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बंगाल में बीजेपी और वाममोर्चा ने एकजुट होकर जीता चुनाव, खाता भी नहीं खोल पाई सत्तारूढ़ TMC

नंदकुमार के बहरामपुर को-ऑपरेटिव ऐग्रिकल्चरल सॉसायटी के चुनाव में तृणमूल खाता ही नहीं खोल पाई. यहां कुल सीट संख्या 63 हैं. रविवार रात तक 52 सीटों पर पहले ही बीजेपी और वाममोर्चा के संयुक्त उम्मीदवारों ने जीत हासिल कर ली थी. सोमवार को बची हुई 11 सीटों पर भी दोनों पार्टियों के संयुक्त उम्मीदवार जीत गए.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
अनुपम मिश्रा
  • कोलकाता,
  • 07 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:49 PM IST

बंगाल में पहली बार बीजेपी और वाममोर्चा ने संयुक्त रूप से चुनाव लड़कर सत्तारूढ़ तृणमूल को बुरी तरह पराजित किया है. दरअसल, बंगाल में समवाय समिति के चुनाव में बीजेपी और वाममोर्चा ने गठजोड़ बनाकर चुनाव लड़ा और तृणमूल को हरा दिया. हार से बौखलाई तृणमूल ने कहा है कि बीजेपी और लेफ्ट की मिलीभगत प्रमाणित हो गई है.

नंदकुमार के बहरामपुर को-ऑपरेटिव ऐग्रिकल्चरल सॉसायटी के चुनाव में तृणमूल खाता ही नहीं खोल पाई. यहां कुल सीट संख्या 63 हैं. रविवार रात तक 52 सीटों पर पहले ही बीजेपी और वाममोर्चा के संयुक्त उम्मीदवारों ने जीत हासिल कर ली थी. आज सोमवार को बची हुई 11 सीटों पर भी दोनों पार्टियों के संयुक्त उम्मीदवार जीत गए.

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चुनाव से पहले बीजेपी और लेफ्ट ने समवाय बचाओ समिति नाम से संगठन बनाकर चुनाव लड़ा. तृणमूल कांग्रेस की ओर से 46 सीटों पर नॉमिनेशन दाखिल किया गया था, लेकिन 35 सीटों पर चुनाव से ठीक पहले ही तृणमूल उम्मीदवारों ने नामांकन वापस ले लिया था. बीजेपी और वाम की इस जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा है कि बीजेपी और लेफ्ट की मिलीभगत एक्स्पोज हो गई है.

बता दें कि यह पहला मौका है जब बंगाल में बीजेपी और वाममोर्चा ने संयुक्त रूप से लड़कर पूर्वी मिदनापुर के नंदकुमार समवाय समिति चुनाव में तृणमूल को धराशायी किया है. इस गठजोड़ के बाद पंचायत चुनाव में भी बीजेपी और लेफ्ट के साथ आने की चर्चा भी शुरू हो चुकी है.

अगले साल होंगे पंचायत चुनाव

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गौरतलब है कि राज्य में अगले साल होने वाले पंचायत चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुटी हुई हैं. बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच मुकाबला रोचक हो सकता है. 2018 में हुए पिछले पंचायत चुनाव की बात करें तो लगभग 90 फीसदी सीटों पर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीत मिली थी.

टीएमसी ने 34 फीसदी सीटें निर्विरोध जीती थीं. इसे लेकर आरोप ये लगाया गया था कि विपक्षी उम्मीदवारों ने टीएमसी के गुंडों के डर से नामांकन ही दाखिल नहीं किया. तब बड़े स्तर पर हिंसा की घटनाएं हुई थीं. विपक्षी दलों के कई कार्यकर्ता उस समय हुई राजनीतिक हिंसा में मारे गए थे. 

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