
राजस्थान कांग्रेस की अंदरूनी कलह खत्म होने के बजाय बढ़ती जा रही है. अशोक गहलोत की जगह मुख्यमंत्री पद के लिए सचिन पायलट का नाम आते ही गहलोत के करीबी विधायकों ने बगावती रुख अपना रखा है. कांग्रेस हाईकमान का संदेश लेकर जयपुर गए पर्यवेक्षक अजय माकन ने इसे अनुशासनहीनता की संज्ञा दी है. वहीं, गहलोत खेमे से फ्रंटफुट पर तीन नेता खड़े नजर आ रहे हैं और सुर्खियों में बने हुए हैं.
गहलोत खेमे से शांति कुमार धारीवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास और महेश जोशी की तिकड़ी ने सिर्फ पायलट के मुख्यमंत्री बनने की राह में ही रोड़ा नहीं बने बल्कि कांग्रेस आलाकमान के द्वारा जयपुर भेजे गए दूतों को भी सीधे चुनौती दे दी है. ऐसे में धारिवाल ने पूरे मामले के लिए माकन को जिम्मेदार ठहराया है तो खाचरियावास ने सड़कों पर खून बहाने तक की चुनौती दे दी है. ऐसे में सभी के मन में यही बात है कि अशोक गहलोत की तरफ से मोर्चा संभालने वाले तीनों ही नेता कौन हैं और उनका सियासी कद क्या है?
शांति कुमार धारिवाल
राजस्थान में गहलोत की जगह नए सीएम बनाने के लिए शुरू हुई सियासत में सीधे पार्टी आलाकमान को चुनौती देने वाले शांति कुमार धारीवाल का नाम चर्चा में है. धारीवाल कांग्रेस के दिग्गज नेता और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक माने जाते हैं. धारीवाल की सियासी अहमियत इस बात से ही पता चलता है कि गहलोत ने अपनी तीनों ही सरकार में उन्हें जगह दी और मंत्रिमंडल में नंबर दो की हैसियत में रखा. साल 2020 में सचिन पायलट गुट की बगावत के समय भी शांति कुमार धारीवाल गहलोत के लिए संकट मोचक साबित हुए थे.
शांति कुमार धारीवाल का जन्म 29 अक्टूबर 1943 को राजस्थान के कोटा जिले में हुआ. राजस्थान के जैन समुदाय से आने वाले शांति धारीवाल अपने पिता रिखवचंद धारीवाल की सियासी विरासत संभाली और कांग्रेस के सदस्य के रूप में अपना सफर शुरू किया. कोटा उत्तर से तीन बार विधायक और कोटा लोकसभा से एक कार्यकाल के लिए संसद सदस्य थे. 2020 में अशोक गहलोत के लिए संकट मोचक बनकर उभरे और राजस्थान में कांग्रेस के फंड मैनेजर भी माने जाते हैं. गहलोत के करीबी होने के चलते धाकीवाल पायलट विरोधी रुख अपना रखा है.
गहलोत खेमे से धारीवाल फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं और पायलट से लेकर माकन तक पर निशाना साधने से चूक नहीं रहे. ऐसे में अजय माकन ने धारीवाल के घर पर विधायकों की बैठक को अनुशासनहीनता की संज्ञा दी है. वहीं, धारिवाल ने माकन पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग आज अनुशासनहीनता की बात कर रहे हैं, वो उन लोगों पर क्यों नहीं बोलते जिन्होंने पार्टी के साथ गद्दारी की थी और सरकार को संकट में डाल दिया था. उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस को हटाने का षडयंत्र हो रहा हैं. इस षड्यंत्र में कई और लोग भी शामिल हैं और अगर पार्टी आलाकमान मुझसे सबूत मांगेगा तो मैं सबूत पेश कर दूंगा.
प्रताप सिंह खाचरियावास
राजस्थान के सियासी संग्राम में गहलोत खेमे से सबसे आगे प्रताप सिंह खाचरियावास मोर्चा संभाल हुए नजर आ रहे हैं और मुखर भी हैं. कांग्रेस विधायकों के धारीवाल के घर पर बैठक के बाद इस्तीफे देने के लिए स्पीकर सीपी जोशी के घर लेने जाने वालों में खाचरियावास थे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वही होगा, जिसको आलाकमान हमारे 102 विधायकों में से राय लेकर तय करेंगे. बीजेपी राजस्थान में सरकार गिराने का षड्यंत्र कर रही है. बीजेपी का जो षड्यंत्र चल रहा है, उसे कामयाब नहीं होने देना है. साथ ही खाचरियावास ने कहा कि कांग्रेस सरकार को बचाने के लिए सड़कों पर खून भी बहा सकते हैं और कांग्रेस के एक-एक कार्यकर्ताओं को सड़क पर उतरना होगा.
प्रताप सिंह खाचरियावास सीएम गहलोत के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं. राजपूत समुदाय से आने वाले खाचरियावास का जन्म 16 मई 1971 को जोधपुर में हुआ था. उनके पिता का लक्ष्मण सिंह शेखावत हैं. खाचरियावास पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के भतीजे हैं. जयपुर विश्वविद्यालय के छात्र राजनीति से निकले प्रताप खाचरियावास ने अपना सियासी सफर बीजेपी से किया और राजस्थान बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं, लेकिन 2004 में कांग्रेस का दामन थामा.
पहली बार 2008 में प्रताप सिंह खाचरियावास विधायक बने और 2018 में दूसरी बार विधायक चुने गए. 2015 में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता बने और जयपुर कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. गहलोत सरकार में फिलहाल मंत्री हैं और 2020 में सचिन पायलट ने जब बगावत की थी तो शुरू में खाचरियावास भी शामिल थे, लेकिन बाद में वापस आए गए. ऐसे में कहा गया था कि गहलोत ने उन्हें पायलट खेमे में प्लांट किया था.
महेश जोशी
गहलोत खेमे से तीसरा चेहरा मुख्य सचेतक महेश जोशी हैं. पर्यवेक्षकों के कहने पर महेश जोशी ने विधायक दल की बैठक के लिए पहले विधायकों को फोन किया था और उसके बाद शांति कुमार धारीवाल के घर पर बैठक के लिए विधायकों को बुलाया था. इस बार महेश जोशी ने कहा कि हमारा मकसद था कि विधायक दल की बैठक में तरह-तरह की बातें न उठे और इसलिए हमने आपस में बात करने का निर्णय लिया था. जोशी ने साफ शब्दों में कहा था कि हमारी मांग है कि जिन्होंने कांग्रेस को कमज़ोर करने की और सरकार गिराने की कोशिश की उनमें से किसी को भी सीएम न चुना जाए.
महेश जोशी का जन्म 14 सितंबर 1954 को हुआ है. महेश जोशी ने अपना सियासी सफर छात्र राजनीति से शुरू किया और कांग्रेस के टिकट पर विधायक और सांसद तक रह चुके. जयपुर के दिग्गज नेता माने जाते हैं. 1998 में पहली बार विधायक बने और 2018 में दूसरी बार विधानसभा पहुंचे हैं. इससे पहले 2009-2014 तक जयपुर से सांसद रहे. कांग्रेस सेवादल से लेकर प्रदेश संगठन में रहे और प्रवक्ता भी रह चुके हैं. मौजूदा समय में सीएम गहलोत के मजबूत सिपहसलार माने जाते हैं और मुख्य सचेतक की जिम्मेदारी निभा रहे हैं?
कांग्रेस हाईकमान सख्त
राजस्थान कांग्रेस में चल रही उठापटक के बीच अब पार्टी आलाकमान ने सीएम गहलोत और उनके करीबी नेता पर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है. पूरे मामले के लिए मुख्य सचेतक महेश जोशी और संसदीय कार्यमंत्री शांतिलाल धारीवाल को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने की खबरें हैं. इन नेताओं से पूछा गया है कि उन्होंने पार्टी विरोधी कृत्य क्यों किए और रविवार को निर्धारित विधायक दल की बैठक को दरकिनार कर पृथक बैठक क्यों बुलाई गई थी. हालांकि, मंत्री महेश जोशी ने कहा कि उन्हें फिलहाल कोई नोटिस नहीं मिला है.