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Chaudhary Charan Singh की सरकार और कांग्रेस का वो धोखा... RLD क्यों 'INDIA' ब्लॉक से हो गई दूर?

मोदी सरकार ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. इस बीच INDIA ब्लॉक को छोड़ने के लिए जयंत चौधरी कांग्रेस के व्यवहार को मुद्दा बना सकते हैं. दरअसल, चौधरी जयंत चौधरी के दादा थे और उनकी सरकार कांग्रेस की समर्थन वापसी की वजह से ही गिरी थी.

जयंत चौधरी, चौधरी चरण सिंह (File Photo) जयंत चौधरी, चौधरी चरण सिंह (File Photo)
कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:48 PM IST

बिहार में नीतीश कुमार के बाद अब अगला झटका इंडिया ब्लॉक को उत्तर प्रदेश में लगना लगभग तय है. सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनावों को लेकर बीजेपी और आरएलडी के बीच अलायंस के फॉर्मूले पर सहमति लगभग बन गई है. किसी भी वक्त सीट अलायंस का ऐलान किया जा सकता है. BJP और RLD के शीर्ष नेतृत्व के बीच लंबे समय से बातचीत चल रही है. इस बीच मोदी सरकार ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री और जयंत चौधरी के दादा चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. 

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अब कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर जयंत किस तरह से कांग्रेस के साथ अपने संबंध अलग करेंगे. जयंत इसके लिए कांग्रेस के व्यवहार को मुद्दा बना सकते हैं. दरअसल, चौधरी साहब जयंत चौधरी के दादा थे और उनकी सरकार कांग्रेस की समर्थन वापसी की वजह से ही गिरी थी. तब कांग्रेस में राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी की तूती बोलती थी. इसी पुराने सियासी घटनाक्रम को जयंत कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के साथ रिश्ता तोड़ने की एक वजह बना सकते हैं.

गौरतलब है कि 12 फरवरी को जयंत के पिता चौधरी अजीत सिंह की जयंती भी है. इसलिए बीजेपी और आरएलडी के बीच गठबंधन से पहले चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा कर दी गई. राषट्रीय लोक दल लगातार चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की मांग करता रहा है. इसलिए बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जयंत चौधरी की इस मांग को मान लिया है.

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सीटों में भी ओबीसी फॉर्मूला?

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जयंत के गृह जिले बागपत के अलावा बीजेपी बिजनौर सीट आरएलडी के लिए छोड़ने को तैयार है. पिछले चुनावों में बिजनौर की सीट बीएसपी के मलूक नागर ने बीजेपी को हराकर हासिल की थी. ऐसा माना जा रहा है कि इन दिनों मलूक नागर जयंत चौधरी के काफी करीब हैं और बीएसपी से दूर जा रहे हैं. आने वाले दिनों में जब बीजेपी और आरएलडी की डील फाइनल हो जाएगी तो मलूक नागर हैंडपंप (आरएलडी का चुनाव चिह्न) थाम सकते हैं.

मलूक नागर ने निभाई बड़ी भूमिका!

सियासी गलियारों में ये भी चर्चा है कि मलूक नागर ने बीजेपी के साथ जयंत चौधरी की दोस्ती कराने में भी अहम भूमिका निभाई है. मलूक नागर उत्तर प्रदेश से सबसे अमीर सांसद भी हैं. सांसद बनने से पहले वो रियल स्टेट और डेयरी जैसे कारोबार से भी जुड़े रहे हैं. जातिगत हिसाब से देखें तो मलूक नागर एक और बड़ी ओबीसी जाति गुर्जर समुदाय से आते हैं, जिसका पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में अच्छी खासी आबादी है. तो आरएलडी इसी बहाने दो बड़ी ओबीसी जातियों जाट और गुर्जर को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की कोशिश में है और ऐसे में इसका फायदा बीजेपी को भी मिलने के आसार हैं.

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क्या दलितों को भी साधने की कोशिश

बीजेपी और राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन के साथ आने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जातिगत समीकरण काफी हद तक साधने की तैयारी है. मुस्लिम वोटों के अलावा लगभग सभी बड़े सामाजिक धड़ों को अपने साथ लाने की कवायद है. लेकिन, दलित वोटरों की भी साधने की कवायद आने वाले दिनों में की जा सकती है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अंक गणित कुछ ऐसा है कि मुस्लिम और दलित कुल मिलाकर 50 फीसदी से अधिक हैं. इसलिए एक बार जयंत के साथ रिश्ता जुड़ जाए तो फिर अगला निशाना दलित होंगे.

असर दिखा रही OBC पॉलिटिक्स

बता दें कि इन दिनों देश भर में ओबीसी के नाम पर खूब सियासत चल रही है. राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जहां एक तरफ उनकी जाति को लेकर निशाना बना रहे हैं. वहीं पीएम ने तो लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान खुद को पिछड़ा वर्ग से आने वाला नेता बता दिया. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में भी इन दिनों यही ओबीसी पॉलिटिक्स अपना असर दिखा रही है.

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