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'ताजमहल और लाल किला भी उड़ा दो', बीजेपी सांसद दिलीप घोष पर अधीर रंजन का पलटवार

सांसद दिलीप घोष रविवार सुबह खड़गपुर शहर के डीवीसी बाजार में भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ चाय पे चर्चा बैठक में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ब्रिटिश हों या पुर्तगाली, जिन्होंने हमारे देश पर एक हजार साल तक राज किया, उनका भारत में कोई स्मारक नहीं होगा, चाहे कुछ भी हो.

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (फाइल फोटो) कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (फाइल फोटो)
ऋत्विक भालेकर
  • कोलकाता,
  • 10 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:06 PM IST

बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने बीजेपी नेता दिलीप घोष की विवादास्पद टिप्पणी पर पलटवार किया है. दरअसल, दिलीप घोष ने रविवार को कहा कि राज्य में बीजेपी सत्ता में आई तो कोलकाता की सड़कों से 'गुलामी की निशानी' यानी अंग्रेजों द्वारा मार्गों पर लगाई गई सभी मूर्तियों को हटा दिया जाएगा. इसको लेकर वह एक बार फिर विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आ गए हैं. 

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कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उन्हें इतिहास की जानकारी नहीं है. फिर तो राष्ट्रपति को भी राष्ट्रपति भवन में जाने से रोक देना चाहिए. अगर ऐसा कुछ करना है तो उन्हें सबसे पहले राष्ट्रपति को राष्ट्रपति भवन से बाहर निकालना होगा. ताजमहल और लाल किला को भी उड़ा दो. क्या वे ऐसा कर सकते हैं?

बता दें कि सांसद दिलीप घोष रविवार सुबह खड़गपुर शहर के डीवीसी बाजार में भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ चाय पे चर्चा बैठक में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ब्रिटिश हों या पुर्तगाली, जिन्होंने हमारे देश पर एक हजार साल तक राज किया, उनका भारत में कोई स्मारक नहीं होगा, चाहे कुछ भी हो. कोलकाता की कई सड़कें ब्रिटिश मूर्तियों से भरी हुई थीं. वे सब अब कहां हैं? जब भाजपा सत्ता में आएगी तो हम उन सभी को उखाड़ फेंकेंगे. इन्हें विक्टोरिया मेमोरियल हाउस में रखा गया है. म्यूजियम में रखी चीजें म्यूजियम में ही रहेंगी. सड़कों पर नहीं. हमारे बच्चे सुबह उठकर विदेशियों का मुंह नहीं देखेंगे.

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'विदेशी लोगों ने नाम बदल दिए'उन्होंने कहा कि हम प्राचीन भारत को दुनिया के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं. देश का नाम बदलने पर विवाद चल रहा है. यहां टीएमसी पार्टी के मेरे दोस्तों को शायद पता नहीं होगा कि वे भारत या इंडिया क्यों कह रहे हैं, इसके पीछे का इतिहास क्या है. सीपीएम के लोगों के लिए भी ये बहुत मुश्किल है, जो हमेशा विदेशों पर ध्यान देते रहे हैं. विदेशी लोग अलग-अलग शहरों के नाम नहीं बोल पाते थे, इसलिए उन्होंने उनके नाम बदल दिए. और सारे नाम बदल रहे हैं. इंडिया बनेगा भारत. जिनको ये पसंद नहीं वो बाहर चले जायेंगे. यदि आप भारत की तलाश में हैं, तो जेल जाएं. वहां इंडिया हाउस है जहां सावरकर रहते थे.

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