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'हिंदू मठों का भी हो सर्वे...', UP में वक्फ की संपत्तियों की जांच वाले आदेश पर भड़के असदुद्दीन ओवैसी

यूपी में वक्फ की संपत्तियों की जांच वाले आदेश पर असदुद्दीन ओवैसी ने नाराजगी जताई है. AIMIM प्रमुख ओवैसी ने कहा कि यूपी सरकार का आदेश गैरकानूनी है, जिसे वापस लिया जाना चाहिए. ओवैसी ने कहा कि यह एक तरह से छोटी NRC है.

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मदरसों के सर्वे का भी विरोध किया AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मदरसों के सर्वे का भी विरोध किया
अब्दुल बशीर
  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST

उत्तर प्रदेश में मदरसों के सर्वे के बाद अब वक्फ की संपत्तियों की जांच का आदेश दिया गया है, जिसका विरोध हो रहा है. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यूपी सरकार का आदेश गैरकानूनी है, जिसे वापस लिया जाना चाहिए. उन्होंने शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि वे दोनों आखिर क्या कर रहे हैं? ओवैसी ने कहा कि यह एक तरह से छोटी NRC है.

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असदुद्दीन ओवैसी बोले कि मैं मदरसों के सर्वे के वक्त से बोल रहा हूं कि यह साजिश है. ऐसा करके मुसलमानों को व्यवस्थित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है. इस वक्त शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड क्या कर रहे हैं?

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि अगर सरकार को मदरसों का सर्वे करना है तो हिंदू मठों का भी सर्वे कीजिए. सबका सर्वे होना चाहिए. प्रेस कॉन्फ्रेंस में ओवैसी ने कहा कि अगर सरकार मदरसों का सर्वे उनकी जमीन पर अतिक्रमण रोकने के लिए कर रही है, तो फिर वक्फ बोर्ड को सरकार कुछ शक्तियां भी दे.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में असदुद्दीन ओवैसी ने कर्नाटक हिजाब विवाद पर भी बात की. वह बोले कि हिजाब पहनना अपनी मर्जी की बात है. यह संस्कृति को बचाने का हिस्सा है.

यूपी सरकार ने क्या आदेश दिया है?

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यूपी में मदरसों के सर्वे के साथ ही वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की जांच भी की जाएगी, यह फैसला यूपी सरकार ने मंगलवार को लिया था. मंगलवार को योगी सरकार ने 1989 के वक्त के वक़्फ़ के एक शासनादेश को रद्द कर दिया. सरकार का कहना है कि 33 साल पहले एक गलत अध्यादेश जारी हुआ था और अब सरकार उस गलती को सुधार रही है.

अब 1989 के बाद वक्फ में शामिल हुईं संपत्तियों की जांच कराई जाएगी और सभी पुरानी गलतियां सुधारी जाएगी. दरअसल, 1989 में एक गलत आदेश के आधार पर ऊंची या टीलेदार जमीने, बंजर भूमि, उसर भूमि को वक्फ की संपत्ति के तौर पर स्वतः दर्ज करने का आदेश जारी हुआ था, जिसका दुरुपयोग जमकर हो रहा था.

बहुत सारी जमीनें जो कि कृषि योग्य थी या बंजर और उसर थी, इसी आदेश के हवाले से उसे वक्फ मानकर वक्फ के तहत दर्ज कर दिया जाता था. सरकार का कहना है कि कब्रिस्तान, मस्जिद और ईदगाह जमीनों का सही-सही आकलन हो, उनका सीमांकन किया जाए क्योंकि 1989 के इस अध्यादेश को आधार बनाकर बहुत सारी ऐसी संपत्तियां जो राजस्व अभिलेखों में बंजर, भीटा उसर थी, उसे भी अभिलेखों में वक्फ के तौर पर दर्ज करवा दिया गया है.

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