
बिहार की सियासत में सही समय पर दोस्तों को दुश्मन और दुश्मनों को दोस्त बनाने की कला में माहिर नीतीश कुमार फिर एक बार महागठबंधन के समर्थन से सरकार बनाने जा रहे हैं. 17 साल से बिहार में सत्ता की कमान संभाल रहे नीतीश कुमार बुधवार को आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. यह अपने आप में बिहार की राजनीति में एक रिकॉर्ड है. नीतीश कुमार भले ही अपने दम पर सरकार न बन सके हों, लेकिन बिहार की सत्ता के धुरी जरूर बने हुए हैं. इसी का नतीजा है कि नीतीश कुमार कभी एनडीए तो कभी महागठबंधन के साथ हाथ मिलाकर सत्ता पर बने हुए हैं.
नीतीश कुमार बुधवार दोपहर दो बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. इस तह नीतीश आठवीं बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं तो उनके साथ तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बनेंगे. नीतीश की अगुवाई में बनने वाली महागठबंधन सरकार को जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई (ML), सीपीएम, सीपीआई और जीतनराम मांझी की पार्टी का समर्थन है. इस तरह नीतीश कुमार सात दलों को साथ लेकर चलेंगे.
सहयोगी बदलते रहे, नीतीश जमे रहे
अपने 40 साल के सियासी सफर में नीतीश कुमार ने सरकार बनाने के लिए कई मौके पर अपने विचार बदले हैं, साथ ही उनकी निष्ठा भी बदली है. नीतीश ने 2010, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद और कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपना गठबंधन साथी बदल लिया, हालांकि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वह लगातार काबिज रहे. 2010 के चुनाव तक नीतीश कुमार, भाजपा के सहयोगी रहे, लेकिन उसके बाद से अपनी निष्ठा बदलते रहे.
साल 1990 के दशक के मध्य में नीतीश कुमार ही जनता दल और लालू यादव से अपनी राह अलग कर ली और जॉर्ज फर्नांडिस के साथ समता पार्टी का गठन किया. साल 1996 में समता पार्टी और बीजेपी के बीच गठबंधन हुआ, तो नीतीश समता पार्टी में थे. नीतीश कुमार ने एक बेहतरीन सांसद के रूप में अपनी पहचान बनाई.
7 दिन चली थी नीतीश की पहली सरकार
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के मंत्रिमंडल में बेहद ही काबिल मंत्री के तौर पर छाप छोड़ी. इस तरह नीतीश पहली बार साल 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. नीतीश की यह सरकार महज सात दिन ही चल सकी थी. नीतीश कुमार विश्वास मत साबित नहीं कर पाए. इसके चलते नीतीश कुमार को इस्तीफा देना पड़ा. नीतीश कुमार और शरद यादव ने साल 1998 में आपस में हाथ मिला लिया, जिसके बाद जनता दल (यूनाइटेड) बना.
नीतीश कुमार को पांच साल के बाद दोबारा से बिहार की सत्ता में अपने पैर जमाने का मौका मिला. 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश के सामने मुख्यमंत्री बनने का मौका था, लेकिन तब तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह की अनुशंसा पर बिहार में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. इसी साल छह महीने के अंतराल पर दोबारा चुनाव हुए और नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला, जिसके बाद से बिहार की सत्ता में वो धुरी बने हुए हैं.
2005 में बनी बीजेपी-जेडीयू की सरकार
बिहार में 2005 में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन की सरकार बनी और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने. पांच साल सत्ता में रहते हुए नीतीश कुमार ने नए सामाजिक समीकरण बनाते हुए पिछड़े वर्ग में अति पिछड़ा और दलित में महादिलत के कोटे की व्यवस्था की. इसके साथ ही उन्होंने स्कूली बच्चियों के लिए मुफ्त साइकिल और यूनिफॉर्म जैसे कदम उठाए और 2010 के चुनाव में उनकी अगुवाई में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को एकतरफा जीत मिली.
मोदी केंद्र में आए तो नीतीश ने तोड़ लिया नाता
2010 में नीतीश कुमार तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 'अटल-आडवाणी युग' खत्म हुआ और नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजनीति के क्षितिज पर आए तो नीतीश ने 2013 में भाजपा से सालों पुराना रिश्ता तोड़ लिया. 2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू को बड़ी हार का सामना करना पड़ा और बीजेपी ने बिहार से बड़ी जीत हासिल की. नीतीश ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया.
करीब एक साल के भीतर ही जीतनराम मांझी का बागी रुख देख नीतीश कुमार ने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सत्ता की कमान संभाली. 2015 के चुनाव में वह आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़े और इस महागठबंधन को बड़ी जीत हासिल हुई. आरजेडी ने जेडीयू की सीट कम होने के बाद भी मुख्यमंत्री का पद नीतीश कुमार को सौंपा और पांचवी बार मुख्यमंत्री बने.
नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार में उप मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद साल 2017 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि, कुछ देर के भीतर ही बीजेपी के समर्थन से एक बार फिर मुख्यमंत्री बन गए. नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक चुनौती के तौर पर देखने वाले लोगों ने नीतीश कुमार के इस कदम विपक्षी गठबंधन की एकता को तगड़ा झटका लगा था.
नीतीश ने बीजेपी के साथ बाकी बचे ढाई साल का कार्यकाल पूरा किया और फिर 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी व जेडीयू मिलकर चुनाव लड़ी. इस चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी रही. इसके बाद भी बीजेपी ने उन्हें ही मुख्यमंत्री का पद दिया. 2022 में इतिहास फिर से दोहराया गया और अब नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़कर आरजेडी और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने जा रहे हैं.
नीतीश कुमार आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए तैयार हैं. पांच चुनाव जीतकर ही नीतीश कुमार आठवीं बार सीएम बनने जा रहे हैं.