Advertisement

'नए संसद भवन की क्या जरूरत, बेकार है वहां जाना...', उद्घाटन से पहले बोले नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नई संसद के उद्घाटन से पहले केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. नीतीश कुमार ने कहा है कि देश को नई संसद की जरूरत नहीं थी और सरकार ने केवल इतिहास बदलने के उद्देश्य से नई संसद का निर्माण करवाया.

नीतीश कुमार ने नई संसद के निर्माण और उद्घाटन को लेकर सरकार पर कसा तंज नीतीश कुमार ने नई संसद के निर्माण और उद्घाटन को लेकर सरकार पर कसा तंज
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 मई 2023,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे, जिसे लेकर जमकर सियासत हो रही है. कांग्रेस सहित विपक्ष के 21 दलों ने उद्घाटन समारोह का बॉयकॉट करने का फैसला किया है. विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए. अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अलग ही बयान देते हुए कहा कि नया संसद भवन नहीं बनना चाहिए था. उन्होंने कहा कि सरकार पुराना इतिहास बदलना चाहती है.

Advertisement

क्या कहा नीतीश ने

मीडिया से बात करते हुए नीतीश कुमार ने कहा, 'शुरू में भी बात हो रहा था कि ये (संसद भवन) बन रहा है, तो भी हमको अच्छा नहीं लग रहा था. ये तो इतिहास है, आजादी हुई तो जिस चीज की जहां पर शुरूआत हो गई, उसे वहीं पर विकसित कर देना चाहिए.अलग से बनाने का कोई मतलब नहीं है. क्या पुराना इतिहास ही बदल दीजिएगा? हमको अच्छा नहीं लग रहा है कि ये नया संसद भवन बना रहे हैं. पुराना इतिहास बदलना चाहते हैं बस. नया संसद भवन नहीं बनाना चाहिए था. जो पुराना संसद भवन था उसी को सही करना चाहिए था. मैं तो इसके खिलाफ हूं. ये लोग सब इतिहास बदलना चाह रहे हैं. बेकार है वहां जाना. कोई मतलब नहीं है वहां जाने का. क्या जरूरत है वहां जाने की और उस भवन को बनाने की.'

Advertisement

इतिहास बदलना चाहती है सरकार

उद्घाटन समारोह का विपक्षी दलों द्वारा विरोध किए जाने पर नीतीश ने कहा,  'खैर और पार्टियां कह रही हैं कि वो राष्ट्रपति को नहीं बुलाने की वजह से नहीं जा रही है.वो जो भी कारण हैं, लेकिन हमको लगता कि इसकी क्या जरूरत थी अलग से बनाने की. तो बिल्डिंग थी उसी को ठीक करते, जो इतिहास है उसे भुला देंगे क्या? आप जान लीजिए कि जो आजकल शासन में हैं वो सारे इतिहास को बदल देंगे. आजादी की लड़ाई के इतिहास को बदल देंगे.जो पहले पीएम थे नेहरू जी, उनकी मौत के समय हम स्कूल में पढ़ रहे थे...हम मानते हैं कि देश का जो इतिहास है वो बहुत आवश्यक है... नया बनाने की क्या जरूरत थी..इन लोगों को तो पूरा इतिहास बदलना है, इसलिए बदल रहे हैं.'

वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू रविवार को इस उद्घाटन समारोह का विरोध करेगी. बिहार जदयू अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा,'जदयू के पदाधिकारी पटना उच्च न्यायालय के पास बीआर अंबेडकर की प्रतिमा पर इकट्ठा होंगे और रविवार को एक दिन का उपवास रखेंगे, जो प्रथम नागरिक के अपमान के विरोध में होगा, जो शीर्ष पद पर आसीन होने वाली पहली आदिवासी महिला भी हैं'

कौन से दल विरोध में, कौन साथ में?

21 विपक्षी दलों ने संसद के उद्घाटन का बायकॉट का ऐलान किया है. इन दलों में कांग्रेस, डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, AIMIM, AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं.

Advertisement

इन दलों ने न्योता किया स्वीकार

बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), नेशनल पीपल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल - सोनीलाल, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, तमिल मनीला कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, आजसू (झारखंड), मिजो नेशनल फ्रंट, वाईएसआरसीपी, टीडीपी, बीजद, बीएसपी, जेडीएस, शिरोमणि अकाली दल शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट से भी झटका

शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें  भारत के राष्ट्रपति द्वारा नई संसद का उद्घाटन करने के लिए लोक सभा सचिवालय और भारत सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी.  सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई है. कोर्ट ने कहा, हम जानते हैं कि ये याचिका क्यों दायर की गई है? आप इस बात के आभारी रहें कि हम आप पर जुर्माना नहीं लगा रहे हैं. 

 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement