
2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को एकजुट करने की कवायद जारी है. कभी एनसीपी चीफ शरद पवार, कभी तेलंगाना के सीएम और BRS प्रमुख केसीआर तो कभी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके नेता एमके स्टालिन इसके लिए मशक्कत करते हुए नजर आते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसी राह पर आगे बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं. उन्होंने एक ही दिन सपा प्रमुख और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के साथ-साथ पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी से मुलाकात करने की योजना बनाकर सियासी खलबली मचा दी है.
सीएम नीतीश कुमार आज यूपी की राजधानी लखनऊ में अखिलेश यादव तो वहीं पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में ममता बनर्जी से मुलाकात करने वाले हैं. इसे सीधे तौर पर नीतीश की BJP विरोधी मोर्चाबंदी के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि नीतीश पहली बार विपक्षी एकता के लिए प्रयास करते हुए नजर आ रहे हैं. इससे पहले करीब 10 दिन पहले ही उन्होंने इसे लेकर एक बड़ा ऐलान किया था.
2024 में पूरे देश का दौरा करेंगे नीतीश
नीतीश ने तब कहा था कि 2024 के चुनाव में वे पूरे देश का दौरा करेंगे. इस दौरान विपक्षी एकजुटता पर जोर दिया जाएगा. इसे लेकर सब लोगों के साथ दिल्ली में बात हो चुकी है. कांग्रेस और बाकी दल भी सहमत हैं. नीतीश ने कहा था,'सात महीने से बात रुकी पड़ी थी, लेकिन जब दिल्ली बुलाकर बात की गई तो सबसे सब बात हुई.' नीतीश ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा था कि दिल्ली में जो बैठे हैं, उनको काम से नहीं, बल्कि प्रचार से मतलब है. इतिहास बदलने का प्रयास हो रहा है.
स्टालिन भी दिखा चुके हैं अपनी ताकत
बिहार के सीएम अकेले नहीं हैं, जो विपक्ष को धार देने की कोशिश में लगे हुए हैं. हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन उन दलों को एक मंच पर लेकर आ गए थे, जिन्हें अब तक कांग्रेस साथ लाने में सफल नहीं हो पा रही थी. स्टालिन उन राजनीतिक पार्टियों को ना सिर्फ अपने मंच पर साथ लाए थे, बल्कि उन्होंने मंच से बीजेपी के खिलाफ लड़ाई छेड़ने का ऐलान भी किया था.
अहंकार छोड़कर एकजुट होने की अपील
स्टालिन के जन्मदिन पर एक मार्च को चेन्नई में एकजुट हुए विपक्षी दलों के नेताओं से उन्होंने कहा था कि 2024 का लोकसभा चुनाव इसलिए नहीं है कि इसमें कौन जीतता है, बल्कि इसलिए है कि इसमें किसको नहीं जीतना चाहिए. स्टालिन ने कहा था कि यह मेरे जन्मदिन का समारोह नहीं है. बल्कि विपक्षी एकता की शुरुआत है. इसके ठीक एक महीने बाद एमके स्टालिन ने फिर विपक्षी दलों को सामाजिक न्याय सम्मेलन के नाम पर इकट्ठा किया था और उनसे 2024 में अहंकार छोड़कर बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की अपील की थी.
बीजद और YSR कांग्रेस इससे दूर!
हालांकि, स्टालिन की इस एकजुटता में भी कुछ दलों ने शिरकत नहीं की थी. उनके सामाजिक सम्मेलन में नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और जगन मोहन रेड्डी की वाइएसआर कांग्रेस को भी न्योता भेजा गया था, लेकिन दोनों ही दलों ने शिरकत नहीं की थी. बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस दोनों ही दलों ने अब तक खुद को विपक्षी एकता से बाहर रखा हुआ है. ज्यादातर विपक्षी दल तर्क देते हैं कि बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस खुद को सत्तारूढ़ एनडीए के करीब रखना पसंद करते हैं और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के विरोध से बचते हैं.