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डीके शिवकुमार VS एचडी कुमारस्वामी: कर्नाटक में इस बार वोक्कालिगा समुदाय का किसे मिलेगा आशीर्वाद?

दरअसल, जब कर्नाटक ने 2018 के विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश देखा तो उसके बाद राज्य में रिसॉर्ट पॉलिटिक्स और फिर बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के साथ बड़े स्तर पर राजनीतिक ड्रामा हुआ था. एचडी कुमारस्वामी बड़े नेता बनकर उभरे और ममता बनर्जी, के चंद्रशेखर राव, एमके स्टालिन जैसे नेताओं के समर्थन से सीएम की कुर्सी संभाली.

JDS के नेता कुमारस्वामी और कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार. JDS के नेता कुमारस्वामी और कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार.
सगाय राज
  • बेंगलुरु,
  • 05 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:09 AM IST

कर्नाटक में एक बार फिर विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ गया है. ऐसे में सभी राजनीतिक दल के नेताओं ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. राज्य में इस बार का चुनाव बेहद रोचक होने जा रहा है. क्योंकि, इस चुनाव में वोक्कालिगा समुदाय के दो बड़े नेताओं पर सबकी निगाहें हैं. पिछले चुनाव में इन दोनों नेताओं ने हारी बाजी को जीतकर अपनी ताकत का लोहा मनवाया था. हालांकि, बाद में दोनों के बीच दूरियां बढ़ गईं और अब दोनों नेताओं के बीच खुद को ताकतवर के तौर पर स्थापित करने की चुनौती है.

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दरअसल, जब कर्नाटक ने 2018 के विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश देखा तो उसके बाद राज्य में रिसॉर्ट पॉलिटिक्स और फिर बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के साथ बड़े स्तर पर राजनीतिक ड्रामा हुआ था. एचडी कुमारस्वामी बड़े नेता बनकर उभरे और ममता बनर्जी, के चंद्रशेखर राव, एमके स्टालिन जैसे नेताओं के समर्थन से सीएम की कुर्सी संभाली. तब जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन को एक उभरती ताकत और भाजपा के लिए एक सही जवाब कहा गया. हालांकि, 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए कुछ और ही साबित हुआ. पार्टी को बड़ी निराशा हाथ लगी.

दोनों नेताओं की वजह से गठबंधन की बनी थी सरकार

वहीं, विधानसभा चुनाव की बात करें तो संख्याबल के खेल में भाजपा मात खा गई और कांग्रेस-जेडीएस ने मामूली अंतर से बढ़त बनाकर सत्ता हासिल कर ली. इस जोड़तोड़ के पीछे दो बड़े चेहरों के नाम सामने आए और दोनों वोक्कालिगा समुदाय से जुड़े थे. पहले- एचडी कुमारस्वामी और दूसरे- डीके शिवकुमार. इन दोनों नेताओं की बदौलत कर्नाटक में गठबंधन की सरकार बन सकी. जबकि लिंगायत समुदाय के येदियुरप्पा और कुरुबा के सिद्धारमैया राजनीतिक तौर पर घेर लिए गए.

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आज डीके और कुमार आमने-सामने

कर्नाटक ने चार साल में चार मुख्यमंत्री देखे हैं. इनमें सबसे पहला नाम सिद्धारमैया, फिर कुमारस्वामी, बाद में येदियुरप्पा से लेकर बोम्मई तक को सत्ता की कमान संभालने का मौका मिला. इस बार चुनाव से पहले नए समीकरण के साथ राजनीति देखने को मिल रही है. वोक्कालिगा समुदाय का नेता बनने के लिए आज डीके शिवकुमार और कुमारस्वामी आमने-सामने हैं.

वोक्कालिगा समाज का सबसे पहले नेतृत्व करने वाला है देवेगौड़ा परिवार

एचडी देवेगौड़ा और उनका परिवार राजनीतिक रूप से वोक्कालिगा समाज का नेतृत्व करने वाला पहला परिवार रहा है. उन्होंने एसएम कृष्णा को मात दी, जो मांड्या के वोक्कालिगा भी हैं.

आज दूसरी पीढ़ी की लड़ाई

डीके शिवकुमार ना सिर्फ एसएम कृष्णा के बारिस के तौर पर जाने जा रहे, बल्कि उनके परिवार का भी हिस्सा हैं. डीके की बेटी ने एसएम कृष्णा के पोते अमर्त्य से शादी की है. देवेगौड़ा के बाद वोक्कालिगा मेंटल की लड़ाई दूसरी पीढ़ी में आज उनके बेटे कुमारस्वामी और डीके शिवकुमार के बीच लड़ी जा रही है.

वंशवाद की राजनीति को लग रहा है ग्रहण

जब कुमारस्वामी मौजूदा सीएम थे, तब उनके बेटे निखिल ने मांड्या में 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था. मांड्या में जेडीएस की सभी 7 विधानसभा सीटों पर कब्जा था. हालांकि, निखिल चुनाव हार गए थे. इससे यही साबित होता है कि जेडीएस की वंशवाद की राजनीति धीरे-धीरे अपने पतन की ओर ले जा रही है.
 
इस बीच, शिवकुमार की लोकप्रियता बढ़ती देखी जा रही है. उनके जेल का समय सिर्फ भाजपा के संकटों को जोड़कर समाप्त हुआ और सिद्धारमैया के गुट के प्रतिरोध के बावजूद शिवकुमार को कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) का अध्यक्ष बनाया गया.

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डीके कई इलाकों में मजबूत स्थिति में

डीके शिवकुमार ने मैसूर, मांड्या, हसन, रामनगर, कोलार, चिकबल्लापुर, चिकमगलूर, शिमोगा, बेंगलुरु समेत वोक्कालिगा समुदाय के वर्चस्व वाले अधिकांश जिलों में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है.

हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में जेडीएस के भीतर बगावत का पर्दाफाश हुआ था. जेडीएस के ज्यादातर मौजूदा विधायक खुलेआम डीके शिवकुमार के समर्थन में खड़े हुए और कांग्रेस का टिकट हासिल किया.

स्वीकार्यता वोटों में तब्दील होगी?

बढ़ती स्वीकार्यता डीके शिवकुमार के सीएम बनने की ओर इशारा करती हैं. क्योंकि येदियुरप्पा की अनुपस्थिति से भाजपा कमजोर हो रही है और कई विधायकों के साथ छोड़ने से जेडीएस का पतन हो रहा है. क्या ये स्वीकार्यता वोटों में तब्दील होगी और क्या शिवकुमार अगले वोक्कालिगा समुदाय के ताकतवर नेता के रूप में उभरेंगे, यह महत्वपूर्ण सवाल है.

यह भी बताते चलें कि केम्पेगौड़ा दिवस के दौरान मंच पर देवगौड़ा, कुमारस्वामी, सदानंद गौड़ा, मठ प्रमुख निर्मलानंद स्वामीजी और डीके शिवकुमार मंच पर बैठे देखे गए. इस दौरान शिवकुमार ने मंच पर आकर कहा कि केम्पेगौड़ा केंगल हनुमंतैया और एसएम कृष्णा बेंगलुरु के विकास के लिए जाने गए. डीके के इस बयान को देवेगौड़ा और कुमारस्वामी के लिए तंज के तौर पर माना गया.

 

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