Advertisement

Congress Plenary Session: CWC से जुड़ा कांग्रेस का बड़ा फैसला, अब बढ़ सकती है पार्टी अध्यक्ष खड़गे की टेंशन

Congress Plenary Session: कांग्रेस की संचालन समिति ने शुक्रवार को फैसला लिया गया कि कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों का चुनाव नहीं होगा, बल्कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सदस्यों को नामित करेंगे. इसके अलावा यह भी तय हुआ कि सीडब्ल्यूसी का आकार बढ़ाया जाएगा. अब खड़गे के सामने यह बड़ी चुनौती होगी कि किसे समिति में जगह दी जाए, किसे छोड़ा जाए.

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चल रहा है कांग्रेस पार्टी का 85वां अधिवेशन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चल रहा है कांग्रेस पार्टी का 85वां अधिवेशन
रशीद किदवई
  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:39 PM IST

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेस पार्टी का 85वां अधिवेशन चल रहा है. यहां पार्टी ने अपने संविधान में बदलाव करते हुए पार्टी की कार्य समिति (CWC) के स्थायी सदस्यों की संख्या को बढ़ाकर 35 कर दी है. अभी तक सदस्यों की संख्या 23 थी. हालांकि समिति में संख्या बल बढ़ने से संगठन की चुनौतियां दूर होने की उम्मीद कम है बल्कि बढ़ी संख्या निर्णय लेने वाली संस्था के तौर पर सीडब्ल्यूसी का कद और स्थिति को कमजोर कर देगी.

Advertisement

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने इस समिति के लिए 31 पार्टी नेताओं को चुनना भी एक बड़ी चुनौती होगा. दरअसल कांग्रेस ने इस समिति के सदस्यों के लिए चुनाव न कराने का फैसला किया है. संचालन समिति ने मल्लिकार्जुन को निर्वाचित और मनोनीत दोनों श्रेणियों में सीडब्ल्यूसी सदस्यों का चयन करने के लिए अधिकृत किया है.

खड़गे को समिति में तीन गांधी - सोनिया (संसद में कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष होने के कारण), राहुल (पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष) और प्रियंका के अलावा पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को शामिल करना ही होगा, जिससे सीडब्ल्यूसी की प्रभावी ताकत घटाकर 31 हो जाएगी.

खड़गे कैंप सीडब्ल्यूसी की ताकत बढ़ाने के लिए कांग्रेस संविधान में एक संवैधानिक संशोधन के माध्यम से आगे बढ़ने की उम्मीद कर रहा था. खड़गे के पास अब पुराने और युवा, क्षेत्रीय क्षत्रपों, कमजोर वर्गों के नेताओं, आदिवासियों, महिला प्रतिनिधित्व और अल्पसंख्यकों आदि के बीच संतुलन बनाने का ज्यादा अच्छा मौका होगा.

Advertisement

वहीं कई ग्रुप और व्यक्ति अनौपचारिक स्तर पर अपने दावे पर विचार करने के लिए खड़गे पर दबाव डाल रहे हैं. एक दर्जन से अधिक पार्टी नेता ऐसे हैं, जो 'टीम राहुल गांधी' का प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हैं. इनमें से कुछ पात्र जैसे रणदीप सिंह सुरजेवाला, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल, चेल्ला कुमार, मनिकम टैगोर और जितेंद्र सिंह महत्वपूर्ण पदों पर हैं. उनकी वापसी की उम्मीद है.

हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि अगर राहुल गांधी खुद सीडब्ल्यूसी या संगठन में जिम्मेदारी लेने से इनकार करते हैं, तो क्या होगा? क्या उनके खेमे के फॉलोअर्स सूट का पालन करेंगे और पार्टी के पदों को स्वीकार करने से मना कर देंगे? पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि महीने के अंत तक एक स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी क्योंकि जल्द ही राहुल गांधी की भविष्य की योजनाओं के बारे में लोगों को पता चल जाएगा.

हालांकि अगर राहुल गांधी निरंतरता के मार्ग पर चलते रहे, तो उनका समूह अधिक विजिबल और शक्तिशाली हो जाएगा. वरिष्ठ कांग्रेसी अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक, दिग्विजय सिंह, शैलजा कुमारी, तारिक अनवर, भक्त चरण दास, पी चिदंबरम, जेपी अग्रवाल, जयराम रमेश, राजीव शुक्ला, शक्तिसिंह गोहिल, एचके पाटिल जैसे पुराने नेता सीडब्ल्यूसी के लिए प्रबल दावेदार हैं.

यह खड़गे के लिए एक और गंभीर चिंता की बात है क्योंकि अगर सीडब्ल्यूसी में इन आजमाए और परखे नेताओं का मसौदा तैयार किया जाता है तो पार्टी में 'नयापन' कहीं नजर नहीं आएगा. ऐसे में उनके अनुभव, कमिटमेंट और आगे बढ़ने के उत्साह की अनदेखी नहीं की जा सकती.

Advertisement

इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे पर जी-23 के विरोधियों को समायोजित करने का भी दबाव है. शशि थरूर राष्ट्रपति चुनाव में खड़गे को टक्कर देने वाले प्रमुख असंतुष्ट नेता थे. अगर थरूर को सीडब्ल्यूसी से बाहर रखा जाता है तो इसका गलत संदेश जाएगा. वहीं मनीष तिवारी, पृथ्वीराज चव्हाण और आनंद शर्मा के दावों व योगदान को भी नकारना मुश्किल है.

अभिषेक मनु सिंघवी और सलमान खुर्शीद के पास भी अनुभव और कानूनी विशेषज्ञता है. खड़गे मुश्किल से 6 से 8 लोगों को छोड़ सकते हैं, जिसमें बहुत मुश्किल से सचिन पायलट, डीके शिवकुमार, अजय कुमार लल्लू, रमेश चेन्निथला को शामिल किया जा सकता है. इन सब के अलावा पूर्वोत्तर और महिलाओं के लिए एक तिहाई यानी आठ बर्थ खड़गे की चिंता बढ़ा सकती हैं.

इसके अलावा खड़गे को सैयद नसीर हुसैन और गुरदीप सिंह सप्पल जैसे कुछ प्रतिभाएं, जो 24 घंटे काम कर रहे हैं, उन्हें भी समिति में जगह देने की जरूरत है. क्या एआईसीसी के नए प्रमुख खुद को मुखर कर पाएंगे और अपने प्रति वफादार लोगों को समिति में स्थान दे पाएंगे? यह भी दिलचस्प होगा कि खड़गे हरियाणा के भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे अच्छा प्रदर्शन करने वालों को कैसे साधेंगे.

खड़गे कैंप के फॉलोअर्स जोर देकर कहते हैं कि अध्यक्ष चुनाव जीतने के बाद सीडब्ल्यूसी सदस्यों को नामित करने के लिए उन्हें नैतिक, लोकतांत्रिक और वैध रूप से अधिकार मिला है. यह जग जाहिर है कि कर्नाटक के दिग्गज नेता अपने बल पर काम नहीं करेंगे बल्कि सोनिया और राहुल गांधी से कुछ सलाह और निर्देश लेकर ही काम करेंगे. वैसे खड़गे को खुली छूट देना बहुत दिलचस्प होगा.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement