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धर्मेंद्र प्रधान, अश्विनी वैष्णव, भूपेंद्र यादव... राज्यसभा से रिटायर होने वाले अपने दिग्गजों को कैसे एडजस्ट करेगी BJP?

धर्मेंद्र प्रधान, अश्विनी वैष्णव और भूपेंद्र यादव समेत केंद्र सरकार के कई मंत्रियों और बीजेपी के कद्दावर नेताओं का राज्यसभा में कार्यकाल अप्रैल महीने तक पूरा हो रहा है. राज्यसभा से रिटायर होने जा रहे अपने कद्दावर नेताओं को बीजेपी कैसे एडजस्ट करेगी?

भूपेंद्र यादव, अश्विनी वैष्णव और धर्मेंद्र प्रधान (फाइल फोटो) भूपेंद्र यादव, अश्विनी वैष्णव और धर्मेंद्र प्रधान (फाइल फोटो)
हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 04 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 8:23 PM IST

पांच राज्यों के चुनाव के बाद देश लोकसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है और बात अब उन दिग्गजों को लेकर भी होने लगी है जिन्हें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लगातार दो बार राज्यसभा भेज चुकी है. ऐसा घोषित तो नहीं है लेकिन बीजेपी का अघोषित नियम रहा है कि किसी भी नेता को दो बार से अधिक राज्यसभा पहुंचने का मौका न दिया जाए. इसके कुछ अपवाद भी हैं लेकिन अब बात इसे लेकर भी हो रही है कि राज्यसभा से रिटायर होने वाले अपने कद्दावर नेताओं को बीजेपी किस तरह एडजस्ट करेगी?

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बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ ही मोदी सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों का राज्यसभा कार्यकाल अप्रैल महीने में पूरा हो रहा है. जिन मंत्रियों का राज्यसभा कार्यकाल पूरा हो रहा है, उनमें भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, मनसुख मांडविया, अश्विनी वैष्णव, हरदीप सिंह पुरी, नारायण राणे, पुरुषोत्तम रुपाला जैसे मंत्री शामिल हैं. राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर, वी मुरलीधरन और एल मुरुगन का कार्यकाल भी पूरा होने की ओर है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल तीसरी बार राज्यसभा में हैं. भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, पुरुषोत्तम रुपाला, मनसुख मांडविया और जेपी नड्डा दो बार के राज्यसभा सांसद हैं. राज्यसभा कार्यकाल पूरा होने के बाद बीजेपी क्या इन कद्दावर नेताओं को फिर से राज्यसभा में भेजेगी? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल अगस्त महीने में हुई बीजेपी संसदीय दल की बैठक में ये साफ कहा था कि राज्यसभा सांसदों को लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहिए. 

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मनसुख मंडाविया (फाइल फोटो)

खबर है कि धर्मेंद्र प्रधान अपने गृह राज्य ओडिशा से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. अश्विनी वैष्णव वैसे तो राजस्थान के रहने वाले हैं लेकिन उनका कार्य क्षेत्र भी ओडिशा रहा है. कहा जा रहा है कि अश्विनी वैष्णव ओडिशा की बालासोर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. पुरुषोत्तम रुपाला और मनसुख मांडविया के भी गुजरात से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है. भूपेंद्र यादव हरियाणा से चुनाव लड़ सकते हैं. एल मुरुगन को बीजेपी तमिलनाडु की किसी सीट से चुनाव लड़ा सकती है.

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वी मुरलीधरन बीजेपी के टिकट पर केरल की किसी सीट से चुनाव लड़ते नजर आ सकते हैं तो राजीव चंद्रशेखर भी कर्नाटक या केरल से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. निर्मला सीतारमण के तमिलनाडु और पीयूष गोयल के महाराष्ट्र से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारने का बीजेपी का प्रयोग सफल रहा था. बीजेपी ने अपने 21 सांसदों को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया था जिनमें से 12 चुनाव जीतने में सफल रहे थे. इनमें से 20 लोकसभा के सांसद थे. इनकी सीट से भी राज्यसभा के कुछ सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है.

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राजीव चंद्रशेखर (फाइल फोटो)

अप्रैल में पूरा हो रहा इन सांसदों का कार्यकाल

बीजेपी के जिन राज्य सभा सांसदों का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त हो रहा है उनमें अनिल अग्रवाल, अनिल बलूनी, अशोक वाजपेयी, अनिल जैन, प्रकाश जावडेकर, कांता कर्दम, सुशील मोदी, समीर ओरांव, सकलदीप राजभर जैसे नाम भी हैं. जीवीएल नरसिम्हाराव, अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी, विजयपाल सिंह तोमर, डीपी वत्स और हरनाथ सिंह यादव का कार्यकाल भी अप्रैल में पूरा हो रहा है.

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अब एक पहलू यह भी है कि इनमें से कई को ताजा समीकरणों के हिसाब से फिर राज्यसभा लाना मुश्किल दिख रहा है. नए समीकरण के हिसाब से कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश में राज्य सभा की एक सीट का फायदा होगा. बीजेपी मध्य प्रदेश और राजस्थान में अपनी सभी सात सीटें और कांग्रेस इन प्रदेशों में एक-एक सीट बरकरार रखेगी. कांग्रेस को तेलंगाना में राज्यसभा सीटों का फायदा होगा जबकि टीएमसी पश्चिम बंगाल में चार सीटें बरकरार रखेगी. पश्चिम बंगाल में बीजेपी को एक सीट मिलनी है और दिल्ली की तीनों राज्यसभा सीटें फिर से आम आदमी पार्टी के हिस्से जाएंगी.

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