
लोकसभा चुनाव को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने 16 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है. इसमें फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा सीट से अवधेश प्रसाद को अपना प्रत्याशी बनाया है. समाजवादी पार्टी ने अयोध्या जैसी प्रतिष्ठित सीट पर इतना बड़ा दांव अवधेश प्रसाद पर क्यों लगाया और अवधेश प्रसाद समाजवादी पार्टी के लिए इतने महत्वपूर्ण क्यों है. आइए आपको बताते हैं.
अवधेश प्रसाद वर्तमान में अयोध्या जनपद की मिल्कीपुर विधानसभा से सपा के विधायक है. लंबे समय से समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे हैं और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के काफी करीबी लोगों में इनका भी नाम लिया जाता था. राजनीति की शुरुआत इन्होंने जनता पार्टी से की थी और 1977 में पहली बार अयोध्या जनपद की सोहावल विधानसभा से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. इसके बाद तो अवधेश प्रसाद ने पीछे मुड़कर नहीं देखा 1985, 1989, 1993, 1996, 2002, 2007 और 2012 लगातार विधानसभा चुनाव जीतते रहे हैं.
सात साल पहले रुका था विजय रथ
अवधेश प्रसाद का विजय रथ 2017 में तब रुका, जब मिल्कीपुर विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी गोरखनाथ बाबा ने उन्हें 28,276 मतों से हरा दिया. मगर इस हार के बाद अवधेश प्रसाद 2022 में फिर उभरकर सामने आए और मिल्कीपुर विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़कर भाजपा प्रत्याशी गोरखनाथ बाबा को 13,000 से अधिक मतों से पराजित कर एक बार फिर सपा का परचम लहरा दिया.
दलित वोट बैंक पर खासी पकड़
समाजवादी पार्टी की स्थापना से ही जुड़े रहे अवधेश प्रसाद दलित समाज से हैं. अयोध्या जनपद की सोहावल और मिल्कीपुर विधानसभा से जीत कर यह 9 बार विधानसभा पहुंचे हैं. मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे अवधेश प्रसाद को विधानसभा में वरिष्ठ सदस्य के रूप में जाना जाता है और अखिलेश यादव के बगल में ही इन्हें बैठने का स्थान दिया गया है. दलित वोट बैंक पर खासी पकड़ होने के साथ-साथ यादव और मुस्लिम मतदाताओं का समीकरण इनके साथ है.
वोटर्स की नब्ज टटोलने में माहिर
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण और भाजपा के राष्ट्र प्रेम जैसे तरकश के तीर को मजबूत ढाल से कोई चुनौती पेश कर सकता है तो वह अवधेश प्रसाद जैसा नेता ही हो सकता है, जिसको राजनीति का अच्छा अनुभव है और मतदाताओं की नब्ज टटोलने में माहिर हैं. लिहाजा समाजवादी पार्टी ने उनके नाम पर जो दांव चला है उसकी काट के लिए भाजपा को भी मजबूत रणनीति बनानी होगी. देखना दिलचस्प होगा कि बहुजन समाज पार्टी किसे अपना उम्मीदवार बनाती है और उससे अवधेश प्रसाद को कितनी चुनौती पेश आती है.