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AAP सांसद संजय सिंह ने गुजरात सरकार से पूछे 3 सवाल, अडानी ग्रुप पर लगाए गंभीर आरोप

AAP सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 2007 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस वक्त उनकी सरकार ने अडानी से बिजली को लेकर एक समझौता किया. एग्रीमेंट के अनुसार, अडानी ने अगले 25 साल तक गुजरात की जनता को 2.25 रुपए प्रति यूनिट बिजली देने का वादा किया.

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह (फाइल फोटो) आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह (फाइल फोटो)
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 29 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 10:57 PM IST

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गुजरात सरकार के द्वारा अडानी ग्रुप को लिखी एक चिट्ठी का हवाला देते हुए जांच एजेंसियों और केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. AAP सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 2007 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस वक्त उनकी सरकार ने अडानी से बिजली को लेकर एक समझौता किया. एग्रीमेंट के अनुसार, अडानी ने अगले 25 साल तक गुजरात की जनता को 2.25 रुपए प्रति यूनिट बिजली देने का वादा किया. 

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संजय सिंह ने दावा किया कि 2007 में गुजरात सरकार और अडानी के बीच पावर परचेज एग्रीमेंट किया गया. इसके बाद 2018 में अडानी ने गुजरात सरकार के साथ एक और एग्रीमेंट साइन किया. उसमें कहा गया कि कोयला महंगे दामों में खरीदना पड़ रहा है. इसलिए सरकार को बिजली के दाम महंगे देने पड़ेंगे. लेकिन एग्रीमेंट में यह शर्त लिखी गई कि आर्गस ग्लोबल कंपनी द्वारा दुनिया भर के देशों में कोयले का जो दाम बताया जाएगा, उसके अनुसार ही भुगतान किया जाएगा. आर्गस ग्लोबल कंपनी दुनिया भर में कोयले का क्या दाम है, ये बताती है.

राज्यसभा सदस्य ने अपने आरोप में कहा कि 2018 से 2023 तक अडानी ने कोयले का दाम जितना बताया है, गुजरात सरकार उतनी पेमेंट करती रही. गुजरात सरकार ने इस दौरान अडानी की कंपनी को 13802 करोड़ रुपए का भुगतान किया. हैरानी की बात है कि गुजरात मॉडल की बात करने वाली गुजरात सरकार ने आर्गस ग्लोबल कंपनी के रेट से सत्यापन नहीं किया कि उस वक्त इंडोनेशिया में कोयले का क्या रेट था? गुजरात सरकार ने कोई जांच नहीं की. अडानी ने जितना बिल बनाकर दिया, सरकार ने उतना भुगतान कर दिया. एक सवाल यह भी उठा रहा है कि जब भारत में जरूरत से अधिक कोयले का उत्पादन किया जाता है तो अडानी को विदेश से कोयला खरीदने की जरूरत क्यों पड़ी? पिछले साल भारत में कोयले का उत्पादन 30 फीसद बढ़ा है. भारत में राज्य सरकारों को कोयला दो से तीन हजार रुपए प्रति टन मिलता है.

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आगे संजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि इसी वक्त हिंडनबर्ग की रिपोर्ट भी आई. जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तब गुजरात सरकार के अफसर घबरा गए. अफसरों को लगा कि अडानी के साथ उनको भी जेल जाना पडेगा. इसके बाद गुजरात सरकार कुम्भकर्ण की नींद से जागी और 15 मई 2023 को एक चिट्टी लिखी. इस चिट्टी में गुजरात सरकार ने कहा कि अडानी ने जहां-जहां से जितने दाम में कोयला खरीदा, उसका कोई प्रमाण, कागजात या बिल नहीं दिए. चिट्टी में लिखा है कि अडानी ने जिस वक्त इंडोनेशिया में महंगा कोयला बताया, उस वक्त कोयले का दाम सस्ता था. संजय सिंह ने कहा कि अडानी की कंपनी ने गुजरात सरकार से 3802 करोड़ रुपए का भुगतान लिया. गुजरात सरकार ने अडानी से यह पैसा वापस करने को कहा है. 

राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने मांग करते हुए कहा कि ईडी-सीबीआई, इनकम टैक्स विभाग और सरकार की अन्य जांच एजेंसियां कहां सो रही हैं? जांच एजेंसियां छोटी-छोटी बात पर बंगाल, उड़ीसा, तेलंगाना, तमिलनाडु पहुंच जाती हैं और दिल्ली में रोज छापेमारी कर रही हैं. सबको पकड़कर जेल में डाल रही हैं. लेकिन इन जांच एजेंसियों को हिंडनबर्ग दिखाई नहीं दे रहा है. ईडी-सीबीआई को जांच कर इन लोगों को पकड़ कर जेल में डालना चाहिए. 2018-23 तक फर्जी बिलों पर हस्ताक्षर करने वाले गुजरात के मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद ये मामला अगर सुप्रीम कोर्ट में नहीं होता तो गुजरात सरकार की ओर से ये चिट्टी जारी नहीं होती. 

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AAP सांसद संजय सिंह ने पूछे 3 सवाल:

1. जब 2007 में 25 साल के लिए 2.25 रुपए प्रति यूनिट बिजली देने का एग्रीमेंट हुआ था तो 2018 में किसके दबाव में वो एग्रीमेंट बदला गया और ज्यादा दाम देने की बात तय हुई?

2. जब 5 साल तक अडानी कोयले के बढ़े दाम दिखाकर बिल लगाता था तो गुजरात सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों ने उसकी जांच क्यों नहीं की? इन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोयले के दाम का पता क्यों नहीं किया? 10वीं कक्षा का बच्चा भी वेबसाइट पर जाकर भारत, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया में कोयले का दाम देखकर बता देगा. वहीं, गुजरात की इतनी शक्तिशाली सरकार इसकी जांच नहीं कर पाई और अडानी ने जो भी रेट लिखकर दिया, उसे सही मानकर भुगतान करती रही?

3. इस मामले में अब तक गुजरात सरकार क्यों चुप थी? जो ईडी-सीबीआई फर्जी तरीके से मामला बनाकर लोगों को गिरफ्तार करने की होड़ में लगी रहती हैं, ऐसे मसलों पर धृतराष्ट्र की तरह आंख पर क्यों पट्टी बांधी हुई थी? इन सवालों का जवाब सरकार को देना चाहिए.

संजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि ये वही अडानी हैं, जब गुजरात में बिजली संकट आया था, उस वक्त ज्यादा पैसे में दूसरे राज्यों को भी बिजली बेच रहे थे. अडानी ने गुजरात सरकार के साथ हुए एग्रीमेंट का भी उल्लंघन किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. 

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