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Bihar: पहली बार प्रेशर पॉलिटिक्स के शिकार दिख रहे हैं नीतीश कुमार?

Pressure Politics in Bihar: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहली बार प्रेशर पॉलिटिक्स का शिकार बनते दिखाई दे रहे हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण में पीएम मोदी से नीतीश की विनम्रतापूर्व मुलाकात पर भी चर्चा छिड़ गई है.

नीतीश कुमार (File Photo) नीतीश कुमार (File Photo)
सुजीत झा
  • पटना,
  • 28 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 9:02 PM IST
  • दावा- मुकेश सहनी पर दबाव में लिया नीतीश ने एक्शन
  • यूपी में पीएम मोदी और सीएम नीतीश की मुलाकात की भी चर्चा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विनम्रता के साथ मिलना चर्चा का विषय बन गया. सोशल मीडिया पर बकायदा चर्चा छिड़ गई है कि नीतीश कुमार को अब अपनी स्थिति का पता चल गया है. कुछ लोगों ने नीतीश कुमार के विनम्रता के साथ मिलने को लेकर तरह-तरह के मीम बनाए हैं. हालांकि, सीएम नीतीश का इस तरह पीएम से मिलना सियासी बड़प्पन दिखाता है.

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इधर, बिहार में VIP के तीन विधायकों का पलटी मारना और उसके बाद पार्टी के एकमात्र नेता और मंत्री मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से हटाने का फरमान जारी करना, एक नया सियासी विवाद बन गया है. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार बीजेपी के प्रेशर से इन दिनों परेशान हैं और खुलकर फैसले नहीं ले पा रहे हैं. सियासी गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी इन दिनों बड़ी पार्टी हो जाने के बाद से बेहद आक्रामक है.

बीजेपी की लिखित अनुशंसा पर नीतीश कुमार ने मुहर लगाते हुए मुकेश सहनी को हटाने की सिफारिश राज्यपाल से कर दी है. इसी घटना के बाद ये कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार बीजेपी के दबाव में हैं. इन कयासों को इसलिए भी बल मिल रहा है क्योंकि मुकेश सहनी को लेकर जदयू कोटा के कई मंत्रियों ने काफी सॉफ्ट बयान दिया था, इसमें अशोक चौधरी से लेकर मदन सहनी तक शामिल थे. 

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सहनी पर कार्रवाई से खुद को दूर दिखा रही JDU
जदयू के कई नेताओं ने यहां तक कह दिया था कि सहनी मंत्रिमंडल में बने रहेंगे, लेकिन इन सबके बावजूद आखिरकार बीजेपी के दबाव के साथ-साथ अनुशंसा ने मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया. नीतीश कुमार को बीजेपी के दबाव में फैसला लेना पड़ा. जदयू के नेता अब चुप हैं.

दूसरी ओर अब मुकेश सहनी के हटने के बाद जदयू कुछ और बयान दे रही है, ताकि जनता में कुछ और संदेश जाए. जदयू ये दिखाना चाहती है कि इस पूरी घटना के लिए जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ बीजेपी है. इससे जदयू का कुछ भी लेना देना नहीं है. रविवार की देर शाम सीएम की अनुशंसा के बाद एक पत्र जारी किया गया. इसमें वो बातें लिखी हुई थीं, जिसमें साफ इशारा था कि किसके कहने पर फैसला लिया गया है.

एनडीए का हिस्सा नहीं है सहनी- भाजपा

जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि नीतीश कुमार किसी की दबाव की राजनीति नहीं बर्दाश्त करते हैं. उनका रिकॉर्ड देखा जा सकता है. मुकेश सहनी बीजेपी कोटे से मंत्री बने थे. अब बीजेपी मुकेश सहनी से नाराज है, उन्हें अपने कोटे से मंत्री नहीं रखना चाहती है तो मुख्यमंत्री से मुकेश को हटाने की अनुशंशा की. मुख्यमंत्री ने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए उसे राज्यपाल को भेज दिया. इसमें गलत क्या है?. वहीं बीजेपी के नेता कहते हैं कि ये आरोप गलत है कि नीतीश कुमार बीजेपी के दबाव में हैं. ऐसा कुछ भी नहीं हैं. मुकेश सहनी अपने कर्म का फल भुगल रहे हैं, उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया. अब वे एनडीए का हिस्सा नहीं हैं.

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