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यहां कांग्रेस और बीजेपी का गठबंधन होते-होते रह गया, प्रदेश अध्यक्ष को लगानी पड़ी रोक

कांग्रेस और बीजेपी की जिला यूनिट में गठबंधन की बात चली और बात करीब-करीब बन भी गई. बीजेपी की जिला यूनिट ने गठबंधन के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए नेतृत्व के पास भेजा. प्रदेश अध्यक्ष ने यह प्रस्ताव खारिज कर दिया और दोनों दलों के बीच गठबंधन होते-होते रह गया.

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अमन भारद्वाज
  • नई दिल्ली,
  • 25 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:26 PM IST

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस, ये दोनों ही पार्टियां देश की सियासत का दो ध्रुव हैं. दोनों ही दल कहीं साथ आएंगे, कभी साथ आएंगे, ये कल्पना से भी परे माना जाता है लेकिन एक राज्य में ऐसा होते-होते रह गया. एक नगर निगम की सत्ता पर विरोधी दल को रोकने के लिए बीजेपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन करीब-करीब तय हो गया था. हालांकि, गठबंधन की यह कवायद मूर्त रूप लेती, इससे पहले ही बीजेपी आलाकमान ने हस्तक्षेप किया और प्रदेश नेतृत्व एक्टिव हो गया. प्रदेश प्रभारी को जिला यूनिट को लेटर लिख गठबंधन की कवायद रोकने के लिए कहना पड़ा. हम बात कर रहे हैं पंजाब की.

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जानकारी के मुताबिक पंजाब के लुधियान नगर निगम के हालिया चुनाव में सूबे की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को 95 में से 43 वार्ड में जीत मिली. आम आदमी पार्टी अपना मेयर बनाने के लिए जरूरी 48 पार्षदों की जादुई संख्या से पांच पीछे रह गई. इस नगर निगम चुनाव में बीजेपी के 19 और कांग्रेस के 30 पार्षद चुनाव जीते हैं. दोनों दलों का संख्याबल जोड़ लें तो 49 पहुंचता है जो अपना मेयर बनाने के लिए जरूरी 48 से एक अधिक है. आम आदमी पार्टी को निगम की सत्ता से दूर रखने की रणनीति के साथ दोनों धूर विरोधी पार्टियों की जिला यूनिट ने गठबंधन की संभावनाएं टटोलनी शुरू कर दीं.

जिला स्तर पर दोनों दलों के बीच गठबंधन पर सहमति भी बन गई. बीजेपी की जिला यूनिट ने कांग्रेस से गठबंधन संबंधी प्रस्ताव मंजूरी के लिए प्रदेश नेतृत्व और आलाकमान को भेजा. इस चौंकाने वाले प्रस्ताव को पंजाब बीजेपी अध्यक्ष ने खारिज कर दिया. इस फैसले के साथ ही अब आम आदमी पार्टी का निगम सदन की सत्ता पर काबिज होना, अपना मेयर बनाना तय हो गया है. बताया जाता है कि पंजाब बीजेपी के साथ ही राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी वैचारिक मतभेदों का हवाला देते हुए गठबंधन के प्रस्ताव पर ब्रेक लगा दिया.

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पंजाब बीजेपी प्रभारी विजय रुपाणी ने पार्टी की लुधियाना जिला यूनिट को औपचारिक रूप से पत्र लिखकर कांग्रेस से गठबंधन नहीं करने के लिए कहा. कांग्रेस के साथ गठबंधन की कवायद को लेकर लुधियाना बीजेपी के अध्यक्ष राजेश धीमान ने कहा कि यह आलाकमान की मंजूरी पर निर्भर है. हालिया आम चुनाव में लुधियाना लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार रहे केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने भी पार्टी के कांग्रेस मुक्त भारत के दृष्टिकोण का जिक्र करते हुए ग्रैंड ओल्ड पार्टी के साथ गठबंधन की संभावनाओं को खारिज किया.

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बीजेपी के साथ गठबंधन की कवायद पर ब्रेक लगने के बाद कांग्रेस के लुधियाना जिलाध्यक्ष संजय तलवार का भी बयान आया है. संजय तलवार ने गठबंधन की कोशिशें फेल होने पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा मुख्य लक्ष्य शहर का विकास था. उन्होंने ये भी कहा कि हम विपक्ष में बैठने के लिए तैयार हैं और निगम सदन में आम आदमी पार्टी के हर एक एक्शन पर करीबी नजर रखेंगे. बीजेपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की यह कवायद चौंकाने वाली भले ही लग रही है, लेकिन लुधियाना में ऐसा पहले भी हो चुका है. लुधियाना ने साल 1991 में भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन देखा था. तब बीजेपी कांग्रेस के सहयोग से चौधरी सत्यप्रकाश को मेयर बनाने में सफल रही थी.

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