
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने यूपी में कराए जा रहे मदरसों के वक्फ सर्वे पर सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि हमारे देश में मदरसों को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने इसको लेकर सपा और विपक्ष की दूसरी पार्टियों को भी निशाने पर लिया. इस दौरान जनसंख्या नियंत्रण पर आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी है.
ओवैसी ने कहा कि जिन लोगों ने यूपी में चुनाव लड़ने के लिए मेरी आलोचना की, वो अब कहां हैं, जब मदरसा और वक्फ सर्वे कराया जा रहा है. अब तो अखिलेश यादव कुछ नहीं बोल रहे हैं. इस दौरान ओवैसी ने कहा कि हिंदू राष्ट्र भारतीय राष्ट्रवाद के खिलाफ है, यह देश के खिलाफ है. इस दौरान आरएसएस पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि ज्ञानवापी, मथुरा, कमल मौला मस्जिद, बाबा बुदन की दरगाह, महमूद गवां मदरसा, आडवाणी की रथ यात्रा और अयोध्या ये सब मुद्दे क्या आरएसएस ने शुरू नहीं किए थे? उन्होंने कहा कि जहां बीजेपी सरकार है, ऐसा लगता है कि मुसलमान खुली जेल में रह रहे हैं.
ओवैसी ने कहा कि देश में कुल प्रजनन दर घटकर 2% रह गई है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के 5वें रिकॉर्ड के अनुसार, मुसलमानों की कुल प्रजनन दर में सबसे अधिक गिरावट आई है. ओवैसी ने कहा साल 2020 में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि परिवार नियोजन की मजबूरी नहीं हो सकती और न ही हम चाहते हैं, लेकिन मोहन भागवत का कहना है कि जनसंख्या बढ़ रही है.
मुसलमानों की आबादी कम हो रही है: ओवैसी
आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयान पर ओवैसी ने कहा कि देश में मुसलमानों की आबादी नहीं बढ़ रही है. बल्कि वो लगातार कम हो रही है. इसके साथ ही ओवैसी ने कहा कि सबसे ज्यादा निरोध भी मुसलमान ही यूज करते हैं. मोहन भागवत इस पर कुछ नहीं बोलते हैं. इससे पहले भी ओवैसी ने कहा था कि अगर हिंदू और मुस्लिम का सेम डीएनए है, फिर असंतुलन वाली बात कहा से आती है. अभी जनसंख्या नियंत्रण की कोई जरूरत नहीं है. ओवैसी ने इस बात पर भी जोर दिया कि मोहन भागवत हर साल दशहरा के मौके पर हेट स्पीच देते हैं, लोगों को बढ़ती जनसंख्या का डर दिखाते हैं.
दशहरा पर मोहन भागवत ने दिया था बयान
दशहरा के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या नियंत्रण पर कहा था कि जाति-धर्म से ऊपर उठकर सभी को जनसंख्या नियंत्रण के बारे में सोचना पड़ेगा. भागवत ने कहा था कि भारत को गंभीर मंथन कर एक व्यापक जनसंख्या पॉलिसी लाने की जरूरत है. जनसंख्या में प्रमाण का भी संतुलन चाहिए. जनसंख्या असंतुलन का गंभीर परिणाम हमने भुगता है. ये 50 साल पहले हुआ था लेकिन आज के समय में भी ऐसा हो रहा है.
भागवत ने दिए कई देशों के उदाहरण
इस दौरान भागवत ने कई देशों के अलग होने का भी उदाहरण दिया. उन्होंनने कहा कि पूर्वी तिमोर नाम का एक नया देश बना, दक्षिण सूड़ान नाम का एक देश बना. कोसोवो बना. जनसंख्या में अंतर आने से नए देश बन गए, देश टूट गए. जन्म दर इसका देश भाग है, लेकिन जोर-जबरदस्ती, छल-कपट और लालच से मतांतरण इसका बड़ा फैक्टर है. जहां सीमा पार से घुसपैठ होती है वहां घुसपैठ से भी जनसंख्या पैटर्न में बदलाव आता है. इस संतुलन का ध्यान रखना देशहित की दृष्टि से अनिवार्य बात है.