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भारत जोड़ो यात्रा से आगे का राहुल गांधी का क्या प्लान? 2024 तक ऐसे एक्टिव रहेगी कांग्रेस

कन्याकुमारी से कश्मीर तक के लिए निकली कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को समाप्त हो गई है, लेकिन इसी के साथ राहुल गांधी की अगुवाई में दूसरे चरण की पदयात्रा का प्लान बन गया है. सुस्त पड़ी कांग्रेस में राहुल गांधी ने उम्मीद जगा दी है. ऐसे में कांग्रेस ने पूरे साल एक्टिव रहने की रणनीति तैयार की है?

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 31 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:47 PM IST

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को श्रीनगर में खत्म हो गई है. 2014 से कांग्रेस देश की सत्ता से बाहर है. खिसकते सियासी जनाधार और सुस्त पड़ी कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक की चार हजार किलोमीटर से ज्यादा की पदयात्रा की. इस दौरान राहुल ने बेरोजगारी, आर्थिक और सामाजिक असंतुलन जैसे मुद्दे उठाकर लोगों से जुड़ने की कवायद करते नजर आए. भारत जोड़ो यात्रा समापन के साथ ही सवाल उठने लगे है कि अब राहुल का अगला प्लान क्या है. आगे किस दिशा में अपनी राजनीति को आगे बढ़ाएंगे? 

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पांच महीने तक चली भारत जोड़ो यात्रा को वैसे तो गैर राजनीतिक यात्रा कहा जाता रहा है, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल या नेता द्वारा आयोजित की जानी वाली ऐसी यात्राएं हमेशा से राजनीतिक ही रहीं हैं. ऐसे में राहुल की यात्रा का मकसद भी सियासी ही माना जा रहा है. राहुल की यात्रा से कांग्रेस के हौसले और मनोबल इतने बुलंद हैं कि पार्टी ने राहुल गांधी के नेतृत्व में पदयात्रा के दूसरे चरण का ऐलान कर दिया है. 2024 तक कांग्रेस ने खुद को एक्टिव रखने और जमीन पर उतरकर अपने लिए माहौल बनाने का खास प्लान बनाया है? 

कांग्रेस का हाथ से हाथ जोड़ो अभियान

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के खत्म होने से पहले ही कांग्रेस ने अपना अगला अभियान शुरू कर चुकी है. देश के अलग-अलग राज्यों में गणतंत्र दिवस से कांग्रेस का 'हाथ से हाथ जोड़ो' अभियान चल रहा है, जो तीन महीने चलेगा. राहुल गांधी के 'भारत जोड़ो यात्रा' के अपने तजुर्बों को शेयर करने वाले एक खत के साथ कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता एक-एक गांव और हर घर जाकर लोगों से मिल रहे हैं. इसके तहत जिलास्तरीय और राज्यस्तरीय सम्मेलन और रैलियां करने की रूप रेखा बनाई गई है.

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राहुल गांधी पदयात्रा पर फिर निकलेंगे

हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के बाद कांग्रेस भारत जोड़ो अभियान के दूसरे चरण का प्लान बना रही है. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक अंग्रेजी अखबार से इंटरव्यू में कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में पदयात्रा का दूसरा चरण जरूर होगा. उन्होंने कहा कि यात्रा का फाइनल रोडमैप तो अभी बना नहीं है, लेकिन दूसरा चरण जरूर होगा, जिसमें राहुल गांधी शामिल होंगे.   

हालांकि, वेणुगोपाल ने कहा कि दो-तीन महीने के बाद भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण जरूर होगा. इस बार यात्रा पश्चिम से पूर्व की ओर जा सकती है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को ही पदयात्रा के समापन रैली में गांधी परिवार से पश्चिम से पूर्व की ओर यात्रा शुरू करने का आग्रह किया था, जिसमें वो भी शिरकत करेंगे. राहुल गांधी अगले दो-तीन महीने के ब्रेक के बाद एक बार फिर से पदयात्रा पर निकलेंगे, लेकिन इस बार गुजरात या महाराष्ट्र से पूर्वोत्तर तक चलकर सियासी नब्ज की थाह लेंगे. 

2024 तक कांग्रेस ऐसे रहेगी एक्टिव

राहुल गांधी की अगुवाई में दूसरे चरण की पदयात्रा ऐसे समय शुरू हो रही है जब देश के कई अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश गर्म रहेगी. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक जैसे राज्यों में चुनाव है. अगले साल लोकसभा चुनाव है. इसी मद्देनजर कांग्रेस ने 2023 में पूरे साल तक खुद को एक्टिव रखने का प्लान बनाया है. कांग्रेस छत्तीसगढ़ के रायपुर में 24 से 26 फरवरी तक अधिवेशन करेगी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकर्जुन खड़गे संगठनात्मक मुद्दों पर फैसले लेंगे. इतना ही नहीं वह अपने संगठन को भी रूप देंगे.  

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राहुल गांधी की क्या छवि बदली

राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा का अघोषित मकसद उनका छवि निर्माण करना था, जिसके लिए कांग्रेस पार्टी ने पूरी कोशिश भी की. इस यात्रा के बहाने राहुल गांधी एक ऐसे नेता के तौर पर उभर कर सामने आए जो कह सकता है कि वह देश की नब्ज को समझते हैं. दक्षिण से लेकर उत्तर तक राहुल गांधी पदयात्रा करते अपनी व्यतिकगत छवि बेहतर बनाने की कोशिश की है, लेकिन सवाल यह रह जाता है कि कांग्रेस को सियासी संजीवनी दे पाएंगे. 

केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यात्रा का मकसद चुनावी प्रभाव डालना नहीं था. बेरोजगारी, मंहगाई, विभाजनकारी और नफरत भरी राजनीति के खिलाफ कुछ ठोस नारे दिए गए थे. उसका शंखनाद सुनाई दिया. यात्रा वैसे भी किसी राजनीतिक मंच से नहीं की गई थी, लेकिन इसने कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर ऊर्जावान बना दिया. उत्तर भारत के राज्यों में राहुल गांधी का जिस तरह स्वागत हुआ है, वह बताता है कि बीजेपी ने जो नैरेटिव सेट किया था, वो बदल रहा है. राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसे नेता के रूप में उभरे हैं जो ईमानदार, दृढ़ संकल्प और करुणा के प्रतीक हैं. 

 

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