
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है. लेकिन इन तीनों राज्यों में सीएम के नाम का ऐलान नहीं हो पाया है. राजस्थान की पूर्व सीएम और वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे ने दिल्ली में डेरा डाल लिया है. वहीं, कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा था कि ये 7 दिन में मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं कर पा रहे और बात करते हैं कि पार्टी में अनुशासन है. इसी बीच केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि हम सोमवार को अशोक गहलोत की इच्छा पूरी करेंगे. 5 साल तक उनकी सरकार में सिर्फ भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और आपसी मतभेद ही देखने को मिला.
अनुराग ठाकुर ने कहा कि हमारी पार्टी में ऊपर से कोई आदेश नहीं मिलता. बीजेपी में आंतरिक लोकतंत्र बहुत मजबूत है. सभी से चर्चा के बाद नेता चुना जाता है. दरअसल, अशोक गहलोत हार की समीक्षा बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंचे थे. एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए गहलोत ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा और कहा था कि विधानसभा के चुनाव में काम के ऊपर चर्चा नहीं हुई और बीजेपी वाले बस कन्हैयालाल मर्डर पर चर्चा करते रहे, तनाव का माहौल बनाकर ध्रुवीकरण किया इसलिए भाजपा जीत गई.
बता दें कि तीन राज्यों में सीएम के नाम के ऐलान के लिए बीजेपी ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े और सरोज पांडेय को राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाया गया है. वहीं, हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर, के लक्ष्मण, आशा लकड़ा को मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है. जबकि छत्तीसगढ़ के लिए अर्जुन मुंडा, सर्वानंद सोनोवाल और दुष्यंत गौतम को चुना गया है. ये पर्यवेक्षक विधायक दल की बैठक में विधायकों की राय लेंगे. बीजेपी आलाकमान की मुहर के बाद रविवार तक नामों का ऐलान हो सकता है. बताया जा रहा है कि रविवार को विधायक दल की बैठक हो सकती है.
बीजेपी ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी बिना सीएम चेहरे के चुनाव लड़ा था. पार्टी ने पीएम मोदी के चेहरे और सामूहिक नेतृत्व के दम पर तीनों राज्यों में जीत हासिल की. ऐसे में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री चेहरे का चुनाव करना है. बीजेपी आलाकमान न सिर्फ इन चेहरों के दम पर 2024 लोकसभा चुनाव के लिए सभी समीकरण साधने की कोशिश में है, बल्कि स्थानीय बगावत को भी रोकना चाहता है.