
सरकार का महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा परियोजना लगातार विवादों में फंसता दिख रहा है. दिल्ली में इस प्रोजेक्ट पर काम तो जारी है, लेकिन कोरोना काल में इसे रोकने की मांग जोर पकड़ रही है. शुक्रवार को भी इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई है. याचिकाकर्ता की तरफ से जोर देकर कहा गया है कि समय की गंभीरता को समझते हुए इस परियोजना को अभी के लिए रोक देना चाहिए.
सेंट्रल विस्टा परियोजना पर रोक लगाने की मांग
याचिकाकर्ता के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि मुद्दा बहुत सरल है, परियोजना जनवरी में पारित हो गई है, लेकिन जहां तक मानव जीवन का सवाल है, सरकार का दायित्व है कि हमारे मानव जीवन की रक्षा करे, हमें इस मामले में चिंतित होने की जरूरत है, जबकि सरकार केवल 3-4 किमी के निर्माण को लेकर चिंतित हैं. देश में स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह से विफल हो गई है. याचिकाकर्ता के वकील की तरफ से ये सवाल भी उठा दिया गया कि देश में आपातकाल जैसा माहौल है, तो ऐसे में निर्माण कार्य कैसे चल सकता है, और जब मजदूरों के स्वास्थ्य खराब होंगे तो स्थिति और खराब हो जाएगी.
याचिकाकर्ता ने क्या दलील दी है?
सिद्धार्थ लूथरा ने इस बात का भी जिक्र किया है कि दिल्ली में अभी सिर्फ जरूरी सेवाओं को मंजूरी दी गई है. जब से राज्य में लॉकडाउन लगा हुआ है, हर कोई अपने घर में कैद है. ऐसे मुश्किल समय में इस परियोजना पर काम कैसे जारी रखा जा सकता है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को जरूरी सेवाओं में कैसे रखा जा सकता है. सवाल उठाया गया है कि मजदूरों की सेहत का भी ध्यान रखना जरूरी है. जब दिल्ली में लगातार मामले बढ़ रहे हैं, अस्पतालों में बेड की कमी है, ऐसे में ऐसी परियोजना को जारी नहीं रखा जा सकता है.
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है?
अब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि इस केस पर हाई कोर्ट में पहले से सुनवाई जारी है. ऐसे में वे कोई फैसला नहीं सुनाना चाहते हैं. उन्होंने सिद्धार्थ लूथरा से कहा है कि वे इस मामले को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखें.
कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि वहां पर भी इस मामले की जल्द सुनवाई की जाएगी. सॉलिसिटर जनरल ने तो सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई ये इस याचिका पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने याचिकाकर्ता की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ऐसे मुश्किल समय में कोर्ट में सिर्फ किसी चीज को स्थगित करने के लिए आना सही मिसाल पेश नहीं करता है.
वैसे जिस सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है, इस पर राजनीति भी काफी तेज हो गई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ से लगातार सरकार पर निशाना साधा गया है. उनकी तरफ से दावा किया गया है कि सरकार को लोगों की जान की कीमत नहीं है. उन्होंने कहा है कि सरकार लोगों की जिंदगी बचाए, नए घर के लिए अंध घमंड में न रहे. राहुल गांधी ने सेंट्रल विस्टा पर खर्च की जा रही भारी कीमत पर भी सवाल उठा दिए हैं. उन्होंने दो टूक कह दिया है कि पीएम का अहंकार लोगों की जिंदगी से ज्यादा बड़ा हो गया है.
भारत सरकार का क्या स्टैंड है?
अब जब लगातार सरकार पर हमला हुआ तो केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कमान संभालते हुए सरकार की प्राथमिकता भी बता दी और कांग्रेस पर भी सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस अपना दोहरा चरित्र दिखा रही है. जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब उन्होंने नए संसद की मांग की थी. 2012 में इस सिलिसले में एक चिट्ठी भी लिखी गई थी. लेकिन अब वे इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं.
वहीं कीमत पर जो सवाल उठाए गए हैं, उस पर भी केंद्रीय मंत्री की तरफ से स्पष्टीकरण देखने को मिला है. उन्होंने दावा किया है कि इस परियोजाना पर लंबे समय से 20 हजार करोड़ खर्च करने की ही तैयारी थी. वहीं कोरोना काल में टीकाकरण पर इस कीमत से भी दोगुना ज्यादा पहले ही खर्च किया जा चुका है.