
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी का असर दिखने लगा है. बिहार सीएम के बयान के बाद कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुट गई है. एक दिन बाद खबर आई है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बिहार के सीएम और जेडीयू नेता नीतीश कुमार से फोन पर बात की है. दोनों के बीच I.N.D.I.A अलायंस की अगली रणनीति के बारे में चर्चा हुई.
ये मुलाकात ऐसे समय हुई, जब नीतीश कुमार ने खुले तौर पर एक मंच से कांग्रेस पर खुलकर नाराजगी जताई थी. नीतीश ने INDIA अलायंस के कमजोर होने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था. उसके बाद कांग्रेस की तरफ से पहले की गई और अब डैमेज कंट्रोल की कोशिश की जा रही है.
'कांग्रेस पांच राज्यों के चुनावों में व्यस्त है'
बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को गठबंधन को लेकर बयान दिया था. उन्होंने कहा था, आजकल गठबंधन का कोई काम नहीं हो रहा है. कांग्रेस पार्टी इस पर ध्यान नहीं दे रही है. वो 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव मे व्यस्त है. जद (यू) नेता की यह टिप्पणी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की एक रैली में आई थी, जिसका विषय था 'भाजपा हटाओ देश बचाओ.'
खड़गे ने नीतीश को फोन पर बताया कि INDIA अलायंस कांग्रेस के लिए भी अहम है. लेकिन फिलहाल कांग्रेस का ध्यान 5 राज्यों के चुनावों पर है. इन 5 राज्यों के चुनावों के बाद गठबंधन की रणनीतियों और संयुक्त रैलियों पर फोकस करेंगे.
'बयान के बाद नीतीश से मिलने पहुंचे लालू और तेजस्वी'
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव शुक्रवार शाम CM आवास पहुंचे. यहां करीब 40 मिनट तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लालू यादव की मुलाकात हुई. शाम 6:30 बजे मुलाकात कर लालू और तेजस्वी वापस लौटे. सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव को लेकर दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई है. सीट शेयरिंग को लेकर भी बात होने की खबरें हैं. लालू और तेजस्वी भी नीतीश कुमार के बयान के बाद मिलने पहुंचे थे.
'हाल में मोर्चे को लेकर प्रगति नहीं हुई'
इससे पहले रैली में सीपीआई महासचिव डी राजा जैसे वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में नीतीश कुमार ने कहा, मौजूदा सरकार का विरोध करने वाली पार्टियां नया गठबंधन बनाने के लिए एक साथ आई थीं. लेकिन, हाल ही में उस मोर्चे पर बहुत प्रगति नहीं हुई है. कांग्रेस पार्टी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में ज्यादा बिजी देखी जा रही है. INDIA गठबंधन में हम सभी कांग्रेस को प्रमुख भूमिका सौंपने पर सहमत हुए थे, लेकिन यह ऐसा प्रतीत होता है कि वे अगली बैठक तभी बुलाएंगे जब चुनावों को पूरा कर लेंगे.
'सीपीआई ने भी दिया नीतीश का साथ'
बताते चलें कि नीतीश कुमार ने ही विपक्षी गठबंधन की पहल की थी और जून में सबसे पहले पटना में विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में नए गठबंधन को लेकर माहौल तैयार किया गया था. नीतीश कुमार के जाने के बाद डी राजा ने उनकी पहल की सराहना की. सीपीआई महासचिव ने नीतीश की चिंताओं से सहमत जताई और सीट बंटवारे में कठिनाइयों पर अफसोस जताया. दरअसल, मध्य प्रदेश में कांग्रेस विधानसभा चुनाव लड़ रही है और मुख्य विपक्षी दल है. लेकिन, सीट बंटवारे पर बात नहीं बनने से जेडी (यू) और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी जैसे सहयोगी दलों ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं.
'कांग्रेस को जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए'
डी राजा ने कहा, हमने कांग्रेस नेतृत्व से बात की है. अपने विचार से अवगत कराया है कि भारत में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते उसे अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए और छोटे सहयोगियों के प्रति ज्यादा उदार होना चाहिए. हालांकि, गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर समस्याएं सुलझी नहीं हैं. सीपीआई नेता ने कहा, फिलहाल इन छोटे मतभेदों ने हमारी राजनीतिक सोच को धूमिल नहीं किया है. हमें मिलकर लड़ना है और भाजपा को सत्ता से बाहर करना है. एक ऐसी सरकार बनाना है जो धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक हो. हम अगले साल लोकसभा चुनाव में सफल होंगे. उन्होंने दावा किया कि ज्यादातर सर्वे में यह स्पष्ट है कि जनता का मूड भाजपा के खिलाफ है. उन्होंने कहा, जनता का यह मूड विधानसभा चुनावों के नतीजों में दिखाई देगा और हम लोकसभा चुनावों में भी इसी गति को बनाए रखेंगे.
'तेजस्वी ने कांग्रेस के खिलाफ बोलने से किया परहेज'
बाद में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने रैली को संबोधित किया और अपने पिता और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के नेहरू-गांधी परिवार के साथ व्यक्तिगत संबंधों के अनुरूप कांग्रेस की आलोचना करने से परहेज किया. हालांकि उन्होंने आशा जताई कि विधानसभा चुनाव के बाद गठबंधन नई गति पकड़ेगा. इस रैली में कांग्रेस का कोई भी जाना-माना चेहरा नहीं आया. हालांकि बाद में पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा, हमारे प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह शहर से बाहर थे. इसलिए वरिष्ठ नेता कृपानाथ पाठक को 'प्रतिनिधि' के रूप में भेजा गया था.