
कर्नाटक में बीजेपी ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदल दिया है. बीएस येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई ने बुधवार को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेकर सत्ता की कमान अपने हाथों में ले ली है. बोम्मई के सिर भले ही सीएम का ताज सज गया हो, पर मिशन-2023 की सियासी जंग फतह करने का जिम्मा भी उन्हीं के कंधों पर होगा. उनके सामने येदियुरप्पा के इशारे पर कांग्रेस और जेडीएस छोड़कर बीजेपी में आए नेताओं के साथ-साथ पार्टी के पुराने और बुजुर्ग नेताओं के साथ बैलेंस बनाकर रखने की बड़ी चुनौती है. ऐसे में देखना है कि सीएम बोम्मई कैसे कैबिनेट में संतुलन बनाते हैं?
मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद बोम्मई अपने मंत्रिमंडल की कवायद में जुट गए हैं. बीएस येदियुरप्पा के मंत्रिमंडल में जो चेहरे शामिल थे, उनमें से कुछ की कैबिनेट से छुट्टी हो सकती हैं तो कई नए चेहरों को जगह मिल सकती है. इसी के मद्देनजर बोम्मई शुक्रवार को दिल्ली पहुंचेंगे और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करेंगे. इस दौरान वो मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के साथ विचार-विमर्श करेंगे.
कर्नाटक मंत्रिमंडल में केवल 34 नेताओं को शामिल किया जा सकता है. केंद्रीय मंत्रिमंडल के फेरबदल से ऐसा प्रतीत होता है कि कर्नाटक में बीजेपी 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अधिक ऊर्जावान शुरुआत के लिए युवा और नए चेहरों को शामिल करना चाहती है. बसवराज बोम्मई के सामने उनके सामने एक बड़ा काम है कि उत्तर कर्नाटक में बाढ़ की स्थिति के साथ-साथ महामारी से निपटने के लिए कैबिनेट का गठन जल्द करें.
बता दें कि येदियुरप्पा की सरकार में ऐसे कई मंत्री थे, जिन्हें पार्टी में बाहरी माना जाता है. ये नेता कांग्रेस और जेडीएस का साथ छोड़कर बीजेपी में आए थे, जिनके चलते बीजेपी की कर्नाटक में सरकार बन सकी थी. इसीलिए उन्हें येदियुरप्पा ने मंत्री पद के साथ पुरस्कृत किया था, लेकिन नेतृत्व परिवर्तन के साथ अब दलबदलू नेता अनिश्चितता की चपेट में आ गए हैं.
सीएम बसवराज बोम्मई को बीएस येदियुरप्पा का करीबी माना जाता है. ऐसे में येदियुरप्पा के खिलाफ बगावत का झंडा उठाने वाले कई नेता कश्मकश में फंस गए हैं. कांग्रेस-जेडीएस छोड़कर बीजेपी में आने वाले 17 नेताओं में से 11 को बीएस येदियुरप्पा ने अपनी कैबिनेट में जगह दी थी, लेकिन नई कैबिनेट में उन्हें जगह मिलेगी कि नहीं यह तस्वीर साफ नहीं है.
नई कैबिनट गठन में बीजेपी के वफादार और पुराने कार्यकर्ताओं को मान्यता देने की बढ़ती मांग को देखते हुए, संभावना है कि कई दलबदलुओं को हटा दिया जाएगा और मंत्रियों के प्रदर्शन और जाति के गणित के आधार पर कुछ ही लोगों को शामिल किया जाएगा. कांग्रेस-जेडीएस छोड़कर बीजेपी में आने वाले विधायकों को डर है कि उनसे मंत्री पद छीना जा सकता है, या फिर उनको इस बार कैबिनेट में जगह नहीं मिलेगी.
ऐसे नेताओं ने सीएम बसवराज बोम्मई से एक निजी होटल में मुलाकात की है. उन्होंने सीएम से कहा है कि कैबिनेट से उनको ना हटाया जाए. उन्होंने येदियुरप्पा का नाम लेकर कहा है कि उनके बलिदान की वजह से बसवराज सीएम बने हैं, इसलिए जिस तरह येदियुरप्पा ने उन्हें तवज्जो दी, उसी तरह वह भी दें.
वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी के वरिष्ठ नेता और येदियुरप्पा सरकार मंत्री रहे जगदीश शेट्टार ने खुद ही बोम्मई कैबिनेट से बाहर रहने की बात कही है. शेट्टार ने कहा कि मैं एक पूर्व सीएम रहा हूं. इसीलिए मैंने नैतिक आधार पर नई कैबिनेट में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. पहले भी मैंने कहा था कि येदियुरप्पा वरिष्ठ नेता हैं और पहले मैंने उनके साथ काम किया है इसलिए मुझे उनके अधीन मंत्री होने में कोई आपत्ति नहीं थी.
माना जा रहा है कि शेट्टार की तरह येदियुरप्पा की कैबिनेट में रहने वाले कई वरिष्ठ नेता बोम्मई के अगुवाई में काम करने के लिए तैयार नहीं है. बसवराज बोम्मई की कैबिनेट से जगदीश शेट्टार, ईश्वरप्पा, शशिकला झोले, श्रीनिवास पुजारी, एमटीबी नागराज, श्रीमंत पाटिल, गोपालैया और आर शंकर को नई कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकती है.
वहीं, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा. मैंने पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार से उनके बयान पर बात की है जो उन्होंने मेरे मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं. मैंने उनसे कहा है कि हम एक साथ बड़े हुए हैं और हमारे बीच सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व से भी इस संबंध में चर्चा करने की बात सीएम ने कही है.
येदियुरप्पा सरकार में डॉ के सुधाकर ने कहा कि कैबिनेट की बैठक के बाद कुछ मंत्री सीएम के चैंबर में गए. बता दें कि डॉ के सुधाकर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे. डॉ सुधाकर ने कहा कि हमारे नेता येदियुरप्प पर हमें विश्वास था और हम आए. साथ ही हम सभी एक पार्टी के रूप में भाजपा के सिद्धांतों, विचारधारा से सहमत थे. हम यहां सिर्फ सत्ता के लिए या किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं आए हैं. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले बीसी पाटिल भी कहते हैं कि हमारी वजह से सरकार बनी है.
माना जा रहा है कि बसवराज की नई कैबिनेट में पूर्णिमा, सुनील कुमार, मुनिरत्न, राजू गौड़ा और राजीव को मंत्री के रूप में जगह मिल सकती है. पार्टी के पुराने और मजबूत नेता हैं, जिन्हें येदियुरप्पा सरकार में मौका नहीं मिल पाया था. ऐसे में देखना है कि बोम्मई कैसे कर्नाटक में अपनी कैबिनेट के जरिए संतुलन साधते हैं?