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बिहार: BJP-JDU में खटपट के बीच एक्टिव हुए चिराग पासवान, नीतीश कुमार के खिलाफ खोला मोर्चा

चिराग पासवान पहले ही कह चुके हैं कि वो पीएम मोदी के हनुमान हैं. सवाल उठता है कि यदि बिहार में जदयू ने अपना पाला बदला तो मुकेस सहनी से दूर जा चुकी बीजेपी के पास क्या सिर्फ चिराग पासवान ही बचेंगे? हाल में चिराग की केंद्र से दूरी जगजाहिर है. लेकिन ये भी तय है कि चिराग की आज भी पीएम मोदी में आस्था है.

LJP नेता चिराग पासवान. (फोटो: India Today) LJP नेता चिराग पासवान. (फोटो: India Today)
सुजीत झा
  • पटना,
  • 09 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 8:04 AM IST

बिहार की राजनीति की राह अब रपटीली हो गई है. कयासबाजी के साथ सियासी बयानबाजी का दौर जारी है. राजद, कांग्रेस और जदयू में हलचल तेज है. कमोबेश सभी नेता मीडिया में छाए हुए हैं. सभी बयान दे रहे हैं. इस बीच चिराग पासवान चट्टान की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के साथ खड़े हो गए हैं. चिराग पासवान ने सोशल मीडिया के जरिए जहां सीएम नीतीश पर हमला बोला है. वहीं कई सियासी नसीहत भी दे डाली हैं. 

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बता दें कि चिराग पासवान पहले ही कह चुके हैं कि वो पीएम मोदी के हनुमान हैं. सवाल उठता है कि यदि बिहार में जदयू ने अपना पाला बदला तो मुकेश सहनी से दूर जा चुकी बीजेपी के पास क्या सिर्फ चिराग पासवान ही बचेंगे? सियासी जानकारों की मानें तो पीएम मोदी और बीजेपी के पास बिहार में राजनीतिक दल और किसी नेता के समर्थन की बात करें तो सिर्फ चिराग पासवान ही बचेंगे. 

मुझे सत्ता का लोभ नहीं: चिराग

हाल में चिराग की केंद्र से दूरी जगजाहिर है. लेकिन ये भी तय है कि चिराग की आज भी पीएम मोदी में आस्था है. चिराग पासवान ने कहा है कि 2020 में विधानसभा चुनाव में एनडीए के साथ रहकर 15 सीटों पर लड़ता तो बिहार में आज मेरे मंत्री रहते और मैं केंद्र सरकार में मंत्री रहता, लेकिन मुझे सत्ता का लोभ नहीं है. उन्होंने कहा कि मेरे लिए बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट अपने विजन डॉक्यूमेंट के सहारे अकेले विधानसभा का चुनाव लड़ा था. ना एनडीए में हैं, ना महागठबंधन में हैं. 

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मोदी से आज भी मेरे व्यक्तिगत संबंध

चिराग ने आगे कहा कि महागठबंधन में सीएम की कुर्सी फाइनल हो जाए तो नीतीश तुरंत पलटी मार जाएंगे. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी से मेरे व्यक्तिगत संबंध आज भी अच्छे हैं, लेकिन इस व्यक्तिगत संबंध को राजनीतिक संबंध के तौर पर ना देखा जाए. मीडिया से बातचीत में चिराग जदयू के अध्यक्ष राजीव रंजन (ललन सिंह) पर भी जमकर बरसे. 

चिराग मॉडल जनभावनाओं का प्रतीक

फिलहाल, राजनीतिक माहौल में जो बातें बीजेपी को कहनी चाहिए, वो चिराग ने कह डाली हैं. चिराग ने कहा कि ललन सिंह बताएं कि नीतीश मॉडल क्या है? ललन सिंह चिराग मॉडल की बात कर रहे हैं. चिराग मॉडल जन भावनाओं का प्रतीक है. 2020 में हमारी पार्टी को 6.50% वोट मिले. 

नीतीश आज भी कन्फ्यूज्ड हैं: चिराग

चिराग पासवान ने कहा कि मैं सकारात्मक राजनीति करता हूं, मैं किसी का कोई मॉडल नहीं हूं. दूसरे का घर तोड़ने वाले के घर में ही आज फूट हो गई है. बेहतर होगा कि वे कारणों को बाहर चौराहे पर ना तलाशें. नीतीश कुमारजी साल 2020 में भी कंफ्यूजन में थे और आज भी कंफ्यूज्ड हैं. उन्हें चिराग पासवान ने नहीं, बिहार की 13 करोड़ जनता ने हराया था.

वे नहीं जानते सियासी वध के लिए...

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चिराग ने ऐसे बयान दिए, लगा कि वो बीजेपी के सच में हनुमान बन गए हैं. चिराग ने कहा कि मैं तो जनभावनाओं का प्रतिनिधि तब भी था और आज भी हूं. 2024 में हार का डर ऐसा घुस गया है कि मामा कंस की तरह मां देवकी के हर पुत्र को मार देना चाहते हैं. पहले मुझ पर हमला बोला और अब RCP सिंह पर. नहीं जानते कि सियासी वध के लिए कृष्ण ने अवतार ले लिया है. इस बार पाला बदलना भी काम नहीं आएगा. 

बिहार की जनता के साथ सरासर धोखा

चिराग पासवान ने कहा कि आज नीतीश कुमार जी यही कह रहे हैं कि मेरे नाक के नीचे भ्रष्टाचार करते रहे RCP सिंह और फिर भी आप सुशासन बाबू कहलाते हैं. चिराग ने नीतीश कुमार को लेकर कहा कि बिहार की जनता के साथ ये सरासार धोखा है और इसका जवाब बिहार की जनता ही देगी. ये तीन योद्धा जो बैठे थे. इनका ट्रैक रिकॉर्ड देखने के लिए ज्यादा पीछे जाने की जरूरत नहीं है. आसानी से पता चल जाएगा कि नीतीश कुमार जी को दरअसल डरना किससे चाहिए. 

क्या 6-7 प्रतिशत वोट से काम चल जाएगा

दरअसल, बिहार की सियासी हलचल के बीच चिराग पूरी तरह फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं और उन्होंने इशारों-इशारों में जदयू को बता दिया कि भले वो अकेले हैं, लेकिन उनके समर्थक और वो पीएम मोदी और बीजेपी के साथ हैं. मगर, सवाल है कि 6 या 7 प्रतिशत वोट से क्या बीजेपी का काम चल जाएगा. क्योंकि बिहार में जो राजनौतिक परिस्थिति है, उसमें अगर देखा जाए तो चाहे वो 2014 या 2019 का लोकसभा का चुनाव हो- वोट सिर्फ नरेंद्र मोदी के नाम पर मिलता है. 

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नीतीश को जनता अपनी ताकत अहसास करवा चुकी

2014 में जब नीतीश कुमार NDA में नहीं थे, तब बीजेपी ने लोकजनशक्ति पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा के साथ मिलकर 32 सीटें जीती थीं लेकिन जब 2019 में जेडीयू आ गई तो कुल 40 में से 39 सीटें NDA के पास आ गईं. रही बात विधानसभा की तो उसमें नीतीश कुमार अपनी ताकत का अहसास 2015 में करा चुके हैं, जिसकी वजह से बीजेपी खुद से ये नहीं चाहती कि वो नीतीश कुमार से अलग हों.

 

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