
कांग्रेस ने उदयपुर के चिंतन शिविर में 2024 में राजनीतिक वापसी की जद्दोजहद का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है. तीन दिनों तक गहन चिंतन के बाद संगठन में अहम सुधार, जनता से जुड़ाव और सड़क पर संघर्ष को राजनीतिक वापसी का मंत्र तय किया गया है. कांग्रेस के 'चिंतन बैठक' की असल परीक्षा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले देश के 11 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में होनी है. कांग्रेस अगर विधानसभा चुनाव में बेहतर नतीजे लाने में सफल नहीं रहती है तो उसके लिए आगे की सियासी राह मुश्किलों भरी हो जाएगी?
2024 से पहले 11 राज्यों में चुनाव
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जिन 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उसमें गुजरात और हिमाचल प्रदेश में इसी साल आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. वहीं, साल 2023 में पहले त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं और उसके बाद मई में कर्नाटक में चुनाव होंगे. इसके अलावा साल 2023 के आखिर में नवंबर-दिसंबर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने है.
कांग्रेस के नव संकल्प चिंतन शिविर में गुजरात, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ विधानसभा चुनाव पर विशेष फोकस रहा. कांग्रेस की पहली पंक्ति के अधिकांश नेताओं ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव में मुख्य भूमिका निभाने पर ध्यान देने की जरूरत बताई गई. गुजरात कांग्रेस के प्रभारी डा. रघु शर्मा ने चिंतन बैठक में साफ तौर पर कहा कि पार्टी कहा कि यदि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में नहीं जीते तो 2024 में मुश्किल होगी, इसलिए सबको एकजुट होकर चुनाव की तैयारी में जुटना होगा. कांग्रेस को आने वाले विधानसभा चुनाव में जीतने के लिए संगठनात्मक मजबूती पर ध्यान देना होगा.
गुजरात-हिमाचल में कांग्रेस की परीक्षा
गुजरात और हिमाचल प्रदेश में इसी साल 2022 के आखिर में चुनाव होने हैं. दोनों ही राज्य में बीजेपी की सरकारें हैं. कांग्रेस गुजरात में 27 साल से सत्ता से बाहर है जबकि हिमाचल में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन होता रहा है. गुजरात पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य होने से अहम है तो हिमाचल पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह राज्य है. बीजेपी पूरी ताकत झोंक रही है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों हुए चार उपचुनावों में कांग्रेस को जीत मिली है. ऐसे में कांग्रेस के लिए दोनों राज्यों के चुनाव काफी अहम और महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं.
राजस्थान-छत्तीसगढ़ जीतना क्यों अहम
कांग्रेस गुजरात और छत्तीसगढ़ की सत्ता में है, इन दोनों ही राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है. कांग्रेस इन दोनों ही राज्यों में गुटबाजी के जूझ रही है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट तो छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व टीएस सिंह देव के बीच लंबे समय से सियासी वर्चस्व की जंग जारी है. ऐसे में राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सरकारों के कामकाज में सुधार व सबको साथ लेकर चलने की जरूरत बताई गई है और दोनों ही राज्यों में गुटबाजी खत्म करना मुख्य मुद्दा है. कांग्रेस अगर इन दोनों ही राज्यों की सत्ता को बचाए रखने में सफल नहीं रहती है तो बीजेपी के 'कांग्रेस मुक्त' होने का सकार हो जाएगा. ऐसे में कांग्रेस के लिए इन दोनों राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करने के साथ-साथ सत्ता को बचाने के लिए जद्दोजहद करनी होगी?
कर्नाटक-एमपी-तेलंगाना में चुनाव
साल 2023 में कर्नाटक, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव है. 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने कर्नाटक और मध्य प्रदेश में जीतकर सरकार बनाई थी, लेकिन 2019 चुनाव के बाद 'ऑपरेशन लोटस' के चलते कांग्रेस ने पहले कर्नाटक और फिर मध्य प्रदेश में अपनी सरकार गवां बैठी. मौजूदा समय में बीजेपी दोनों ही राज्यों की सत्ता पर काबिज है. वहीं, तेलंगाना में टीआरएस की सरकार है. ऐसे में तीनों ही राज्यों के विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, पर बीजेपी ने जिस तरह से कर्नाटक और मध्य प्रदेश में हिंदुत्व की सियासी बिसात बिछा रही है. इसके चलते कांग्रेस के लिए यह काफी चुनौती पूर्ण है. तेलंगाना में टीआरएस, बीजेपी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होना है. कांग्रेस कैसे इन तीनों ही राज्य में जीत का परचम फहराती है.
पूर्वोत्तर के चार राज्यों में चुनाव
साल 2023 में पूर्वोत्तर के चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है. साल के शुरू में त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में चुनाव होने हैं तो आखिर में मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने है. त्रिपुरा में बीजेपी की सरकार है और बाकी तीन राज्यों में बीजेपी सहयोगी दल के तौर पर सरकार में शामिल है. पिछले आठ सालों में बीजेपी ने जिस तरह से पूर्वोत्तर में अपनी सियासी जड़े मजबूत की है, उससे कांग्रेस का राजनीतिक ग्राफ डाउन हुआ है. ऐसे में कांग्रेस के लिए पूर्वात्तर के राज्यों में अपनी खोए हुए सियासी आधार को दोबारा से मजबूत करने की चुनौती है.
कांग्रेस के लिए क्यों अहम विधानसभा
2024 से पहले देश के जिन 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, उसके नतीजों का असर लोकसभा चुनाव पर पड़ना लाजमी है. ऐसे में 2024 के लिटमस टेस्ट के तौर पर भी विधानसभा चुनाव को देखा जा रहा है. बीजेपी ने पांच राज्यों में चुनाव नतीजे के बाद से ही अपनी सियासी बिसात बिछाने में जुटी है और अपने संगठन को चुस्त-दुरुस्त कर रही है. इस कड़ी में बीजेपी ने गुजरात के बाद त्रिपुरा के सीएम को भी बदल दिया है ताकि सत्ता विरोधी लहर को मात दिया जा सके.
मध्य प्रदेश में बीजेपी ने संगठन मंत्री को बदला है. संगठन मंत्री रहे सुहास भगत को संघ में वापस लाया गया है. उनके साथ सह संगठन मंत्री के रूप में काम कर रहे हितानंद शर्मा को संगठन मंत्री का दायित्व दिया गया है. बीजेपी-आरएसएस एक साथ मिलकर मजबूत संगठनात्मक तैयारी शुरू कर चुकी है. ऐसे में कांग्रेस के लिए 11 राज्यों के चुनाव में बीजेपी के मुकाबला करने के लिए चुनौती है?