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सतीश शर्मा: कांग्रेस का वो कैप्टन जो अमेठी-रायबरेली में संभाले रहा गांधी परिवार का 'क्राउन'!

अस्सी के दशक में कैप्टन शर्मा को राजनीति में पूर्व पीएम राजीव गांधी लेकर आए थे. कैप्टन सतीश शर्मा एक इंडियन एयरलाइंस के पायलट थे और उसी दौरान राजीव गांधी भी पायलट हुआ करते थे. जहाज को हवा में उड़ाने के दौरान ही कैप्टन शर्मा और राजीव गांधी के बीच दोस्ती परवान चढ़ी.

कैप्टन सतीश शर्मा (फ़ोटो- इंडिया टुडे) कैप्टन सतीश शर्मा (फ़ोटो- इंडिया टुडे)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 18 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 8:28 AM IST
  • पूर्व पीएम राजीव गांधी कैप्टन शर्मा को राजनीति में लाए थे
  • अमेठी से रायबरेली तक गांधी परिवार के साथ रहे
  • कैप्टन सतीश शर्मा 1999 में रायबरेली से सासंद बने

कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टन सतीश शर्मा का बुधवार शाम गोवा में निधन हो गया. 73 वर्षीय कैप्टन शर्मा कैंसर से पीड़ित थे और पिछले कुछ समय से बीमार थे. पूर्व पीएम राजीव गांधी के 'भरत' बनकर अमेठी से रायबरेली तक गांधी परिवार की खड़ाऊं लेकर संसद की ड्योढी लांघने वाले कैप्टन सतीश शर्मा तीन बार लोकसभा और तीन ही बार राज्यसभा सदस्य भी रहे. 

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अस्सी के दशक में कैप्टन शर्मा को राजनीति में पूर्व पीएम राजीव गांधी लेकर आए थे. कैप्टन सतीश शर्मा एक इंडियन एयरलाइंस के पायलट थे और उसी दौरान राजीव गांधी भी पायलट हुआ करते थे. जहाज को हवा में उड़ाने के दौरान ही कैप्टन शर्मा और राजीव गांधी के बीच दोस्ती परवान चढ़ी. हालांकि, राजीव गांधी ने सियासत में अपने भाई संजय गांधी के निधन के बाद कदम रख दिया था, लेकिन कैप्टन सतीश शर्मा पायलट की नौकरी में ही लगे रहे. 

साल 1984 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या हो गई और राजीव गांधी देश के पीएम बने. ऐसे में राजीव गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी को देखने के लिए अपने विश्वसनीय मित्र कैप्टन सतीश शर्मा को जिम्मेदारी देने का मन बनाया. इसी के बाद कैप्टन शर्मा पायलट की नौकरी से इस्तीफा देकर राजीव गांधी को सलाह देने वाली कोर टीम का अहम हिस्सा बन गए. 

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कैप्टन सतीश शर्मा

राजीव गांधी के पीएम रहते हुए उनके संसदीय क्षेत्र की सारी जिम्मेदारी कैप्टन सतीश शर्मा के कंधों पर रही. राजीव के पीएम रहते हुए अमेठी में विकास के कामों को जमीन पर उतारने में कैप्टन सतीश शर्मा की अहम भूमिका रही है. अस्सी के दशक के अंत तक आते-आते राजीव गांधी के तमाम साथी उनका साथ छोड़कर जनता दल का दामन थाम चुके थे. वीपी सिंह से लेकर अरुण नेहरू तक राजीव गांधी के खिलाफ नारे बुलंद कर रहे थे, लेकिन कैप्टन सतीश शर्मा ने साथ नहीं छोड़ा. 

सतीश शर्मा

साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या हुई तो अमेठी से उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस ने कैप्टन सतीश शर्मा को मैदान में उतारा गया. हालांकि, राजीव गांधी इस सीट पर 1991 के चुनाव में जीत दर्ज कर चुके थे, लेकिन नतीजे आने से पहले उनकी हत्या हो गई. इसीलिए साल 1991 में दोबारा चुनाव हुए तो कैप्टन शर्मा रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की. हालांकि, कैप्टन सतीश शर्मा अपने मित्र व पूर्व पीएम राजीव गांधी के जीवन में ही मध्य प्रदेश से 1986 में राज्यसभा सदस्य बन गए थे.
 
कैप्टन सतीश शर्मा का जन्म 11 अक्टूबर 1947 को सिकंदराबाद, तेलंगाना में हुआ था. उनकी पढ़ाई देहरादून के कर्नल ब्राउन कैंब्रिज स्कूल में हुई थी. इसके बाद उन्होंने पायलट के तौर पर ट्रेनिंग हासिल की थी और एयर इंडिया में नौकरी करने लगे. इसी दौरान राजीव गांधी से उनकी दोस्ती बनी जो मरते दम तक बरकरार रही. शर्मा रायबरेली और अमेठी निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर चुके शर्मा तीन बार लोकसभा सदस्य चुने गए थे. वह तीन बार राज्यसभा सदस्य भी बने और उन्होंने मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया.

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कांग्रेस नेता कैप्टन सतीश शर्मा

शर्मा पहली बार जून 1986 में राज्यसभा सदस्य बने और बाद में राजीव गांधी के निधन के बाद 1991 में अमेठी से लोकसभा सदस्य चुने गए और पीवी नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान 1993 में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री बने. इसके बाद दोबारा 1996 में अमेठी संसदीय सीट से सांसद चुने गए, लेकिन 1998 में डॉ. संजय सिंह के हाथों उन्हें करारी मात खानी पड़ी. इसके बाद सोनिया गांधी ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा तो कैप्टन शर्मा ने 1999 के लोकसभा चुनाव में उनके लिए अमेठी संसदीय सीट छोड़ दी.

साल 1999 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने गांधी परिवार विरासत मानी जाने वाली रायबरेली सीट से किस्मत आजमाई. इस चुनाव में बीजेपी ने कैप्टन शर्मा के सामने नेहरु परिवार से आने वाले अरुण नेहरु को मैदान उतारा. अरुण नेहरू रिश्ते में राजीव गांधी के भाई लगते थे. 1999 लोकसभा चुनाव का प्रचार अपने शबाब पर था. दो चुनाव से यह सीट कांग्रेस हार रही थी और बीजेपी की जीत तय मानी जा रही थी. चुनाव प्रचार के आखिरी दिन प्रियंका गांधी रायबरेली में उतरीं और सारी सियासी फिजा को कांग्रेस की तरफ मोड़ दिया. 

चुनाव प्रचार के दौरान सतीश शर्मा

प्रियंका गांधी ने कहा था, 'यह इंदिरा जी की कर्मभूमि है. भारत की उस बेटी की कर्मभूमि है जिस पर मुझे सबसे ज्यादा गर्व है. वो सिर्फ मेरी दादी नहीं थीं. भारत की करोड़ों जनता की मां समान थीं. वो उस परिवार की सदस्य थीं, जिसने आपको काम करके दिखाया. जिसने विकास करके दिखाया, जिसके दिल में आपके लिए दर्द था और हमेशा रहेगा. आपने एक ऐसे शख्स को अपने क्षेत्र में आने कैसे दिया? जिसने मेरे परिवार के साथ हमेशा गद्दारी की. जिसने मेरे पिताजी के मंत्रिमंडल में रहते हुए उनके खिलाफ साजिश की. जिसने कांग्रेस में रहते हुए सांप्रदायिक शक्तियों के साथ हाथ मिलाया. जिसने अपने भाई की पीठ में छुरी मारी है. वो कभी आपके लिए निष्ठा के साथ काम नहीं कर सकता. उसको पहचानिए. उसका जवाब दीजिए. मैं मांगती हूं आपसे यह जवाब.' प्रियंका गांधी ने इन शब्दों ने अरुण नेहरू की सियासत को धराशायी कर दिया और कैप्टन शर्मा हारी बाजी जीत गए. 

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कैप्टन सतीश शर्मा 1999 में रायबरेली से सासंद बने. 2004 में राहुल गांधी ने राजनीति में कदम रखा तो सोनिया गांधी ने अमेठी सीट छोड़ दी और सोनिया के लिए कैप्टन शर्मा ने रायबरेली सीट सीट का त्याग कर दिया. हालांकि, वो सुल्तानपुर सीट से 2004 में चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं सके. इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया और फिर 2016 तक वह उच्च सदन में रहे. 

कैप्टन सतीश शर्मा के साथ राहुल गांधी

दिलचस्प बात यह है कि राहुल गांधी जब पहली बार अमेठी से चुनाव लड़ रहे थे तो उनके प्रचार की कमान कैप्टन सतीश शर्मा ही संभाल रहे थे. अमेठी में राहुल गांधी की पहली रैली मुंशीगंज में हो रही थी. राहुल गांधी माइक पर बोल रहे थे और सतीश शर्मा मंच पर पीछे से गाइड कर रहे थे. राहुल ने जैसे कोई एक वाक्य कहा तो उसको पूरा करने के लिए सतीश शर्मा ने कहा कि ये भी अपने पिता की तरह हमेशा यहां आते रहेंगे. इस तरह से कैप्टन शर्मा राजीव से लेकर सोनिया और राहुल गांधी तक के लिए सियासी जमीन बनाने का काम अमेठी और रायबरेली में करते रहे.


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