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Ashwani Kumar quits congress: पार्टी छोड़कर बोले अश्विनी कुमार- पंजाब में कांग्रेस चुनाव हार रही है और AAP आ रही है

Ashwani Kumar quits congress: कांग्रेस के सीनियर नेता अश्विनी कुमार ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है. आजतक से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस में रहना अब मुश्किल हो रहा था. उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक पार्टी को ज्वाइन करने का ऑप्शन अभी खुला है.

अश्वनी कुमार ने 46 साल बाद कांग्रेस छोड़ी (फाइल फोटो) अश्वनी कुमार ने 46 साल बाद कांग्रेस छोड़ी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 3:39 PM IST
  • 'दर्द समझकर भी समझने को तैयार नहीं कांग्रेस हाईकमान'
  • अश्वनी कुमार ने 46 साल बाद कांग्रेस छोड़ी
  • मनमोहन सरकार में कानून मंत्री रहे, गांधी परिवार के करीबी थे

Ashwani Kumar quits congress: कांग्रेस के सीनियर नेता अश्विनी कुमार ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया है. करीब 46 साल कांग्रेस में रहे अश्विनी कुमार ने इस्तीफे के बाद कहा है कि पंजाब विधानसभा चुनाव में नतीजे चौंकाने वाले होंगे, क्योंकि वहां कांग्रेस चुनाव हार रही है और आम आदमी पार्टी की सरकार आ रही है.

आजतक से बातचीत में अश्विनी ने कहा कि देश और समाज की सेवा अगर पार्टी में रहकर नहीं की जा सकती तो पार्टी में रहना बेहतर नहीं है. क्या अश्विनी जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधियाऔर आरपीएन सिंह की तरह बीजेपी में जाएंगे? इस सवाल पर अश्विनी ने कहा कि उन्होंने अभी कोई फैसला नहीं लिया है, ना ही बीजेपी में जाने की बात की है. ना वह किसी नेता के संपर्क में हैं. लेकिन वह क्या फैसला लेंगे, इसपर आने वाले कुछ दिनों में फैसला लेंगे.

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जवाब में आगे अश्विनी ने कहा कि बीजेपी उनको लिए अछूत पार्टी नहीं है और वह मानते हैं कि देश की हर कमी के लिए पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराना भी ठीक नहीं है. अश्विनी कुमार ने कहा कि मेरा हमेशा से मानना है कि विचारों की लड़ाई होनी चाहिए, व्यक्तिगत नहीं. वह बोले कि अब और दम से राजनीति करूंगा और अपनी तकदीर खुद लिखूंगा क्योंकि आज देश को लोगों को जोड़ने वाली राजनीति की जरूरत है.

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कांग्रेस पर साधा निशाना

अश्विनी कुमार गांधी परिवार के करीबी थे, तो क्या उन्होंने पार्टी छोड़ने से पहले राहुल, सोनिया से बात की? इसपर उन्होंने कहा कि मैंने किसी से बात नहीं की, क्योंकि मुझे यह ठीक नहीं लगा. वह बोले कि अगर किसी की आहत को कोई समझ नहीं पाता तो उसे कुछ बताने का फायदा नहीं होता.

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आगे एक शेर पढ़ते हुए कुमार ने कहा कि इक हिज्र जो हम को लाहक है ता-देर उसे दोहराएं क्या, वो जहर जो दिल में उतार लिया फिर उस के नाज़ उठाएं क्या. वह बोले कि जब फैसला ले ही लिया था तो चर्चा का क्या ही मतलब बनता.

कुमार ने आगे कहा कि सोनिया गांधी के प्रति उनके मन में इज्जत है जो आगे भी रहेगी. लेकिन जब हमारी चिंताएं देखकर जब उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया तो उनको अपना दर्द बताने का क्या फायदा.

अंधकार में है नई कांग्रेस का भविष्य - अश्विनी कुमार

सोनिया ब्रिगेड, मनमोहन ब्रिगेड, राहुल ब्रिगेड में क्या कुछ फर्क नजर आया? इसपर अश्विनी कुमार ने कहा कि नई कांग्रेस जिसको खड़ा करने की कोशिश हो रही है, उसका भविष्य अंधकार में दिखता है. उसमें कोई सीनियर या जूनियर आए उससे फर्क नहीं पड़ता. कुमार ने कहा कि आने वाले 10-12 सालों में मुझे इस पार्टी का भविष्य अंधकार में ही दिखाई पड़ता है.

क्या राहुल गांधी को अध्यक्ष पद को लेकर जल्द फैसला लेना चाहिए? इसपर अश्विनी कुमार ने कहा कि किसी अकेले शख्स से ना पार्टी चढ़ती है, ना डूबती है. जब ढांचा ही खराब हो जाए तो कोई क्या करे.

पंजाब की रार का किया जिक्र

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आगे पंजाब चुनाव का जिक्र करते हुए अश्विनी कुमार ने कहा कि पंजाब में कमियां साफ दिख रही हैं. कभी ऐसा नहीं सुना था कि बीच चुनाव में सीएम पद की कुर्सी के लिए लड़ाई हो, जबकि गद्दी अभी मिली नहीं है. वह बोले कि पंजाब में कांग्रेस का मजाक बनाया जा रहा है. वहां ऐसा दिखाया जा रहा जैसे दो-तीन नेताओं के अलावा किसी ने पार्टी के लिए कुछ किया ही नहीं है. ऐसे हालातों में इतनी पुरानी पार्टी आगे कैसे बढ़ेगी यह मेरी समझ के बाहर है.

उन्होंने कहा कि मुझे जितना समझ आ रहा है कि पंजाब में कांग्रेस चुनाव हार रही है, AAP चुनाव जीत रही है. AAP के उम्मीदवार का नाम नहीं सुना था वहां लोग झाड़ू की बात कर रहे हैं. देहाती इलाकों में जहां कभी अकाली दल, कांग्रेस का वर्चस्व था वहां नए उम्मीदवारों को समर्थन मिलता दिख रहा है. वह बोले कि 10 तारीख के नतीजों पर तो वह बात नहीं कर सकते, लेकिन उन्होंने जो पंजाब में देखा, सुना उसपर अनुमान लगा सकते हैं.

जी-23 पर भी बोले अश्विनी

अश्विनी कांग्रेस में बने असंतुष्ट नेताओं के ग्रुप जी-23 का हिस्सा क्यों नहीं थे. इसपर अश्विनी ने कहा कि मेरी लड़ाई इस बात से थी कि जी-23 वाले पार्टी के अंदर हमेशा चुनावों की बात करते थे. बुनियादी मुद्दों की बात नहीं करते थे. जबकि ये खुद जानते थे कि गांधी परिवार के चलते चुनाव में इनको पार्टी के अंदर 10 वोट नहीं मिलेंगे. वह बोले कि जी-23 ऐसी लड़ाई थी जिसका कोई मतलब नहीं था, इसलिए वह उसमें शामिल नहीं थे. कुमार ने दावा किया कि कांग्रेस के अंदर रहकर गांधी परिवार से लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती.

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पार्टी छोड़ते वक्त अश्विनी कुमार ने कहा कि पार्टी नेतृत्व को सोचना चाहिए कि पार्टी के निष्ठावान लोग क्यों धीरे-धीरे पार्टी को अलविदा कह रहे हैं. मैंने ये फैसला अपनी ​अस्मिता और सम्मान को समक्ष रखकर लिया गया है. कांग्रेस अब वो पार्टी नहीं है जो पहले थी.

 

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