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जब किसानों के मुद्दे पर संसद के बाहर भिड़ गए कांग्रेस सांसद और हरसिमरत कौर

जब सदन की कार्यवाही में शामिल होने के लिए पंजाब से कांग्रेस के लोकसभा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू सदन पहुंचे तो यहां गेट नंबर 4 पर उनका सामना अकाली दल सांसद हरसिमरत कौर बादल से हुआ. 

कांग्रेस सांसद और हरसिमरत कौर में बहस कांग्रेस सांसद और हरसिमरत कौर में बहस
अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 1:00 PM IST
  • संसद परिसर में अकाली दल और कांग्रेस सांसद के बीच बहस
  • दोनों सांसदों के बीच किसानों के मुद्दे को लेकर हुई बहस

कृषि कानूनों को लेकर सड़क से संसद तक केंद्र सरकार के खिलाफ लड़ाई चल रही है. कई राजनीतिक दल भी किसानों की आवाज उठा रहे हैं. संसद के अंदर जहां इस मसले पर रोज नारेबाजी देखने को मिलती है, वहीं संसद के बाहर गेट पर अकाली दल के सांसद प्रदर्शन कर रहे हैं. 

बुधवार को भी अकाली दल के सांसद गेहूं की बाली देकर किसानों की आवाज उठा रहे थे. इसी बीच यहां उनका सामना एक ऐसे कांग्रेस सांसद से हुआ जिन्होंने तीखे सवाल कर लिए और बात बहस तक पहुंच गई. 

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जब सदन की कार्यवाही में शामिल होने के लिए पंजाब से कांग्रेस के लोकसभा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू सदन पहुंचे तो यहां गेट नंबर 4 पर उनका सामना अकाली दल सांसद हरसिमरत कौर बादल से हुआ. 

आप तो मंत्री थीं, तब क्या किया- रवनीत सिंह बिट्टू

रवनीत सिंह बिट्टू ने हरसिमरत को टारगेट करते हुए कहा कि जब बिल पास हुए तब आप केंद्रीय मंत्री थीं. उस वक्त आप कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ बैठती थीं, लेकिन तब आपने क्यों नहीं कुछ किया, अब आप ड्रामा कर रही हैं. 

बिट्टू के इस आरोप पर हरसिमरत कौर बादल भी बिफर गईं. उन्होंने दो टूक कहा कि मैंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन पंजाब में आपकी सरकार है, वो क्या कर रही है. इस पर बिट्टू ने कहा कि पहले आपने कैबिनेट में रहकर बिल पास कराए और फिर घर जाकर बाद में इस्तीफा दिया. इस तरह दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस हुई. 

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बता दें कि अकाली दल पहले एनडीए के साथ सरकार में शामिल था, लेकिन कृषि बिल के मुद्दे पर ही अकाली ने सरकार से नाता तोड़ लिया था और हरसिमरत कौर ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. 

कृषि कानूनों के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई पंजाब से ही शुरू हुई थी. लंबे समय से आंदोलन भी चल रहा है. कुछ महीनों बाद ही पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा अलग-अलग राजनीतिक दल खुद को किसानों का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने की कवायद में भी जुटे हैं. 

 

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