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बंगाल में अवॉर्ड वापसी: ममता बनर्जी को सम्मान मिलने से नाराज लेखिका ने लौटाया पुरस्कार

Award Wapsi In West Bengal: बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को साहित्य के क्षेत्र में अवॉर्ड दिए जाने पर एक लेखिका ने अपना पुरस्कार वापस कर दिया है. ममता को एक कार्यक्रम के दौरान उनकी किताब के लिए यह सम्मान दिया गया.

विरोध स्वरूप सम्मान लौटाने वालीं रत्न राशिद बनर्जी और सीएम ममता बनर्जी. विरोध स्वरूप सम्मान लौटाने वालीं रत्न राशिद बनर्जी और सीएम ममता बनर्जी.
aajtak.in
  • कोलकाता,
  • 11 मई 2022,
  • अपडेटेड 1:14 PM IST
  • लेखिका ने बंगाल के शिक्षा मंत्री को चिट्ठी लिखकर आपत्ति जताई
  • 2019 में लेखिका को मिला था अन्नद शंकर स्मारक सम्मान

Award Wapsi In West Bengal: बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को साहित्य के क्षेत्र में अवॉर्ड दिए जाने का विरोध शुरू हो गया है. इसके विरोध में संस्कृति के क्षेत्र में शोध करने वाली एक बंगाली लेखिका ने अपना पुरस्कार लौटा दिया है. सीएम ममता को पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी की तरफ से साहित्य में योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया गया था.

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सम्मान लौटाने वाली लेखिका का नाम रत्न राशिद बनर्जी है. उन्हें 2019 में पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी ने 'अन्नद शंकर स्मारक सम्मान' से नवाजा था, जिसे उन्होंने मंगलवार को अकादमी को लौटा दिया. पुरस्कार लौटाने के साथ ही उन्होंने अकादमी के अध्यक्ष और बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु को एक पत्र भी लिखा. उन्होंने लिखा कि सीएम को रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर एक नया साहित्यिक पुरस्कार दिया गया. इस फैसले के बाद उन्हें मिला पुरस्कार 'कांटों का ताज' बन गया है.

लेखिका ने एजेंसी से कहा कि मैंने पत्र लिखकर अकादमी को पुरस्कार वापस करने के फैसले के बारे में बता दिया है. उन्होंने कहा कि एक लेखिका के तौर पर सीएम को साहित्यिक पुरस्कार देने के कदम से मैं अपमानित महसूस कर रही हूं. इससे एक बुरी मिसाल कायम होगी. रत्न राशिद बनर्जी ने कहा कि सीएम की साहित्यिक खोज की प्रशंसा करने वाला अकादमी का बयान सत्य का उपहास है.

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ममता बनर्जी को क्यों मिला सम्मान?

दरअसल, बंगाल सीएम ममता बनर्जी को दिए गए सम्मान की शुरुआत इस साल से ही की गई है. सोमवार को टैगोर जयंती पर एक सरकारी कार्यक्रम में इसका ऐलान किया गया. सीएम बनर्जी को उनकी पुस्तक 'कबीता बिटान' के लिए यह पुरस्कार दिया गया. इस पुस्तक में 900 से ज्यादा कविताओं का संग्रह है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस कार्यक्रम में मौजूद थीं. लेकिन उनकी तरफ से ब्रत्य बसु ने यह पुरस्कार ग्रहण किया.

लेखिका बोलीं- ममता कुशल राजनेता, लेकिन...

लेखिका रत्न राशिद बनर्जी ने कहा कि सीएम ममता बनर्जी पिछले 3 बार से भारी बहुमत के साथ राज्य पर शासन कर रही हैं. मैं उनकी राजनीतिक लड़ाई का सम्मान करती हूं, लेकिन इसकी तुलना इस बात से नहीं की जा सकती कि उन्होंने साहित्य के लिए कितना काम किया. मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.

पुरस्कार न लेकर दिखानी थी परिपक्वता- लेखिका

30 से ज्यादा लेख और लघु कथाएं लिखने वाली लेखिका ने कहा कि अकादमी के अध्यक्ष ब्रत्य बसु ने सीएम की उपस्थिति में सीएम को पुरस्कार देने का ऐलान किया, लेकिन सीएम चाहतीं तो पुरस्कार स्वीकार न करके परिपक्वता का परिचय दे सकती थीं. बसु ने कहा कि अकादमी ने अपनी घोषणा में कहा था कि उन लोगों का सम्मान किया जाएगा, जिन्होंने साहित्य के साथ-साथ समाज के दूसरे क्षेत्रों की बेहतरी के लिए अथक प्रयास किए हैं.

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लेखिका ने कहा कि वे ममता की किताब को साहित्य का हिस्सा नहीं मानती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ी हुई हैं.

(ऋत्विक मंडल के इनपुट सहित)

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