
राज्यसभा ने महिलाओं के लिए गर्भपात से जुड़े कानूनी नियमों को थोड़ा आसान बनाते हुए ‘गर्भ का चिकित्सकीय समापन संशोधन विधेयक 2020’ पारित कर दिया है. इसके बाद अब आवश्यकता पड़ने पर महिलाओं के लिए गर्भधारण के 24 सप्ताह बाद भी गर्भपात कराना संभव होगा. अभी इसकी ऊपरी सीमा 20 सप्ताह है.
‘हर महिला’ को गर्भपात कराने का अधिकार
नए नियमों के हिसाब से अब से देश में सभी महिलाओं को गर्भपात कराने का अधिकार होगा. इसमें दुष्कर्म पीड़ित, नि:शक्त, परिवार में दुष्कर्म की पीड़ित, बलात्कार पीड़ित और नाबालिगों यानी ‘किसी भी महिला और उसके साथी’ को गर्भपात का अधिकार मिलेगा. पहले यह अधिकार मात्र शादीशुदा महिलाओं और उनके पतियों को मिलता था.
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने दिया जवाब
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्द्धन ने राज्यसभा में चर्चा के लिए विधेयक को पेश किया. इसके बाद चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ये एक प्रगतिशील विधेयक है जो महिलाओं को मदद करने वाला होगा. कुछ सदस्यों के विधेयक से महिलाओं की गरिमा को नुकसान पहुंचने की चिंता जताने पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ऐसा कोई भी कानून नहीं लाएगी जो महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाए.
सभी से किया सलाह-मशविरा
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस विधेयक को लाने से पहले विभिन्न मंत्रालयों के अलावा राज्य सरकारों, विभिन्न पक्षों, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), डॉक्टरों और महिला डॉक्टरों के संगठनों के साथ भी सलाह-मश्विरा किया गया. उन्होंने कहा कि इस संबंध में चर्चा के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) भी गठित किया गया था. उन्होंने कहा कि आचार समिति के साथ भी चर्चा की गयी, तब जाकर इस विधेयक को आकार दिया गया.
50 साल पुरानी कमियों को दूर करने की कोशिश
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस विधेयक के जरिए 50 साल पुराने कानून की कमियों को दूर करने का प्रयास किया गया है. इसे विभिन्न देशों के गर्भपात से संबंधित कानूनों का अध्ययन करने के बाद तैयार किया गया है.
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