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कर्नाटक में बीजेपी लौटकर फिर 'येदियुरप्पा' पर आई, विजयेंद्र को कमान के पीछे क्या दांव?

बीजेपी ने कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. कर्नाटक में हार और पांच राज्यों में चुनाव के बीच पार्टी के इस दांव के पीछे क्या है?

कर्नाटक बीजेपी के नए अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र (फाइल फोटो) कर्नाटक बीजेपी के नए अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र (फाइल फोटो)
बिकेश तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:14 AM IST

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कर्नाटक में नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान कर दिया है. पार्टी ने सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र को कर्नाटक बीजेपी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है. कर्नाटक चुनाव के नतीजे आए छह महीने हो चुके हैं और बीजेपी अभी तक विधानसभा में विपक्ष के नेता का चयन नहीं कर पाई है और अनिल कुमार कतील की जगह अब विजयेंद्र की नियुक्ति ने नई चर्चा को जन्म दे दिया है.

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विजयेंद्र कर्नाटक बीजेपी के उपाध्यक्ष भी रहे हैं और पिछले कुछ समय से उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चा भी थी. कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष के लिए भी विजयेंद्र का नाम चर्चा में था लेकिन पार्टी के ही कुछ नेता इसका विरोध कर रहे थे. विरोध करने वाले परिवारवाद की बात कह रहे थे लेकिन पार्टी नेतृत्व ने अब जब विजयेंद्र को कर्नाटक बीजेपी की कमान सौंप दी है, ये चर्चा भी शुरू हो गई है कि क्या फिर से पार्टी फिर से येदियुरप्पा पर लौट आई है?

ये चर्चा बेजां भी नहीं. दरअसल, बीएस येदियुरप्पा ने 2021 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. अब ये इस्तीफा क्यों हुआ, कैसे हुआ, किन परिस्थितियों में हुआ? ये बहस का विषय हो सकता है. येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी ने 2008 के चुनाव में कर्नाटक की सत्ता का सफर पहली बार तय किया था और उनको तब भी मुख्यमंत्री की कुर्सी बीच में ही छोड़नी पड़ी थी. तब येदियुरप्पा का नाम खनन में भ्रष्टाचार के मामले में आया था और कहा जाता है कि नेतृत्व के दबाव में उन्हें पद छोड़ना पड़ा था.

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कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद विजयेंद्र ने लिया पिता बीएस येदियुरप्पा का आशीर्वाद

येदियुरप्पा ने पद तो छोड़ा ही था, पार्टी भी छोड़ दी थी. 2013 के कर्नाटक चुनाव में वह कर्नाटक जनता पार्टी नाम से अपनी पार्टी बनाकर उतरे. 2008 में जो बीजेपी 33.9 फीसदी वोट शेयर के साथ 110 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और सरकार बनाई थी. वह बीजेपी 2013 में 19.9 फीसदी वोट शेयर के साथ 40 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर लुढ़क गई. येदियुरप्पा की पार्टी भी कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सकी थी.

येदियुरप्पा की पार्टी केजेपी ने 9.8 फीसदी वोट शेयर के साथ छह सीटें जीतीं लेकिन कई सीटों पर बीजेपी की हार के पीछे उसके उम्मीदवारों को वजह माना गया. बीजेपी के वोट शेयर में भारी गिरावट के लिए भी लिंगायत समुदाय के ज्यादातर मतदाताओं के येदियुरप्पा के साथ चले जाने को वजह बताया गया. येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से ही आते हैं और सूबे की सियासत में ये समुदाय प्रभावी रहा है. कर्नाटक में लिंगायत आबादी करीब 17 फीसदी बताई जाती है.

लोकसभा चुनाव 2014 से ठीक पहले येदियुरप्पा की पार्टी में वापसी हुई और इसके बाद बीजेपी ने 2018, 2019 के चुनाव में भी दमदार प्रदर्शन किया. जेडीएस-कांग्रेस की गठबंधन सरकार गिरने के बाद बीजेपी ने येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाई लेकिन उन्हें साल 2021 में पद से इस्तीफा देना पड़ा. अब कयासों के मुताबिक येदियुरप्पा ने अपने मन से पद छोड़ा हो या नेतृत्व के दबाव में, उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी. हां, ये ऐलान करके तेवर जरूर दिखा दिए कि वे खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे.

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कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (फाइल फोटो)

कर्नाटक चुनाव में बतौर सत्ताधारी उतरी बीजेपी को करारी शिकस्त मिली. येदियुरप्पा को दरकिनार किए जाने, सीएम की कुर्सी से हटाए जाने की वजह से लिंगायत समुदाय में नाराजगी की बातें होने लगीं. हालांकि, पार्टी ने एक लिंगायत के बाद दूसरे लिंगायत नेता को ही सरकार की कमान सौंपी थी. येदियुरप्पा के बाद कर्नाटक के सीएम बनाए गए बसवराज बोम्मई भी लिंगायत समाज से ही हैं. ऐसे में बेंगलुरु से लेकर दिल्ली तक इस बात को लेकर चर्चा, मंथन शुरू हो गया कि लिंगायत समुदाय की नाराजगी को कैसे दूर किया जाए?

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अब पहली बार विधानसभा पहुंचे विजयेंद्र को कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले को लिंगायत समाज की नाराजगी दूर करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. 2019 का चुनाव करीब है, ऐसे में बीजेपी का तमाम विरोध के स्वर दरकिनार कर विजयेंद्र को कर्नाटक में संगठन की कमान सौंपना सूबे की सियासत में येदियुरप्पा के वर्चस्व पर मुहर की तरह देखा जा रहा है. कहा तो ये भी जा रहा है कि पार्टी ने ये संदेश दे दिया है कि कर्नाटक में येदियुरप्पा ही बीजेपी हैं.

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कर्नाटक में संगठन को लेकर पार्टी के इस फैसले के व्यापक सियासी निहितार्थ भी तलाशे जा रहे हैं. ये ऐलान ऐसे समय में हुआ है जब राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. कहा तो ये भी जा रहा है कि चुनावी राज्यों के कई वरिष्ठ नेता अपने सियासी भविष्य को लेकर सशंकित हैं. विजयेंद्र को कर्नाटक बीजेपी का अध्यक्ष बनाया जाना इन नेताओं के लिए भी संकेत की तरह देखा जा रहा है.

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