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'मनमोहन सिंह मौन नहीं थे, बात कम लेकिन काम ज्यादा करते थे', संसद में जमकर बरसे अधीर रंजन

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने पुरानी संसद में सोमवार को दिए अपने संबोधन में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को याद किया. उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह को कहा जाता था कि वह मौन रहते हैं, वह मौन नहीं रहते थे. बल्कि काम ज्यादा और बात कम करते थे.

अधीर रंजन चौधरी (File Photo) अधीर रंजन चौधरी (File Photo)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

संसद के विशेष सत्र के पहले दिन की कार्यवाही पुराने भवन में ही चली. इस दौरान लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसद भवन की पुरानी यादों का ताजा किया. उन्होंने इस दौरान पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह तक कई प्रधानमंत्रियों को याद किया.

मनमोहन सिंह पर बात करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा,'हमारे मनमोहन सिंहजी को कहा जाता था कि वह मौन रहते हैं, वह मौन नहीं रहते थे. बल्कि काम ज्यादा और बात कम करते थे. जब जी-20 का सम्मेलन हुआ करता था, उस समय भी उन्होंने कहा था कि यह हमारे देश के लिए अच्छा है.'

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अंतिम दिन भावुक होना स्वाभाविक: अधीर

उन्होंने आगे कहा,'जब यह खबर मिल रही है कि आज इस सदन का अंतिम दिवस है तो सही मायनों में भावुक होना तो स्वाभाविक है. ना जाने कितने दिग्गजों और देशप्रेमियों ने देश के लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए यहां योगदान दिया है. बहुत सारे हमारे पूर्वज इस दुनिया को छोड़कर चले गए. उनकी याद हम करते रहेंगे. यह सदन जरूर कहेगा. जिंदगी में कितने दोस्त आए और कितने बिखर गए. कोई दो रोज के लिए आया तो किसी ने चलते ही सांस भर ली. लेकिन जिंदगी का नाम ही है दरिया, वो तो बस बहता रहेगा, चाहे रास्ते में फूल गिरें या पत्थर.'

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पंडित नेहरू और आंबेडकर की बात जरूर

अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जब संसद में संविधान की चर्चा हो, लोकतंत्र की चर्चा हो तो पंडित नेहरू और बाबा साहेब आंबेडकर की बात जरूर होगी. उन्होंने आगे कहा,'नेहरूजी को तो आर्किटेक्ट ऑफ मॉर्डन इंडिया कहा जाता था. वहीं, बाबा साहेब आंबेडकर को हम संविधान के जनक की मान्यता देते हैं. अच्छा लगा कि आज नेहरूजी के बारे में बात करने का मौका मिला.

2001 के आतंकी हमले को भी किया याद

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि इस संसद में 1929 में भगत सिंह ने बम फेंका था, लेकिन उनका मकसद किसी को आहत गकरना नहीं था. उन्होंने यह काम तो ब्रिटिश सरकार को जगाने के लिए किया था. इस संसद में ही 2001 में आतंकी हमला हुआ था. हमारे सुरक्षाबलों ने उसे नाकाम किया था. आज सबकी तरफ से हम उन्हें श्रद्धा अर्पित करते हैं. पंडित नेहरू के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जब पंडित नेहरू हिंदुस्तान के पीएम बने तब देश का हालत क्या थी. हमारी आयु सिर्फ 32 साल ही थी.

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