
बीजेपी नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने देश में मस्जिदों और गुरुद्वारों के बारे में की गई टिप्पणी के लिए राजस्थान बीजेपी नेता संदीप दायमा को पार्टी से निष्कासित करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी से तो निकाला ही जाना चाहिए. साथ ही कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भड़काऊ और नफरत भरे भाषणों के बाद किसी को भी महज माफी मांगकर बच निकलने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि मैं आग्रह करता हूं कि मस्जिदों और गुरुद्वारों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी के लिए हाईकमान संदीप दायमा को तुरंत पार्टी से निष्कासित करे. उनकी माफी का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि उनकी टिप्पणियों से पहले ही लोगों को काफी ठेस पहुंची है. न केवल उन्हें निष्कासित किया जाना चाहिए, बल्कि कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए, क्योंकि भड़काऊ नफरत भरे भाषणों के बाद किसी को भी केवल माफी मांगकर बच निकलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
बता दें कि बीजेपी नेता संदीप दायमा ने राजस्थान के तिजार में 1 नवंबर को एक सार्वजनिक बैठक में गुरुद्वारों को लेकर विवादित टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा कि तिजारा में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अलवर सांसद बाबा बालक नाथ इस काम को पूरा करेंगे.
संदीय दायमा की विवादित टिप्पणी से नाराज सिख समुदाय ने तिजारा और जयपुर में विरोध प्रदर्शन किया और दायमा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. तिजारा के रिटर्निंग ऑफिसर ने दायमा को उनके बयानों पर नोटिस जारी किया है और उनसे अपना जवाब दाखिल करने को कहा था. हालांकि विवादित टिप्पणी का विरोध होने पर बीजेपी नेता ने माफी मांग ली थी.
वहीं, अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि संदीप दायमा एक अहंकारी और विकृत मानसिकता से ग्रस्त प्रतीत होते हैं. वह ये नहीं समझते कि विभिन्न धर्मों के तीर्थस्थलों में कोई अंतर नहीं है, चाहे वह मंदिर हो, गुरुद्वारा हो, मस्जिद हो या कोई अन्य पूजा स्थल हो. उन्होंने कहा था कि अकाली दल शांति और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खड़ा है और मांग करता है कि शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाले संदीप दायमा जैसे लोगों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. देश के सार्वजनिक जीवन में उनका कोई स्थान नहीं होना चाहिए.