
अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को हुआ बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी. इस मामले में बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, विनय कटियार सहित कुल 32 आरोपी शामिल हैं. अदालत तय करेगी अयोध्या में विवादित ढांचा साजिशन गिराया गया था या कारसेवकों के गुस्से में ढांचा तोड़ा गया. ऐसे बीजेपी नेताओं पर लगे आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो उन्हें 2 साल से लेकर 5 साल की सजा हो सकती है.
बाबरी विध्वंस मामले में कुल 49 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी. इनमें से 17 का निधन हो चुका है बाकी 32 आरोपी अभी हैं. सीबीआई की विशेष अदालत ने बाबरी विध्वंस के आरोपी लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा व विष्णु हरि डालमिया पर धारा 120 बी यानी आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया. इन सबके खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी, 147, 149, 153ए, 153बी और 505 (1) के तहत मुकदमा चला.
महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चंपत राय बंसल, धर्मदास और डॉ. सतीश प्रधान पर भी आईपीसी की धारा 147, 149, 153ए, 153बी, 295, 295ए व 505 (1) बी के साथ ही धारा 120 बी के तहत आरोप हैं. कल्याण सिंह के राज्यपाल पद से हटने के बाद 17 सितंबर 2019 को उन पर भी उपरोक्त सभी धाराएं लगाई गईं. इस तरह 49 में से कुल 32 अभियुक्तों के मुकदमे की कार्यवाही शुरू हुई, शेष 17 अभियुक्तों की मौत हो चुकी है.
सीबीआई की विशेष अदालत ने 1 सितंबर 2020 तक पूरे मामले की सुनवाई कर फैसला लिखना शुरू कर दिया है और अब 30 सितंबर को फैसला आएगा. ऐसे में सभी की निगाहें टिकी है कि सीबीआई की विशेष अदालत क्या फैसला लेती है. अगर किसी को सजा हुई तो वह क्या होगी. दिल्ली हाईकोर्ट के वकील सैय्यद इमरान अली बतातें हैं कि बाबरी विध्वंस मामले में सबसे बड़ा मामला 120 बी का है, जो पूरे मामले की साजिश के लिए लगाई है.
उन्होंने कहा कि अदालत में यह साबित हो जाता है कि अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 में जो हुआ है, वो एक साजिश के तहत किया गया है. ऐसे में जिन भी आरोपियों पर 120बी का मामला है, उन्हें ज्यादा से ज्यादा 5 साल की सजा हो सकती है और बाकी मामलों में 2 साल तक की सजा हो सकती है. सीबीआई की अदालत आरोपियों को 3 साल तक की सजा देता है तो उन्हें निचली अदालतें जमानत दे सकती है, लेकिन अगर किसी को 5 साल की सजा हुई तो फिर उसके लिए हाईकोर्ट जाना पड़ेगा. ऐसे में सभी की निगाहें बुधवार को आने वाले फैसले पर है.
हालांकि, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार के वकील विमल श्रीवास्तव के मुताबिक बचाव पक्ष ने अपनी पूरी दलील पेश की है. यह भी कहा कि साजिश और साथ-साथ भड़काऊ भाषण दोनों के आरोप सही नहीं है क्योंकि कार सेवा करने गए लोग वहां कार सेवकों को रोकते नजर आए, जो उस वक्त विवादित ढांचा गिरा रहे थे. साजिश के भी कई पक्ष रहे. बचाव पक्ष के मुताबिक इन नेताओं ने कोई साजिश नहीं रची थी और यह सब कुछ अनायास और अचानक ही हुआ था. अब फैसले का वक्त है और सब कुछ सीबीआई के विशेष जज पर ही कि वो क्या फैसला करते हैं. इस पर सबकी नजर होगी.