सहारे सूबे में अपने पैरे जमाने के लिए बेताब हैं.   

उत्तराखंड की टूटेगी सत्ता परिवर्तन की रवायत? 
70 सीटों वाली उत्तराखंड विधानसभा का कार्यकाल 23 मार्च 2022 को खत्म हो रहा है. लेकिन, सूबे में सियासी हलचल तेज है. यहां कांग्रेस और बीजेपी के साथ आम आदमी पार्टी, बसपा और कई छोटे दल किस्मत आजमा रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए उत्तराखंड चुनाव सबसे ज्यादा चुनौती पूर्ण बना हुआ है, क्योंकि यहां हर पांच साल पर सत्ता बदलने की रिवायत दो दशक से चली आ रही है. ऐसे में कांग्रेस को सत्ता में अपने वापसी करने की उम्मीद दिख रही है तो बीजेपी सत्ता परिवर्तन के मिथक को तोड़ने में जुटी है. 

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उत्तराखंड में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 57 सीट जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई जबकि विपक्षी दल कांग्रेस को 11 सीटें मिली थी. त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन चार साल के बाद उन्हें हटाकर बीजेपी ने तीरथ सिंह रावत को सत्ता की कमान सौंपी और महज कुछ ही महीने में रावत की जगह पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया. ऐसे यह चुनाव पुष्कर धामी के लिए काफी चुनौती पूर्ण बना हुआ है.

पंजाब में क्या कांग्रेस का जादू रह पाएगा बरकार
साल 2022 में जिन सात राज्यों में चुनाव है, उनमें से पंजाब एकलौता राज्य है, जहां पर कांग्रेस सत्ता में है. पंजाब विधानसभा का कार्यकाल 27 मार्च 2022 को समाप्त हो रहा है, जिसके चलते साल के शुरू में चुनाव होने हैं. कांग्रेस सूबे में अपनी सत्ता के बचाए रखनी के लिए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्दू की अगुवाई में जद्दोजहद कर रही है तो आम आदमी पार्टी इस बार नंबर दो से नंबर वन बनने की जुगत में है. वहीं, अकाली दल ने बसपा के साथ हाथ मिला रखा है तो बीजेपी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखदेव ढीढसा की पार्टी के साथ गठबंधन किया है. 

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सुखबीर बादल और चरणजीत सिंह चन्नी

बता दें कि 117 सीटों वाले पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 77 सीटें जीतकर दस साल के बाद सत्ता में लौटी जबकि शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी केवल 18 सीटों तक सिमट गया था और आम आदमी पार्टी 20 सीट जीतकर मुख्य विपक्षी दल बनी थी. कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन चार साल के बाद कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया. पंजाब में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल या गठबंधन को 59 का आंकड़ा हासिल करना होगा.

मणिपुर में बीजेपी के सामने सत्ता बचाने का चैलेंज
पूर्वोत्तर के 60 सीटों वाले मणिपुर विधानसभा का कार्यकाल 19 मार्च 2022 को समाप्त हो रहा है. ऐसे में इससे पहले राज्य में सरकार के गठन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी. 2017 में मणिपुर विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 24 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप उभरी थी और कांग्रेस 17 विधायकों के साथ विपक्षी दल बनी थी. बीजेपी ने एनपीपी, एलजेपी और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाया और एन बीरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री बने थे. ऐसे में बीजेपी ने एक बार फिर से मणिपुर की सत्ता के बचाए रखने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है तो कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए बेताब है. 

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गोवा में कांग्रेस-बीजेपी किसे मिलेगी इस बार सत्ता
40 सीटों वाले गोवा विधानसभा का कार्यकाल 15 मार्च को समाप्त हो रहा है. राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव फरवरी 2017 में हुआ था. कांग्रेस 15 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन सरकार नहीं बना सकी थी. बीजेपी ने 13 सीटें जीती थीं और एमजीपी, जीएफपी व दो निर्दलिय विधायकों के सहारे सरकार बनाने में सफल रही. मनोहर पर्रिकर गोवा के मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन 17 मार्च 2019 को मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद डॉ. प्रमोद सावंत को राज्य का मुख्यमंत्री बने. 

गोवा का चुनाव 2022 के शुरू में होना है, लेकिन इस बार कांग्रेस और बीजेपी ही नहीं बल्कि ममता बनर्टी की टीएमसी और आम आदमी पार्टी भी अपनी किस्मत आजमाने उतरी हैं.  बीजेपी गोवा में पिछले 10 सालों से सत्ता में है, जिसके चलते उसे सत्ता विरोधी लहर का भी सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पूरी ताकत झोंके हुए हैं. वहीं, कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए हाथ-पांव मार रही है, लेकिन टीएमसी उसकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनी है. कांग्रेस के कई नेता पार्टी छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिए हैं. 2017 में आम आदमी भले ही खाता नहीं खोल सकी थी, लेकिन इस बार किंगमेकर बनने की जुगत में है.  

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गुजरात में कांग्रेस क्या BJP के तिलिस्म को तोड़ पाएगी

गुजरात विधानसभा के चुनाव साल 2022 के आखिर अक्टूबर-नवंबर में होने हैं. गुजरात को बीजेपी की सियासी प्रयोगशाला कहा जाता है. पिछले 26 सालों से बीजेपी वहां की सत्ता पर काबिज है. पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों ही गुजरात से हैं, जिसके चलते बीजेपी के लिए गुजरात सियासी तौर पर काफी अहम माना जाता है. ऐसे में कांग्रेस ने पिछली बार कांटे की टक्कर दी थी और इस बार फिर से ओबीसी-दलित-पटेल-मुस्लिम समीकरण बनाकर अपने सत्ता के वनवास को तोड़ने की जुगत में है. इस बार आम आदमी पार्टी भी गुजरात में किस्मत आजमाने की तैयारी में है.   

गुजरात की विधानसभा में 182 सीटें हैं. साल 2017 के चुनाव में बीजेपी ने 99 सीटें जीती थीं. वहीं कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं. इनके अलावा एनसीपी को 1, भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने 2 और निर्दलियों ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद बीजेपी ने विजय रूपाणी के नेतृत्व में सरकार बनाई थी. सितंबर में बीजेपी ने पूरी रुपाणी सरकार को  हटाकर भूपेंद्र भाई पटेल की अगुवाई में कैबिनेट गठित की थी. बीजेपी गुजरात में 1995 से सत्ता में है और अपने सियासी प्रयोग से पार्टी सत्ता विरोधी लहर से निपटने का फॉर्मूला निकाला है. 

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हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के मिथक क्या टूटेगा
साल 2022 के आखिर में अक्टूबर-नवंबर में हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं. यहां की सत्ता पर बीजेपी काबिज है, लेकिन हर पांच साल पर सत्ता परिवर्तन की परंपरा यहां चली आ रही है. हाल ही में हुए उपचुनाव में बीजेपी को करारी मात खानी पड़ी है, जिसके चलते पार्टी की चिंता बढ़ गई है. कांग्रेस यहां पूरी ताकत के साथ सत्ता में वापसी के लिए जोर आजमाइश कर रही है. 

हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में 68 सीटें हैं. हिमाचल के चुनाव अगले साल सितंबर-अक्तूबर में हो सकते हैं. साल 2017 के चुनाव में बीजेपी ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं कांग्रेस ने 21, सीपीएम ने 1 और निर्दलियों ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस समय बीजेपी जयराम सिंह ठाकुर के नेतृत्व में सरकार चला रही है, लेकिन जनाधार वाले नेता न होने के चलते बीजेपी की चिंता बढ़ती जा रही है. 

 

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