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राज्यपाल के खिलाफ ही प्रस्ताव लाने वाले CM स्टालिन ने अब सफाई में क्या कहा?

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि जो प्रस्ताव लाया गया था, वो कोई राज्यपाल के खिलाफ नहीं था. उस दिन उन्होंने सरकार द्वारा दी गई स्पीच पढ़ी थी. ऐसे में प्रस्ताव भी सिर्फ इसलिए लाया गया था जिससे सिर्फ वहीं स्पीच लीए जाए जो सरकार द्वारा ड्रॉफ्ट की गई हो.

CM एमके स्टालिन (पीटीआई) CM एमके स्टालिन (पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:02 AM IST

तमिलनाडु की राजनीति में राज्यपाल आरएन रवि और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बीच चल रहा विवाद अब ठंडा पड़ता दिख रहा है. असल में विधानसभा में जब से राज्यपाल ने अपने संबोधन में सरकार के भाषण से इतर बातें बोली थीं, उनकी राज्य सरकार के साथ तकरार काफी बढ़ गई. हालात ऐसे बन गए कि सीएम, राज्यपाल के खिलाफ प्रस्ताव लेकर आ गए. कह दिया कि उनके द्वारा सरकारी भाषण से इतर जो भी कुछ बोला गया, उसे सदन कार्यवाही का हिस्सा ना बनाया जाए. अब उस बयान पर सीएम स्टालिन ने खुद ही सफाई पेश कर दी है.

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स्टालिन ने सफाई में क्या कहा?

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि जो प्रस्ताव लाया गया था, वो कोई राज्यपाल के खिलाफ नहीं था. उस दिन उन्होंने सरकार द्वारा दी गई स्पीच पढ़ी थी. ऐसे में प्रस्ताव भी सिर्फ इसलिए लाया गया था जिससे सिर्फ वहीं स्पीच ली जाए जो सरकार द्वारा ड्रॉफ्ट की गई हो. उसमें कोई बदलाव ना हो जाए. जब मैंने राज्यपाल के भाषण का जवाब दिया था, तब भी स्पष्ट कर दिया था कि मैं इस सदन की परंपरा का पूरा पालन करने वाला हूं. उस सरकार के सम्मान को बचाऊंगा जिसे जनता ने चुना है. अब मुख्यमंत्री की तरफ से ये सफाई मायने रखती है. राज्यपाल के खिलाफ प्रस्ताव लाना अप्रत्याशित था, तमाम तरह की अटकलें लग रही थीं. ऐसे में ये सफाई पेश कर विवाद को कम किया गया है.

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कॉलेजियम सिस्टम पर सीएम के विचार

वैसे राज्यपाल आरएन रवि की गणतंत्र दिवस पर जो हाई टी रखी गई थी, उसमें भी सीएम ने हिस्सा लिया था. उस चाय पार्टी में शामिल होकर भी संदेश दिया गया था कि मतभेद हो सकते हैं, मनभेद नहीं. अब मुख्यमंत्री ने एक तरफ राज्यपाल के प्रस्ताव पर सफाई दी तो दूसरी तरफ कॉलेजियम सिस्टम को लेकर चल रहे विवाद पर भी अपने विचार रखें. उन्होंने कहा कि कॉलेजियम पैनल में सरकार के प्रतिनिधि का होना ठीक नहीं है. इस समय वैसे भी सरकार जब राज्यों के प्रतिनिधि को उचित सम्मान नहीं देती है, ऐसी स्थिति में अगर कॉलेजियम का हिस्सा भी उन्हें बना दिया गया तो हालात और खराब होंगे.

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