Advertisement

नीतीश vs तेजस्वी vs पीके... BPSC छात्रों का प्रोटेस्ट कैसे बिहार में सियासी लड़ाई का केंद्र बनता जा रहा है?

बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों के प्रोटेस्ट ने अब सियासी रंग ले लिया है. विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वहीं, एक फ्रंट विपक्ष बनाम विपक्ष का भी खुल गया है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST

बिहार में छात्र आंदोलन को लेकर हंगामा बरपा हुआ है. बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर पिछले दो हफ्ते से अभ्यर्थी पटना में आंदोलन कर रहे हैं. रविवार को पटना में सीएम हाउस का घेराव करने जा रहे अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन के इस्तेमाल के बाद मामले ने सियासी रंग ले लिया है. इसके पीछे वजह ये भी है कि चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (पीके) ने गांधी मैदान में छात्र संसद बुलाई थी. कहा जा रहा है कि पीके के आह्वान पर ही छात्रों ने सीएम हाउस कूच किया था और इसकी अगुवाई भी खुद वही कर रहे थे.

Advertisement

लाठीचार्ज के विरोध में ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (AISA) समेत विभिन्न संगठनों ने बिहार बंद का आह्वान किया है. सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली दौरे पर हैं. वहीं, मुख्य सचिव ने कहा है कि बीपीएससी अभ्यर्थियों के साथ बातचीत के लिए सरकार तैयार है. सरकार के दरवाजे अभ्यर्थियों के लिए खुले हुए हैं. बिहार में सियासी लड़ाई का केंद्र बनते जा रहे बीपीएससी प्रोटेस्ट के कई फ्रंट हैं. बीपीएससी बनाम अभ्यर्थी, सरकार बनाम अभ्यर्थी के साथ ही सत्ता पक्ष बनाम विपक्ष होते जा रहे इस मामले में एक फ्रंट विपक्ष बनाम विपक्ष का भी है. यह फ्रंट है तेजस्वी यादव बनाम प्रशांत किशोर (पीके)

विपक्ष के निशाने पर नीतीश कुमार

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और जन सुराज, दोनों ही विपक्षी दलों के निशाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार है. तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश पर हमला बोलते हुए कहा है कि वे अब थक चुके हैं और रिटायर्ड अधिकारियों से राज्य चलवा रहे हैं. नीतीश कुमार के इशारे पर छात्रों की पिटाई की गई है और जिस तरीके से सर्दी में छात्रों पर लाठी चलाई गई है, उससे कलेजा दहल जाता है. उन्होंने बीपीएससी प्रोटेस्ट के दौरान लाठीचार्ज की निंदा की और कहा कि नीतीश कुमार होश में नहीं हैं. तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार सरकार ने छात्रों पर अत्याचार किया है. हम छात्रों के साथ हैं और चाहते हैं कि परीक्षा दोबारा हो.

Advertisement

तेजस्वी बनाम पीके

तेजस्वी यादव ने प्रशांत किशोर का नाम लिए बिना कहा कि बीजेपी की बी टीम ने बड़ी ही चालाकी से इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश की. तेजस्वी ने छात्रों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि गर्दनीबाग में बड़े ही शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन चल रहा था और इससे बीपीएससी, सरकार हिली हुई थी. लेकिन बड़ी ही चालाकी से बीजेपी की बी टीम ने आंदोलन को गांधी मैदान ले जाने का काम किया. उन्होंने पीके का नाम लिए बगैर कहा कि इस टीम के नेता ने छात्रों से कहा था कि कुछ भी हो, मैं सबसे आगे रहूंगा. लाठीचार्ज के समय सबसे पहले वे ही भाग गए. वे अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं.

यह भी पढ़ें: BPSC को लेकर छात्रों में उबाल, आज बिहार बंद का ऐलान... तेजस्वी ने प्रशांत किशोर पर लगाया आंदोलन हाईजैक करने का आरोप

तेजस्वी के वार पर पीके ने पलटवार किया है. सोमवार को प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तेजस्वी यादव पर पलटवार करते हुए कहा कि मैं अगर भाग गया था तो तेजस्वी यादव चले जाते अस्पताल. बीती रात अस्पताल मैं ही गया था. उन्होंने बिना अनुमति के गांधी मैदान में छात्र संसद बुलाने के आरोप पर कहा कि वहां बैठकर बात करने के लिए किसी अनुमति की जरूरत नहीं है. छात्र संसद में कोई हंगामा नहीं हुआ. मार्च के जरिये आगे बढ़कर ज्ञापन देने का फैसला किया गया और यह भी कि हमें जहां रोका जाएगा, हम वहीं ज्ञापन देने की प्रक्रिया पूरी करेंगे.

Advertisement

यह भी पढ़ें: 'कंबल मांगे हो हमसे और नेतागिरी दिखा रहे हो... BPSC अभ्यर्थियों के निशाने पर क्यों आ गए प्रशांत किशोर? जानें पूरा मामला

पीके ने कहा कि जेपी गोलंबर पर रोका गया और बताया गया कि मुख्य सचिव बातचीत के लिए तैयार हैं. हमने पांच छात्रों का डेलिगेशन तय किया और छात्रों से घर जाने की अपील कर गांधी मैदान चला गया. उन्होंने कहा कि हजार-दो हजार छात्रों ने मेरी बात नहीं मानी और वापस नहीं जाने पर अड़ गए. वहां से हटा नहीं, मेरे वहां से हटने के बाद लाठीचार्ज हुआ. ये गलत हुआ है और हम पटना पुलिस पर एफआईआर करेंगे, मानवाधिकार आयोग भी जाएंगे. पीके ने यह भी कहा कि सरकार ने अभ्यर्थियों की मांगें नहीं मानीं तो 2 जनवरी से धरने पर बैठूंगा.

प्रोटेस्ट हैंडल करने के तरीके पर उठ रहे सवाल

बीपीएससी प्रोटेस्ट की वजह से बिहार सरकार बैकफुट पर है. मुख्य सचिव ने कहा है कि बीपीएससी अभ्यर्थियों से बातचीत के लिए सरकार के दरवाजे खुले हुए हैं. लेकिन सवाल इस आंदोलन की शुरुआत और इसे हैंडल करने के तरीके को लेकर भी उठ रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क ने कहा कि बीपीएससी परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप जब लगे, पूरा अमला इसे खारिज करने में जुट गया. फिर बाद में कहा गया कि बापू भवन के एक सेंटर पर ही गड़बड़ी हुई है और वहां की परीक्षा रद्द करने का ऐलान कर दिया गया. सरकार को इसे बेहतर तरीके से हैंडल करना चाहिए था.

Advertisement

यह भी पढ़ें: 'री-एग्जामिनेशन का सवाल ही नहीं उठता...', पटना में जारी आंदोलन के बीच बोले BPSC के सेक्रेटरी

उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव ने जिस तरह से रोजगार को मुद्दा बनाया, नीतीश सरकार ने उस मुद्दे की धार काफी हद तक कुंद कर दी थी लेकिन इस आंदोलन से सरकार की साख को नुकसान पहुंचा है. वहीं बीपीएससी के सचिव सत्य प्रकाश शर्मा ने आंदोलन के बीच साफ कहा है कि 912 में से 911 परीक्षा केंद्रों पर किसी तरह की गड़बड़ी के कोई सबूत नहीं हैं. उन्होंने अभ्यर्थियों के साथ बातचीत के लिए दरवाजे खुले होने की बात तो कही लेकिन साथ यह भी जोड़ दिया कि परीक्षा रद्द करने का सवाल ही नहीं है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement