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Bihar Exit Poll: बिहार तेजस्वी यादव की रणनीति लाएगी रंग, NDA के लिए 2019 की जीत दोहराना आसान नहीं!

एग्जिट पोल के आंकड़े बता रहे हैं कि बिहार में एनडीए को 29 से 33 सीट हासिल हो सकती है, जबकि महागठबंधन 7 से 10 सीटों पर जीत हासिल कर सकता है.

Bihar Exit Poll (Photo: File) Bihar Exit Poll (Photo: File)
शशि भूषण कुमार
  • पटना,
  • 01 जून 2024,
  • अपडेटेड 9:22 PM IST

सातवें और अंतिम चरण के मतदान खत्म होने के बाद अब एग्जिट पोल भी सामने आ चुका है. बिहार को लेकर जो एग्जिट पोल 'आज तक और एक्सिस माय इंडिया' की तरफ से जारी किया गया है उसके मुताबिक 2019 का प्रदर्शन एनडीए के लिए दोहराना काफी मुश्किल नजर आ रहा है. 

एग्जिट पोल में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक एक तरफ जहां एनडीए के वोट हिस्सेदारी में कमी आई है, वहीं सीटें भी पहले से काम आ सकती हैं जबकि बिहार में इस बार विपक्षी गठबंधन पहले से ज्यादा मजबूत और बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. बिहार में महागठबंधन के वोट हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है, साथ ही साथ उसकी सीटें भी पहले से ज्यादा आ सकती हैं. 

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एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक इस बार बिहार में एनडीए गठबंधन को 48 फीसदी वोट शेयर हासिल हो सकता है. 2019 में एनडीए के हिस्से में लगभग 56 फीसदी वोट की हिस्सेदारी थी, इसका सीधा मतलब यह है कि इस बार 40 में से 39 सीट जीतना एनडीए के लिए मुश्किल है. वहीं दूसरी तरफ बिहार में इंडिया गठबंधन यानी महागठबंधन की हिस्सेदारी वोट में 42 फ़ीसदी रहने का अनुमान है. 2019 में विपक्षी गठबंधन को जहां केवल एक सीट मिली थी वहीं इस बार सीटों की संख्या बढ़ सकती है.

एग्जिट पोल के आंकड़े बता रहे हैं कि बिहार में एनडीए को 29 से 33 सीट हासिल हो सकती है, जबकि महागठबंधन 7 से 10 सीटों पर जीत हासिल कर सकता है. एनडीए गठबंधन के अंदर बीजेपी को 13 से 15 सीट पर जीत मिल सकती है जबकि जदयू को 9 से 11 सीट पर जीत हासिल हो सकती है, वहीं विपक्षी गठबंधन में राजद को 6 से 7 सीट पर जीत हासिल हो सकती है जबकि दूसरे सहयोगी दलों को एक से दो सीट मिल सकती है.

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आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद का खाता भी नहीं खुला था, केवल एक सीट पर विपक्षी गठबंधन को जीत हासिल हुई थी. किशनगंज सीट पर कांग्रेस ने जेडीयू उम्मीदवार को हराया था, जबकि इस बार आरजेडी कुछ सीटों पर बढ़िया प्रदर्शन कर सकती है, ऐसा अनुमान एग्जिट पोल में लगाया गया है. तेजस्वी यादव जिन्होंने कांग्रेस के साथ-साथ लेफ्ट को भी महागठबंधन में शामिल किया इसका खासा फायदा इंडिया गठबंधन को बिहार में मिलता नजर आ रहा है.

तेजस्वी यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव में वाम दलों को साथ लेकर बेहतर प्रदर्शन किया था. इसी तर्ज पर उन्होंने इस बार लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के साथ वाम दलों को महागठबंधन के अंदर रखा अंतिम दौर में तेजस्वी यादव ने विकासशील इंसान पार्टी को भी महागठबंधन में जगह दी, उन्होंने आरजेडी कोटे से तीन सीटों पर वीआईपी के उम्मीदवारों को चुनाव लड़वाया. मुकेश सहनी जिस निषाद जाति से आते हैं, उसके वोट को भी महागठबंधन में जोड़ने की रणनीति तेजस्वी यादव ने बनाई. एग्जिट पोल अगर नतीजे में सही साबित होते हैं तो यह माना जाएगा कि तेजस्वी यादव ने अपनी रणनीति से बिहार में बीजेपी को खाता परेशान किया. 

यही नहीं, इस बार तेजस्वी ने आरजेडी के MY समीकरण से आगे बढ़कर दूसरी जातियों के उम्मीदवार भी खूब उतारे. बिहार में विपक्षी गठबंधन ने एनडीए के वोट समीकरण को बिगड़ने के लिए अपने खेमे से कुल 8 कुशवाहा उम्मीदवारों को मैदान में उतारा. इतना ही नहीं तेजस्वी ने भूमिहार जाति से आने वाले उम्मीदवार को भी अपनी पार्टी के टिकट पर मैदान में उतारा. तेजस्वी यादव राजपूत, कुशवाहा और भूमिहार उम्मीदवारों के बूते एनडीए के वोट बैंक में सेंधमारी करने की कोशिश करते नजर आए और एग्जिट पोल के आंकड़े कम से काम यही संकेत दे रहे हैं.

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 सातवें और आखिरी चरण में तेजस्वी यादव ने वाम दलों के गठजोड़ का पूरा फायदा उठाने की कोशिश की. महागठबंधन में चुनाव से पहले सीट एडजेस्टमेंट के दौरान तेजस्वी यादव कांग्रेस को लेकर ज्यादा सख्त नजर आए, लेकिन वहीं वाम दलों के साथ उनका गठजोड़ पहले घोषित हो गया. 2019 में जिस लेफ्ट फैक्टर की कमी विपक्षी गठबंधन में थी वह इस बार जाता रहा और यही वजह रही की बिहार में इस बार एनडीए को विपक्षी गठबंधन कड़ी टक्कर दे रहा है. बहरहाल इंतजार 4 जून का है जब नतीजे सामने आएंगे. लेकिन फिलहाल एग्जिट पोल में इस बात के संकेत दे दिए हैं कि 2019 का प्रदर्शन बिहार में एनडीए या बीजेपी के लिए दोहराना आसान नहीं होगा. 

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