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क्या विपक्ष की बैठक का बायकॉट करेगी Aam Aadmi Party? अरविंद केजरीवाल ने बुलाई बड़ी मीटिंग

दिल्ली सरकार के खिलाफ लाए गए अध्यादेश पर AAP कांग्रेस पार्टी से लगातार समर्थन मांगती आई है. लेकिन अब पार्टी ने कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. कल बेंगलुरु में होने जा रही विपक्ष की बड़ी बैठक का AAP बायकॉट कर सकती है.

अरविंद केजरीवाल (File Photo) अरविंद केजरीवाल (File Photo)
आशुतोष मिश्रा/पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 11:11 AM IST

आम आदमी पार्टी (AAP) कर्नाटक के बेंगलुरु में 17-18 जुलाई को होने वाली विपक्ष की बैठक का बायकॉट कर सकती है. विपक्ष की इस अहम बैठक के पहले AAP ने पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (PAC) की बड़ी बैठक बुलाई है. यह आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी डिसीजन मेकिंग बॉडी है. बैठक शाम 4 बजे होगी. इस बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़ेंगे.

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बैठक में इस बात को लेकर अहम फैसला हो सकता है कि कल बेंगलुरु में हो रही विपक्ष की बैठक में शामिल हुआ जाए या नहीं? कहा जा रहा है कि दिल्ली में आए अध्यादेश के मामले को लेकर आम आदमी पार्टी कांग्रेस से नाराज चल रही है. 

दिल्ली के इस अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस के रुख को देखते हुए आम आदमी पार्टी इस बैठक से किनारा कर सकती है. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस के स्टैंड को लेकर आम आदमी पार्टी की टॉप लीडरशिप में नाराजगी है. इसलिए पार्टी के अंदर विपक्षी दलों की बैठक में ना जाने को लेकर भी मंथन हो रहा है

शाम 4 बजे बैठक में आम आदमी पार्टी ही फैसला लेगी कि वह कल बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक का हिस्सा बनेगी या नहीं. फिलहाल, कांग्रेस ने दिल्ली में नौकरशाहों को नियंत्रित करने वाले केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी (AAP) का समर्थन करने का संकेत दिया है. 

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शनिवार को कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था, 'कांग्रेस पार्टी ने हमेशा राज्यों में निर्वाचित सरकारों के संघीय ढांचे पर किसी भी हमले का विरोध किया है. वो आगे भी ऐसा करना जारी रखेगी. संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह.'

AAP ने कांग्रेस से मांगा है समर्थन

दरअसल, कांग्रेस का यह बयान कई मायने में अहम है. इस बयान में कांग्रेस ने सीधे तौर पर दिल्ली अध्यादेश मुद्दे का जिक्र नहीं किया, लेकिन बड़े संकेत जरूर दिए हैं. यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी के बीच असहमति की खबरें आ रही हैं. बता दें कि AAP विपक्षी दलों की बैठकों और आगामी रणनीति से पहले कांग्रेस को अध्यादेश को लेकर रुख स्पष्ट करने पर जोर दे रही है. पटना में विपक्ष की बैठक में भी केजरीवाल ने कांग्रेस से समर्थन देने की अपील की थी.

केंद्र को घेरने की तैयारी में कांग्रेस

सूत्रों का कहना है कि यह अध्यादेश संसद में लाया जाता है तो कांग्रेस विरोध कर सकती है और AAP को समर्थन देने का फैसला ले सकती है. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने शनिवार को संसद के आगामी मानसून सत्र के दौरान उठाए जाने वाले विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक की. संसदीय रणनीति समूह ने बड़े मसलों पर राय-मशविरा किया.

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जब अध्यादेश मुद्दे पर चर्चा के बारे में पूछा गया तो कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था- पार्टी ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों के संवैधानिक अधिकारों और जिम्मेदारियों पर मोदी सरकार के हमलों के खिलाफ हमेशा लड़ाई लड़ी है.

दिल्ली अध्यादेश पर जारी है विवाद

केंद्र सरकार 19 मई को दिल्ली सरकार की शक्तियों को कम करने के लिए एक अध्यादेश लेकर आई है. इसमें सेवाओं पर नियंत्रण का अधिकार भी शामिल है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था, जिसमें पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित सेवाओं को छोड़कर दिल्ली में सेवाओं का नियंत्रण निर्वाचित सरकार को सौंपने का फैसला सुनाया था.

केंद्र सरकार के कदम के बाद अरविंद केजरीवाल ने देशव्यापी समर्थन मांगा. वे अलग-अलग राज्यों में पहुंचे और विपक्षी दलों के नेताओं से मिले और केंद्र सरकार के अध्यादेश का संसद में विरोध करने की अपील की. केजरीवाल का कहना है कि यह अध्यादेश देश के संघीय ढांचे को नष्ट कर देगा.

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