Advertisement

Exit Poll AajTak 2022: आखिर कैसे होता है Exit poll, कैसे पता चल जाते हैं काउंटिंग से पहले ही नतीजे 

Assembly elections exit polls 2022: 10 मार्च को वोटों की गिनती की जाएगी जिसके बाद उत्तर प्रदेश को नई सरकार मिल जाएगी. नतीजों से पहले आज तमाम एजेंसियां एग्जिट पोल जारी करेंगी.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
Priyank Dwivedi
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 1:01 PM IST
  • वोटिंग वाले दिन ही होता है एग्जिट पोल
  • एग्जिट पोल दिखाने के भी हैं कुछ नियम
  • वोटिंग चलने तक नहीं दिखा सकते एग्जिट पोल

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आज 7वें और आखिरी चरण की वोटिंग हो रही है. शाम को वोटिंग खत्म होने के बाद एग्जिट पोल दिखाए जाएंगे. ये एग्जिट पोल उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में हुए विधानसभा चुनावों के भी रहेंगे. एग्जिट पोल से चुनावी नतीजों की एक तस्वीर पता चलती है. हालांकि, कई बार एग्जिट पोल गलत भी साबित होते हैं. 

Advertisement

लेकिन कैसे कराए जाते हैं एग्जिट पोल?

एग्जिट पोल में एक सर्वे किया जाता है, जिसमें वोटरों से कई सवाल किए जाते हैं. उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट दिया. ये सर्वे वोटिंग वाले दिन ही होता है. सर्वे करने वाली एजेंसियों की टीम पोलिंग बूथ के बाहर वोटरों से सवाल करती है. इसका एनालिसिस किया जाता है और इसके आधार पर चुनावी नतीजों का अनुमान लगाया जाता है. भारत में कई सारी एजेंसियां एग्जिट पोल करवाती हैं.

तीन तरह के होते हैं चुनावी सर्वे

1. प्री पोलः ये सर्वे चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद और वोटिंग शुरू होने से पहले किए जाते हैं. जैसे 5 राज्यों की चुनाव की तारीखों का ऐलान 9 जनवरी को हुआ था और 10 फरवरी से पहले चरण की वोटिंग शुरू हुई थी, तो प्री पोल सर्वे 9 जनवरी के बाद और 10 फरवरी से पहले हो चुके होंगे.

Advertisement

2. एग्जिट पोलः ये सर्वे वोटिंग की तारीख वाले दिन ही होती है. इसमें वोटरों का मन टटोलने की कोशिश की जाती है. उत्तर प्रदेश में 7 चरण में चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में हर चरण की वोटिंग वाले दिन ही ये सर्वे होता है. ये पोलिंग बूथ के बाहर किया जाता है और वोट देकर बाहर आने वाले लोगों से सवाल किए जाते हैं.

3. पोस्ट पोलः ये सर्वे वोटिंग खत्म होने के बाद किया जाता है. जैसे 7 मार्च को वोटिंग खत्म हो जाएगी. अब कल से या एक-दो दिन बाद से पोस्ट पोल सर्वे शुरू हो जाएगा. इसमें आमतौर पर ये जानने की कोशिश होती है कि किस तरह के वोटर ने किस पार्टी को वोट दिया. 

एग्जिट पोल को लेकर क्या है गाइडलाइंस?

- एग्जिट पोल को लेकर भारत में पहली बार 1998 में गाइडलाइंस जारी हुई थीं. चुनाव आयोग ने आर्टिकल 324 के तहत 14 फरवरी 1998 की शाम 5 बजे से 7 मार्च 1998 की शाम 5 बजे तक एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल के नतीजों को टीवी और अखबारों में छापने या दिखाने पर रोक लगा दी थी. 1998 के आम चुनाव का पहला चरण 16 फरवरी को और आखिरी चरण 7 मार्च को हुआ था.

Advertisement

- इसके बाद समय-समय पर चुनाव आयोग एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल को लेकर गाइडलाइंस जारी करता है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 के मुताबिक, जब तक सारे फेज की वोटिंग खत्म नहीं हो जाती, तब तक एग्जिट पोल नहीं दिखाए जा सकते. आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए जा सकते हैं. 

- इस बार भी पांच राज्यों के चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल की गाइडलाइंस जारी की थी. इसमें 10 फरवरी की सुबह 7 बजे से लेकर 7 मार्च की शाम 6:30 बजे तक एग्जिट पोल के नतीजे दिखाने पर रोक है. चुनाव आयोग की ये गाइडलाइंस न सिर्फ टीवी चैनल या मीडिया बल्कि आम लोगों पर भी लागू होती है.

-कानून के तहत अगर कोई भी चुनाव प्रक्रिया के दौरान एग्जिट पोल या चुनाव से जुड़ा कोई भी सर्वे दिखाता है या चुनाव आयोग की गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है तो उसे 2 साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.

2004 में गलत साबित हुए थे एग्जिट पोल

एग्जिट पोल के नतीजे कई बार एकदम सटीक तो कई बार गलत भी साबित होते हैं. 2004 के लोकसभा चुनाव में एग्जिट पोल के नतीजे और चुनावी नतीजे एकदम उलट थे. 

Advertisement

2004 में एग्जिट पोल में कहा जा रहा था कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनेगी और NDA की सरकार बनेगी, लेकिन जब नतीजे आए तो NDA 200 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाया और 189 पर सिमट गया. कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी और UPA की सरकार बनी.

2009 के लोकसभा चुनाव में भी NDA और UPA में कड़ी टक्कर होने की बात कही गई. लेकिन जब नतीजे आए तो UPA ने 262 और NDA ने 159 सीटें जीतीं.

2014 और 2019 के आम चुनाव के एग्जिट पोल सही साबित हुए. दोनों ही बार एग्जिट पोल में बीजेपी की जीत का अनुमान लगाया गया था और नतीजों में भी यही रहा. 2014 में बीजेपी ने 282 और 2019 में 303 सीटें जीतीं.

भारत में क्या है चुनावी सर्वे का इतिहास?

भारत में चुनावी सर्वे और एग्जिट पोल की शुरुआत 1980 के दशक से मानी जाती है. तब चार्टर्ड अकाउंटेंट से पत्रकार बने प्रणय रॉय ने वोटरों को मूड जानने के लिए ओपिनियन पोल किया था. शुरुआती सालों में एग्जिट पोल मैग्जीन में छपा करते थे. 

1996 का लोकसभा चुनाव एग्जिट पोल के लिहाज से काफी अहम था. उस समय दूरदर्शन पर एग्जिट पोल दिखाए गए थे. ये पहली बार था जब टीवी पर एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए गए. ये सर्वे सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) ने किया था.

Advertisement

उस चुनाव में CSDS ने अपने एग्जिट पोल में खंडित जनादेश का अनुमान लगाया था. हुआ भी ऐसा ही था. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत से दूर रह गई थी. अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, लेकिन बहुमत नहीं होने के कारण 13 दिन में ही इस्तीफा देना पड़ा.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement