
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और उनके परिवार की संपत्ति को लेकर बीजेपी आरोप लगा रही है. बीजेपी ने मंगलवार को कर्नाटक के राज्यपाल से गुहार लगाई कि मंत्री प्रियांक खड़गे को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए. आरोप है कि उनके पिता और कांग्रेस अध्यक्ष एम मल्लिकार्जुन खड़गे सहित उनके परिवार द्वारा संचालित एक ट्रस्ट को कथित तौर पर भूमि आवंटित की गई है.
कर्नाटक विधान परिषद में विपक्ष के नेता चालवडी टी नारायणस्वामी ने भाई-भतीजावाद का आरोप लगाते हुए दावा किया कि यह खड़गे द्वारा साथी अनुसूचित जाति के उद्यमियों के प्रति आपराधिक विश्वासघात का मामला है. हालांकि, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भूमि आवंटन का बचाव किया और कहा कि यह कानून के अनुसार किया गया है.
वहीं, कांग्रेस सरकार में इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी/बीटी और ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि इसमें कोई अवैधता नहीं है और बीजेपी पर राज्यपाल से शिकायत करके राजनीति करने का आरोप लगाया.
पीटीआई के मुताबिक बीजेपी नेता नारायणस्वामी ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मुलाकात के दौरान उन्हें सौंपे गए पत्र में कहा, "मैं अत्यंत दुख के साथ आपके संज्ञान में कर्नाटक सरकार के भाई-भतीजावाद का एक और मामला लेकर आया हूं."
उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को मार्च 2024 में नागरिक सुविधाओं (सीए) के लिए निर्धारित 45.94 एकड़ में से बेंगलुरु के पास हाईटेक डिफेंस एयरोस्पेस पार्क में कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) द्वारा एससी कोटे के तहत पांच एकड़ जमीन आवंटित की जा रही है. दिलचस्प बात यह है कि ट्रस्ट के ट्रस्टियों में मल्लिकार्जुन खड़गे, उनकी पत्नी राधाबाई, बेटे और मंत्री प्रियांक खड़गे, सांसद और दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि और छोटे बेटे राहुल खड़गे शामिल हैं.
उन्होंने सवाल उठाया कि खड़गे कैसे एयरोस्पेस उद्यमी बन गए? उन्होंने कहा, "विभाग ने इस आवंटन के लिए मंजूरी कैसे दी? क्या मुख्यमंत्री ने मंत्री (उद्योग) को भूमि आवंटित करने के लिए मजबूर किया?"
प्रियांक खड़गे को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग
उन्होंने राज्यपाल से मामले की गंभीरता का संज्ञान लेने और योग्य एससी उद्यमियों से एक और अवसर छीनने के लिए प्रियांक खड़गे को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, "यह खड़गे परिवार द्वारा अनुसूचित जाति के उद्यमियों के प्रति आपराधिक विश्वासघात का मामला है और मेरा मानना है कि यह कर्नाटक सरकार में मंत्री के रूप में ली गई शपथ का उल्लंघन है."
उधर, बीजेपी नेता और राज्यसभा सदस्य लहर सिंह सिरोया ने भी रविवार को खड़गे परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट को केआईएडीबी भूमि के कथित आवंटन पर सवाल उठाए और पूछा कि वे भूमि के पात्र होने के लिए एयरोस्पेस उद्यमी कब बन गए. उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या मामला सत्ता के दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों के टकराव का है.
प्रियांक खड़गे ने आरोपों से किया इनकार
सिरोया के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रियांक खड़गे ने सोमवार को कहा कि आवंटित साइट औद्योगिक या वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए औद्योगिक भूखंड नहीं है, बल्कि यह शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट का इरादा सीए साइट में एक बहु कौशल विकास केंद्र स्थापित करना है, उन्होंने पूछा कि क्या यह गलत है? उन्होंने कहा, "एससी/एसटी संगठनों को आवंटित नागरिक सुविधा भूखंडों के लिए कोई सब्सिडी या रियायती दरें नहीं हैं. ट्रस्टियों के पास अच्छी गुणवत्ता और किफायती शिक्षा संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन की पृष्ठभूमि है."
पत्रकारों से बात करते हुए, प्रियांक खड़गे ने कहा कि बीजेपी में बुनियादी सामान्य ज्ञान की कमी है कि सीए साइटों को आवंटित या नीलाम नहीं किया जाता है. उन्हें केआईएडीबी और सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार खरीदा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि 193 साइटों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे और केवल 43 संगठनों ने आवेदन किया था. इसलिए भाई-भतीजावाद, प्रभाव के आरोप निराधार हैं.
प्रेरणा ट्रस्ट, चाणक्य विश्वविद्यालय और राष्ट्रोत्थान सहित अन्य को भूमि आवंटित करने वाली पिछली बीजेपी सरकारों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, "यहां हम सीए साइट खरीद रहे हैं, हमने कोई सब्सिडी या आस्थगित भुगतान या कुछ भी अवैध नहीं मांगा है. इसमें क्या अवैध है, मुझे समझ में नहीं आता. सिर्फ मुख्यमंत्री और मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम लेकर और राज्यपाल से शिकायत करके, आप (बीजेपी) राजनीति कर रहे हैं."
आवंटन कानून के मुताबिक किया गया: सीएम सिद्धारमैया
भूमि आवंटन के बारे में आरोपों के बारे में पूछे जाने पर सीएम सिद्धारमैया ने कहा, "यह कानून के मुताबिक किया गया है. उनका ट्रस्ट पात्र है, इसलिए हमने ऐसा किया है. बीजेपी (सत्ता में रहते हुए) ने चाणक्य विश्वविद्यालय के लिए भूमि कैसे आवंटित की? हमने इसे कानून के अनुसार किया है."
यह कोई सार्वजनिक ट्रस्ट नहीं: नारायणस्वामी
राज्यपाल से मिलने से पहले पत्रकारों से बात करते हुए नारायणस्वामी ने कहा, "यह स्पष्ट है कि भूमि प्रमुख और प्रभावशाली लोगों को दी गई है." उन्होंने आरोप लगाया कि अन्य आवेदनों को खारिज करते हुए खड़गे को साइट आवंटित की गई थी. उन्होंने कहा, "यह साइट प्रमुख और प्रभावशाली लोगों को आवंटित की गई है, और इससे संदेह पैदा हुआ है. यहां ट्रस्ट में परिवार के सदस्य शामिल हैं, यह कोई सार्वजनिक ट्रस्ट नहीं है. ट्रस्ट कलबुर्गी में 'बुद्ध विहार' के लिए पंजीकृत है, यह एक धार्मिक ट्रस्ट है, लेकिन आपने (खड़गे ने) इसे आरएंडडी के लिए मांगा है, वह भी एयरोस्पेस पार्क में, इसका क्या संबंध है."
नारायणस्वामी ने इसे भाई-भतीजावाद का स्पष्ट मामला बताते हुए कहा, "यह एक पारिवारिक ट्रस्ट है और कोई मंत्री इसमें (ट्रस्ट में) निदेशक नहीं हो सकता. अगर वह इसमें है तो यह भाई-भतीजावाद है और यह स्पष्ट है कि भूमि प्राप्त करने के लिए प्रभाव का इस्तेमाल किया गया. इसलिए उनका (प्रियांक खड़गे) इस्तीफा तुरंत मांगा जाना चाहिए. यह एक और MUDA (कथित घोटाला, जिसमें सिद्धारमैया पर आरोप लग रहे हैं) है."