Advertisement

BJP या RJD... बिहार में किसे भारी पड़ेगी ठाकुर बनाम ब्राह्मण की लड़ाई? जानिए

बिहार में मनोज झा की संसद में सुनाई कविता पर हंगामा मचा हुआ है. ठाकुर का कुआं कविता पर ठाकुर और ब्राह्मण आमने-सामने आ गए हैं. लोकसभा चुनाव करीब हैं इसलिए करीब हफ्तेभर बाद विवाद को लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं. जातियों के मकड़जाल में उलझे बिहार में बीजेपी या आरजेडी, किसको सियासी नफा होगा और किसको नुकसान? 

मनोज झा और आनंद मोहन (फाइल फोटो) मनोज झा और आनंद मोहन (फाइल फोटो)
बिकेश तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 28 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 9:49 AM IST

बिहार की राजनीति और जातीय समीकरण में चोली-दामन का साथ रहा है. गोटी सटीक बैठ गई तो सूबे की सत्ता का शीर्ष मिलना तय है और राजनीतिक दलों का समीकरण गड़बड़ाया तो विपक्ष में बैठना. विधानसभा में विपक्ष की बेंच से ट्रेजरी बेंच का सफर इन्हीं उलझे हुए जातीय समीकरणों से होकर गुजरता है. जिसने साध लिया, वही सिकंदर. लोकसभा चुनाव में करीब छह महीने का समय शेष बचा है और बिहार में जाति पर बवाल शुरू हो गया है.

Advertisement

राजपूत और ब्राह्मण नेता आमने-सामने हैं. दरअसल, सूबे के सत्ताधारी महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राज्यसभा सांसद डॉक्टर मनोज झा ने संसद में महिला आरक्षण पर चर्चा के दौरान एक कविता सुनाई थी- 'ठाकुर का कुआं'. राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा 21 सितंबर को हुई थी. बिल उसी दिन पास भी हो गया लेकिन हफ्तेभर के भीतर ही मनोज झा के भाषण को लेकर हंगामा मच गया.

ये भी पढ़ें'पहले अपने अंदर के ब्राह्मण को मारें', ठाकुर विवाद पर बेटे के समर्थन में उतरे बाहुबली आनंद मोहन

मनोज झा के खिलाफ उनकी ही पार्टी के विधायक चेतन आनंद ने मोर्चा खोल दिया है. चेतन आनंद ने मनोज झा पर कविता के जरिए पूरे ठाकुर समाज को विलेन के रूप में पेश करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि ठाकुर सभी को साथ लेकर चलते हैं. समाजवाद में किसी एक जाति को टारगेट करना समाजवाद के नाम पर दोगलापन है. मनोज झा का बयान आरजेडी को ए टू जेड की पार्टी बनाने की कोशिशों के लिए झटका है. चेतन आनंद ने इस मुद्दे को लालू यादव के सामने उठाने की बात कही तो वहीं उनके पिता आनंद मोहन ने भी मनोज झा पर हमला बोला.

Advertisement

आनंद मोहन ने कहा कि बहस जब महिला आरक्षण पर चल रही थी तो फिर बीच में ठाकुर कैसे आ गया. आनंद मोहन ने कहा कि अगर मैं राज्यसभा में होता तो जीभ खींचकर सभापति के पास आसन की ओर उछाल देता. हम जिंदा कौम के लोग हैं, ये अपमान बर्दाश्त नहीं होगा. ठाकुर का कुआं को लेकर आरजेडी के विधायक चेतन आनंद और उनके पिता आनंद मोहन ने सांसद मनोज झा पर एक समाज के अपमान का आरोप लगाया.

मनोज झा के संसद में दिए भाषण को हफ्तेभर हो चुका है और ठाकुर अस्मिता की बात अब उठ रही है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या सियासी नफा-नुकसान का गुणा-भाग करने के बाद सोच-समझकर इसे विवाद की शक्ल दी जा रही है? सवाल ये भी उठ रहे हैं कि अगर मनोज झा ने संसद में कविता सुनाकर ठाकुर समाज को टारगेट किया, अपमान किया तो चेतन आनंद को ये हफ्तेभर बाद समझ आया?

ये भी पढ़ें'...ये समाजवाद के नाम पर दोगलापन', RJD में 'ठाकुर बनाम ब्राह्मण', मनोज झा पर फायर आनंद मोहन के बेटे

लोकसभा चुनाव में अब एक साल से भी कम समय बचा है इसलिए ये सवाल और गहरे हो गए हैं. कोई इसे आनंद मोहन की जेल से बाहर आने के बाद क्षत्रिय अस्मिता के सहारे खुद को सियासत में फिर से स्थापित करने की रणनीति बता रहा है तो कोई ओबीसी की गोलबंदी के लिए आरजेडी का दांव. आरजेडी मनोज झा के पक्ष में खुलकर आ भी गई है. आरजेडी ने एक्स पर मनोज झा के भाषण को दमदार, शानदार और जानदार बताते हुए वीडियो का लिंक शेयर किया है.

Advertisement

आरजेडी नेता शक्ति यादव ने मनोज झा का समर्थन करते हुए कहा है कि चेतन को आनंद हमारी पार्टी ने बनाया और आज वह ऐसी बात बोल रहे हैं. आरजेडी नेता ने सवालिया लहजे में कहा कि चेतन आनंद और आनंद मोहन कहां थे? आरजेडी की वजह से आज खुले में सांस ले रहे हैं. उन्होंने पूरे विवाद को दिल्ली से प्रायोजित बता दिया और कहा कि आरजेडी किसी जाति विशेष के खिलाफ नहीं है.

 बिहार की सियासत जातियों के मकड़जाल में उलझी रही है. ब्राह्मण और राजपूत जैसी अगड़ी जातियां परंपरागत रूप से बीजेपी समर्थक मानी जाती हैं. सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि आरजेडी के अखाड़े में शुरू हुई ब्राह्मण-ठाकुर अस्मिता की कुश्ती में लालू यादव की पार्टी किसी का समर्थन करे, नुकसान उसका नहीं होना है.

वरिष्ठ पत्रकार अशोक ने कहा कि मनोज झा के बयान पर ताजा विवाद के दो पहलू हैं. एक ये कि ब्राह्मण और ठाकुर में ठनी, बात आगे बढ़ी तो दोनों ही बीजेपी के कोर वोटर हैं, इसलिए नुकसान भगवा ब्रिगेड को ही होगा. दूसरा ये कि ताजा विवाद के इम्पैक्ट से ओबीसी आरजेडी के पक्ष में लामबंद हो गए तो फायदा आरजेडी को होगा. दोनों ही परिस्थितियों में आरजेडी को सियासी लाभ और बीजेपी को नुकसान नजर आ रहा है.

Advertisement

ये भी पढ़ें'अगर मैं राज्यसभा में होता तो जीभ खींचकर...', आरजेडी सांसद मनोज झा पर भड़के आनंद मोहन

बीजेपी भी शायद इस बात को समझ रही है. बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने इस पूरे विवाद को लेकर संतुलित बयान देते हुए कहा है कि इसका जवाब तो लालू यादव को देना चाहिए. लालूजी की पार्टी हमेशा से सामाजिक विषमता में विश्वास रखती है. समाज में कैसे एक-दूसरे में झगड़ा लगे, उनकी ये योजना रहती है. किसी को भी किसी समाज को आहत करने का अधिकार नहीं है.

बीजेपी विधायक नीरज कुमार बबलू ने मनोज झा के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ठाकुर समाज का गौरव गान किया लेकिन ब्राह्मण समाज को लेकर आक्रामक बयानबाजी से परहेज भी किया. उन्होंने ये जरूर कहा कि अगर मेरे सामने वह ऐसा बोलते तो पटककर उनका मुंह तोड़ दिया होता. साथ ही ये भी जोड़ा कि मनोज झा आरजेडी के भोंपू हैं. इससे ब्राह्मण और राजपूत समाज के बीच किसी तरह का वैमनस्य नहीं आएगा.

चेतन आनंद के लिए आगे की राह क्या

चेतन आनंद ने लालू यादव के सामने ये मुद्दा उठाने की बात कही है. चर्चा है कि चेतन के सुर लालू से मुलाकात के बाद नरम पड़ सकते हैं. दूसरी चर्चा ये भी है कि हाल ही में पप्पू यादव और आनंद मोहन की मुलाकात भी हुई थी. आनंद मोहन की नीतीश कुमार के साथ करीबी रिश्तों की चर्चा भी आम रही है लेकिन जेडीयू और आरजेडी का गठबंधन है इसलिए इस बात की संभावना ना के बराबर ही है कि आरजेडी छोड़ने पर चेतन को जेडीयू अपनाए. ऐसे में हो सकता है कि चेतन आनंद, पप्पू यादव की पार्टी में शामिल हो जाएं या बीजेपी के साथ नए सफर का आगाज कर दें.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement