
लोकसभा चुनाव करीब हैं और विपक्षी इंडिया गठबंधन की धुरी कांग्रेस पार्टी को चुनावी साल में झटके पर झटके लग रहे हैं. गुजरात में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी से किनारा कर लिया है तो वहीं पूर्वोत्तर के अरुणाचल प्रदेश भी पार्टी को करारा झटका लगा है. अरुणाचल में एक को छोड़कर कांग्रेस के सभी विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम लिया है. हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के दिन से जारी तकरार दिल्ली दरबार पहुंचने के बाद भी अभी सुलझ नहीं पाई है.
गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके अर्जुन मोढवाडिया ने राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन से दूरी बनाने के स्टैंड का विरोध करते हुए विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया है. मोढवाडिया गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं और कभी उनकी गिनती अहमद पटेल के बाद पार्टी में सूबे के सबसे ताकतवर नेता के रूप में होती थी. मोढवाडिया के साथ ही कांग्रेस के दो पूर्व विधायक, अंबरीश डेर और मुलूभाई कंडोरिया भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं.
गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल की मौजूदगी में इन नेताओं ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली. कंडेरिया और डेर, दोनों ही 2022 में चुनाव हार गए थे. अंबरीश डेर पहले बीजेपी में ही थे. डेर बीजेपी छोड़कर बसपा में गए और फिर कांग्रेस के टिकट पर 2017 में विधायक निर्वाचित हुए थे. गुजरात ही नहीं, विधायकों और पूर्व विधायकों के दल बदलने का सिलसिला दूसरे राज्यों में भी जारी है. अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के तीन विधायक हाथ झटक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. कांग्रेस विधायक दल के नेता लोमबो तायोंग ने 4 मार्च को बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली वहीं दो विधायकों निनॉन्ग एरिंग और वांगलिन लोवांगडोंग 3 मार्च को पार्टी छोड़ गए थे. विधायकों के साथ छोड़ जाने से पिछले चुनाव में चार सीटें जीतने वाली कांग्रेस की स्ट्रेंथ विधानसभा में अब एक रह गई है.
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बिहार में तीन विधायक बदल चुके हैं पाला
बिहार में आठ दिन में ही कांग्रेस के तीन विधायक पार्टी छोड़ बीजेपी में जा चुके हैं. 27 फरवरी को पूर्व मंत्री मुरारी गौतम और सिद्धार्थ सौरव ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी वहीं नीतू सिंह भी अब सत्ताधारी गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी में जा चुकी हैं. गौरतलब है कि ओडिशा में भी भद्रक के पूर्व विधायक नरेन पालेई भी हाल ही में कांग्रेस छोड़ बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. असम कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और जोरहाट सीट से पूर्व विधायक राणा गोस्वामी ने भी केसी वेणुगोपाल को पत्र लिखकर पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
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हिमाचल में नहीं थमी तकरार
हिमाचल प्रदेश में एक राज्यसभा सीट के चुनाव में क्रॉस वोटिंग से शुरू हुई सियासी रार थमती नहीं नजर आ रही. हिमाचल कांग्रेस और सुक्खू सरकार की तकरार दिल्ली दरबार पहुंच चुकी है लेकिन इसका कोई समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा. विक्रमादित्य सिंह ने पहले 3 मार्च और फिर 4 मार्च को प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल से मुलाकात कर नाराज विधायकों की समस्याएं बताईं. विक्रमादित्य ने यह मांग भी की थी कि नाराज विधायकों से आलाकमान फोन पर या दिल्ली बुलाकर बातचीत करे. कांग्रेस नेतृत्व ने विक्रमादित्य से दो टूक कह दिया है कि लोकसभा चुनाव तक सूबे में सत्ता परिवर्तन नहीं होगा.
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अन्य राज्यों में भी रार
कांग्रेस में रार केवल इन राज्यों तक ही सीमित नहीं है. महाराष्ट्र से लेकर दूसरे राज्यों तक, कई नेता और कार्यकर्ता कांग्रेस छोड़ गए हैं. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण, पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा, बाबा सिद्दीकी समेत कई नेता पार्टी छोड़ दूसरे दलों में चले गए तो वहीं पिछले दिनों पार्टी को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में भी बड़ा झटका लगा था. सीएम मोहन यादव की मौजूदगी में बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हो गए थे.